करनाल में धान घोटाले की CBI जांच की मांग:भाकियू प्रदेश अध्यक्ष बोले-अधिकारियों और आढ़तियों की मिलीभगत, गुपचुप जांच से नहीं खुलेगा सच

करनाल में धान घोटाले की CBI जांच की मांग:भाकियू प्रदेश अध्यक्ष बोले-अधिकारियों और आढ़तियों की मिलीभगत, गुपचुप जांच से नहीं खुलेगा सच

करनाल के सर छोटूराम किसान भवन में आयोजित बैठक के दौरान भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने प्रदेश में धान घोटाले की जांच को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी, आढ़ती और कई फर्जी किसान इस घोटाले में शामिल हैं। इसलिए गुपचुप तरीके से चल रही जांच से सच्चाई सामने नहीं आएगी। भाकियू ने इस जांच को सिरे से खारिज करते हुए मांग की कि मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए, तभी असली दोषियों का खुलासा हो सकेगा। रतन मान ने कहा कि चालू खरीद सीजन 2025-26 में धान खरीद में बड़ा खेल हुआ है। यह घोटाला एक सुनियोजित तरीके से किया गया है, जिसमें निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक मिलीभगत रही है। मंडियों में धान की फर्जी एंट्री करवाई गई, फर्जी किसानों के नाम से गेट पास कटे और यूपी-बिहार से धान हरियाणा की मंडियों में चोरी-छिपे पहुंचा दिया गया। घोटाले में अधिकारियों और फर्जी किसानों की मिलीभगत उन्होंने कहा कि इस पूरे खेल में न केवल आढ़ती बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। करनाल, तरावड़ी और घरौंडा मंडी में सबसे ज्यादा लूट हुई। नकली गेटपास भी काटे गए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब चोरी करने वाला ही चोरी की जांच करेगा तो न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस पूरे मामले को सीबीआई के हवाले करे, तभी असली गुनहगारों तक जांच पहुंच पाएगी। सस्पेंड कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़ना लीपापोती भाकियू अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने कुछ कर्मचारियों को सस्पेंड कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। यह महज लीपापोती है, जबकि इस घोटाले में ऊंचे पदों पर बैठे कई अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ दो-तीन कर्मचारियों को निलंबित कर देना कोई कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह असली आरोपियों को बचाने का तरीका है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिन कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है, उन्हें सीआईए में पूछताछ के लिए भेजा जाए। पुलिस की पूछताछ से ही इस पूरे घोटाले का असली चेहरा सामने आ जाएगा। हरियाणा की मंडियों में चल रहा आर्थिक अपराध रतन मान ने कहा कि हरियाणा की मंडियों में धड़ाधड़ फर्जी गेट पास काटे गए हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई करने से बच रहे हैं। किसानों की धान खरीद नहीं हो पा रही, जबकि दूसरे राज्यों का धान पहले ही मंडियों में पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा के किसानों के अधिकारों पर डाका है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कहना कि मंडियां छोटी पड़ गई हैं, गलत है। दरअसल, मंडियां इसलिए भर गई हैं क्योंकि बाहर से धान पहले ही मंगवा लिया गया। अब जब हरियाणा के किसानों का असली धान आ रहा है, तो खरीदार नहीं मिल रहे। यह किसानों के साथ सीधी लूट है। एमएसपी पर खरी नहीं उतरी सरकार भाकियू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 24 फसलों पर एमएसपी देने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार अब मुंह छिपा रही है। हरियाणा में मुख्य खरीफ फसलों धान, बाजरा, कपास और मूंग की कीमतें एमएसपी से 300 से 500 रुपए कम पर बिक रही हैं। धान खरीद शुरू होने से पहले सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन हकीकत में किसान अपनी फसलें बेचने के लिए मंडियों में धक्के खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की समस्याओं की कोई चिंता नहीं है। मंडियों में आर्थिक अपराध खुलेआम हो रहा है और प्रशासन चुप है। सरकार समय रहते एक्शन ले, वरना सबूत मिट जाएंगे रतन मान ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले 10 दिनों में स्टॉक पूरा कर दिया जाएगा और जब पीवी (फिजिकल वेरिफिकेशन) होगी तो सब कुछ सही दिखा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा घोटाला है, जो केवल कागजों में धान दिखाकर किया जा रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर सरकार वाकई न्याय करना चाहती है, तो इस पूरे मामले को सीबीआई जांच के हवाले करे। तभी यह साफ हो पाएगा कि किसानों के साथ कितना बड़ा आर्थिक अपराध हुआ है और इसमें कौन-कौन से अधिकारी और व्यापारी शामिल हैं।

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