बारां। अंता विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने पर काम कर रही है। यह उपचुनाव 11 नवंबर को होना है, जो पूर्व भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की अयोग्यता के बाद खाली हुई सीट पर हो रहा है। तीन साल की सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
भाजपा ने इस उपचुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है। ओबीसी वर्ग से आने वाले मंत्री जोराराम कुमावत और झाबर सिंह खर्रा के साथ अजमेर दक्षिण से विधायक अनीता भदेल (अनुसूचित जाति वर्ग) को अंता भेजा गया है, ताकि विभिन्न समाजों में पार्टी की पकड़ मजबूत की जा सके।
राजे खेमे की भी सक्रियता
अभियान को मजबूती देने के लिए झालावाड़-बारां सांसद दुश्यंत सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी नेता भी पर्दे के पीछे से सक्रिय हैं। ये नेता संगठन में अनुशासन बनाए रखने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।
कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी से कड़ी टक्कर
भाजपा को इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया और कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे नरेश मीणा से कड़ी चुनौती मिल रही है। मीणा अनुसूचित जनजाति (एसटी) मतदाताओं और युवाओं के बीच तेजी से पकड़ बना रहे हैं। इस वजह से भाजपा ने अपने पारंपरिक मतदाताओं को साधने और हर जातीय वर्ग तक सटीक पहुंच बनाने पर फोकस किया है।
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जातीय समीकरणों पर जोर
मंत्री कुमावत को ओबीसी समाज से जुड़ी बैठकों की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि विधायक अनीता भदेल एससी समुदाय के बीच लगातार संपर्क बैठकें कर रही हैं। पार्टी ने विभिन्न जातीय समूहों के लिए अलग-अलग प्रचारक नियुक्त किए हैं ताकि हर वर्ग तक सीधा संवाद स्थापित किया जा सके।
सैनी समाज बना निर्णायक फैक्टर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अंता विधानसभा क्षेत्र में सैनी समाज सबसे बड़ा वोट बैंक है। इसके साथ ही मीणा, धाकड़, मुस्लिम, ब्राह्मण और गुर्जर समुदाय भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एक विश्लेषक ने कहा कि अंता में सैनी समाज को निर्णायक माना जाता है। भाजपा का पूरा अभियान जातीय गणित और जमीनी सक्रियता का संतुलन है।


