प्लेयर कम पड़े तो खेलने का मौका मिला:पूर्व कोच ने बताई क्रांति के क्रिकेटर बनने की कहानी; भाई के जूते, साथी की ड्रेस पहनकर मैदान में उतरी

तुम क्रिकेट खेलती हो। हां सर, मैं लड़कों के साथ मैच खेलती हूं। क्रिकेट टूर्नामेंट हाे रहा है, हमारी टीम से खेलोगी। हां सर। ड्रेस और जूते हैं, तुम्हारे पास। जूते तो मेरे भाई के हैं, लेकिन ड्रेस नहीं है। अच्छा तुम जूते पहनकर आओ, ड्रेस का मैं कुछ करता हूं। यह बातचीत है विश्वकप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहीं क्रांति गौड और क्रिकेट कोच सोनू वाल्मीकि की। उन्होंने ही क्रांति की प्रतिभा को पहचाना और पहली बार ही उसे मैच में उतारा। दैनिक भास्कर की टीम ने क्रांति के पूर्व कोच सोनू वाल्मिकी से बात की और शुरुआत से लेकर फर्स्ट बाॅलर बनने तक की कहानी को जाना, पढ़िए यह रिपोर्ट… भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा बनकर महिला क्रिकेट वर्ल्डकप जीतने वाली राइट आर्म मीडियम पेसर क्रांति गौंड बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव गुहारा की रहने वाली हैं। उन्होंने वर्ल्डकप जीतकर देश समेत बुंदेलखंड और सागर का नाम रोशन किया है। उन्होंने अपने क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत सागर की डॉ. हरिसिंह गौर क्रिकेट एकेडमी से की थी। क्रांति उर्फ रोहिणी को उनके पूर्व कोच सोनू वाल्मीकि ने खिलाड़ी के रूप में पहचाना और क्रिकेट मैदान पर जगह दी। क्रांति ने अपनी लाइफ का पहला मैच खेलते हुए मैन ऑफ द मैच अपने नाम किया था। यही उसके जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा। भाई के जूते और साथी खिलाड़ी की ड्रेस पहनकर खेला पहला मैच
सागर में रहने वाले क्रिकेट कोच सोनू वाल्मीकि बताते हैं कि गुहारा में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। आयोजकों ने मुझे सूचना दी कि टूर्नामेंट में सागर से एक महिला टीच को उतराना है। मैंने अपनी महिला क्रिकेट टीम तैयार की और 25 नवंबर 2017 को मैच खेलने के लिए रवाना होना वाला था। सभी खिलाड़ी तय समय पर पहुंच गईं, लेकिन अंकिता नाम की खिलाड़ी की अचानक तबीयत खराब होने से वह नहीं आई। टीम को लेकर रवाना होना था तो मैं 10 खिलाड़ियों के साथ ही गुहारा पहुंचा। मैंने सभी लड़कियों से कहा पहले तुम लोग जाकर नाश्ता कर लो। वे सभी चली गईं, लेकिन मेरे दिमाग में एक बात घूम रही थी, मैच के लिए 11 लड़कियां चाहिए, एक लड़की कम है। मैं, इसी बात को सोचते हुए ग्राउंड की ओर घूमने निकल गया। मैदान के पास एक लड़की डंडा लेकर क्रिकेटिंग शॉट लगाने के लिए हाथ घुमा रही थी। मैं उसके पास गया और पूछा क्या नाम है तुम्हारा। उसने कहा- रोहिणी उर्फ क्रांति। मैंने कहा- डंडे से शॉट की पोजिशन ले रही हो, क्रिकेट खेलती हो क्या? उसने कहा हां- मैं क्रिकेट खेलती हूं। खेलती भर नहीं हूं, लड़कों के साथ मैच खेला करती हूं। मैंने कहा- अच्छा तो यह लड़कियों का एक क्रिकेट मैच होना है। टूर्नामेंट में हमारी ओर से मैच खेलोगी। उसने जल्दी से कहा- हां, जरूर। उसका आत्मविश्वास देकर मैंने पूछा- ड्रेस और जूते हैं क्या?। वह बोली- जूते तो मेरे भाई के हैं, लेकिन ड्रेस नहीं है। इस पर मैंने उसे कहा- अच्छा ठीक है, जूते पहकर आओ, ड्रेस का देखते हैं। वह कुछ ही देर में भाई के जूते पहनकर मैदान पर पहुंच गई। मैंने जो लड़की नहीं आई थी, उसकी ड्रेस उसे दे दी। नौगांव को हराया, मैन ऑफ द मैच बनी क्रांति
सागर की महिला क्रिकेट टीम का मैच नौगांव की टीम से था। हमारी टीम पहले गेंदबाजी कर रही थी। रोहिणी ने कहा- मैं ऑलराउंडर हूं। बैटिंग-बॉलिंग दोनों करती हूं। इस पर उसे गेंदबाजी सौंपी गई। उसने शानदार गेंदबाजी करते हुए सामने वाली टीम के दो प्रमुख विकेट लिए। जब बल्लेबाजी की बारी आई तो उसने बैट से भी कमाल किया। उसने तीसरे नंबर पर बैटिंग करते हुए तेजी से 25 रनों की पारी खेली। हमारी टीम ने नौंगाव की टीम को पराजित कर दिया। मैच में बैटिंग और बॉलिंग में अच्छा प्रदर्शन करने के कारण क्रांति उर्फ रोहिणी को मैन ऑफ द मैच चुना गया। लड़कियों ने रोहिणी के नाम के जयकारे लगाए। अफसरों ने किट दिलाई फिर एकेडमी में आई
मैच जीतने के बाद क्रांति के पिता मैदान पर पहुंचे। वे पुलिस विभाग में थे, लेकिन सस्पेंड चल रहे थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में मैदान में मौजूद अधिकारियों ने क्रांति को क्रिकेट किट दिलाई। जब वह दिसंबर 2017 में सागर आई और हमारी एकेडमी में खेलना शुरू किया। यहां मैंने उसे बॉलिंग और बैटिंग के गुर सिखाए। बाउंसर और इन स्विंग बॉलिंग में माहि है क्रांति
सागर में प्रैक्टिस के दौरान क्रांति में विशेषता थी कि वह बाउंसर और इन स्विंग वॉल अच्छा फेंकती थी, उसे सबसे पहले बॉलिंग के लिए तैयार किया गया। वह अक्सर बाउंसर और इन स्विंग वॉल फेंका करती थी। वर्ल्डकप के सेमी फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया टीम की कप्तान का विकेट भी इन स्विंग बॉल फेंककर ही लिया था। इसके अलावा वह बैटिंग बहुत ही जबरदस्त करती है। सामने के शॉट और लंबे शॉट खेला करती। सिक्स आसानी से मारती है। सागर डिवीजन में 13 साल में मैच खेली
प्रैक्टिस के दौरान सागर डिवीजन में एमपीसीए का टूर्नामेंट आया, जिसमें 16 साल तक की उम्र की महिला खिलाड़ियों को मैच खेलना था, लेकिन क्रांति का क्रिकेट अच्छा था। साथ ही उस समय क्रिकेट खेलने के लिए लड़कियों की कमी थी। इसलिए मैंने क्रांति को सागर डिवीजन भेजा, जहां उसका खेल देकर सागर डिवीजन टीम में चयन किया गया। उस समय क्रांति 13 साल की थी। इसके बाद क्रांति पीछे मुड़कर नहीं देखी। एमपी, बोर्ड और फिर नेशनल टीम की हिस्सा बनी। अब महिला क्रिकेट का वर्ल्डकप जीतकर क्रांति ने देश समेत पूरे बुंदेलखंड का नाम रोशन किया है। मेरी क्रांति से बात हुई थी। ऋचा घोष को मारा था बोल्ड
पूर्व कोच सोनू ने बताया कि कोरोना काल के समय क्रिकेट की प्रैक्टिस और टूर्नामेंट रुक गए थे, लेकिन कोराेना खत्म हुआ और मैच शुरू हुए तो क्रांति उर्फ रोहिणी का चयन एमपी टीम में हुआ। जहां मैच खेलते हुए क्रांति ने भारतीय क्रिकेटर ऋचा घोष को बोल्ड मारा था। लड़कों के साथ मैच खेलती थी क्रांति
क्रिकेटर क्रांति गौंड ने कक्षा 8वीं तक पढ़ाई है। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था। वह बचपन से ही क्रिकेट खेलना पसंद करती थी। गांव में रहते हुए वह गांव के लड़कों के साथ मैच खेलता करती थी। 2017 में टूर्नामेंट में अपने करियर का पहला मैच खेला और फिर लगातार आगे बढ़ती गईं। मौसी के घर मकरोनिया में रहकर सागर की एकेडमी में प्रैक्टिस कर क्रिकेट के गुर सीखे थे। आर्थिक तंगी से राष्ट्रीय गौरव तक का सफर क्रांति गौड़ का सफर बेहद संघर्ष भरा रहा है। उनका परिवार घुवारा गांव की पुलिस चौकी के सामने स्थित दो कमरे के सरकारी पुलिस क्वार्टर में रहता है। संबंधित खबर पढ़ें… विश्वकप विजेता क्रांति गौड़ को MP सरकार देगी ₹1 करोड़:भोपाल में सीएम ने की घोषणा; कभी मां ने बेचे थे गहने, बेटी बोली- सपना पूरा हो गया विमेंस वनडे वर्ल्ड कप 2025 जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की सदस्य और मध्यप्रदेश के छतरपुर की बेटी क्रांति गौड़ को राज्य सरकार 1 करोड़ रुपए का इनाम देगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को इसकी घोषणा की। सीएम ने भारतीय टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि छतरपुर की बेटी ने प्रदेश का मान बढ़ाया है।उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी एमपी के युवा खिलाड़ी खेलों में ऐसी ही भूमिका निभाते रहेंगे। पूृरी खबर पढ़ें

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