नगर निगम में मंगलवार को प्रशासनिक स्तर पर अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल हुआ। निगम कमिश्नर संस्कृति जैन ने ‘जिसकी जो डिग्री, उसे वही काम’ के सिद्धांत को सख्ती से लागू करते हुए इंजीनियरिंग विंग सहित कई विभागों में बदलाव किए हैं। एक साथ 64 सहायक और उपयंत्रियों के कार्यक्षेत्र बदले गए हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनके पास जो विशेषज्ञता है, उससे अलग काम कर रहे थे। कई अधिकारियों के पावर में कटौती की गई है। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में इंजीनियरों को उनकी मूल विशेषज्ञता वाले विभागों में वापस भेजा गया है। यह कार्रवाई अचानक नहीं की गई। अक्टूबर से ही कमिश्नर इंजीनियरों से उनके कार्यों का विस्तृत ब्यौरा मांग रही थीं, लेकिन लगातार टालमटोल की जा रही थी। अनुशासनहीनता को गंभीरता से लेते हुए पहले इंजीनियरों को दिनभर कार्यालय में बैठने के निर्देश दिए गए और उनका वेतन भी रोका गया। शहर में विकास कार्यों की धीमी प्रगति भी इस फैसले की वजह बनी। आंकड़ों के अनुसार, शहर के विकास के लिए लगभग 20 हजार एस्टीमेट तैयार किए गए थे, लेकिन केवल 5.5 हजार के ही वर्क ऑर्डर जारी हो सके, जबकि धरातल पर महज 2.5 हजार कार्यों पर ही काम शुरू हुआ। इस बड़े अंतर ने निगम प्रशासन को कड़े निर्णय लेने के लिए मजबूर किया। फेरबदल की वजह… काम का हिसाब नहीं दे रहे थे इंजीनियर, वर्कऑर्डर में भी हो रही थी देरी कार्यपालन यंत्रियों के दायित्वों में फेरबदल प्रशासनिक सुविधा के लिए जारी आदेश क्रमांक 162 के तहत कई वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारियां बदली हैं… स्वास्थ्य, राजस्व में भी बदलाव इंजीनियरिंग के साथ-साथ स्वास्थ्य और राजस्व शाखाओं में भी फेरबदल हुआ है होर्डिंग एवं पार्किंग शाखा दरोगा को एएचओ बनाए जाने का विरोध, कमिश्नर को दिया ज्ञापन इधर, विजय शाक्य को एएचओ बनाए जाने का सभी स्वच्छता निरीक्षकों ने विरोध जताया है। उन्होंने कमिश्नर संस्कृति जैन को एक ज्ञापन भी दिया गया। उन्होंने जोन 14 में उप स्वच्छता पर्यवेक्षक को सहायक स्वास्थ्य अधिकारी बनाए जाने पर विरोध दर्ज कराया। 2021 में भी दरोगा को एएचओ बनाए जाने के विरोध में स्वच्छता निरीक्षक हाई कोर्ट गए थे। अचानक देर रात बदला दरोगा का नाम
देर रात तक जोन 14 में एएचओ के लिए स्वच्छता निरीक्षक का ही नाम था, लेकिन रात में दरोगा को यह पद दे दिया गया। यह दरोगा उसी इलाके में डॉग स्क्वॉड का काम करता है। दरोगा को एएचओ के पद से हटाने को लेकर हाईकोर्ट 2021 और 2022 में आदेश दे चुका है। इसके अलावा स्वच्छता निरीक्षकों को उनके मूल पद का काम देने के संबंध में नगरीय विकास विभाग कई बार निर्देश दे चुका है। इन विभागों में पावर की कटौती… भवन अनुज्ञा, जलकार्य और सीवेज विभागों में दोहरा प्रभार समाप्त कर दिया है। हुजूर, नरेला और गोविंदपुरा विधानसभा में भवन अनुज्ञा के प्रभार बदले गए हैं। बीसीएलएल, रोड सेफ्टी और स्टोर जैसे अतिरिक्त प्रभारों से कई उपयंत्रियों को मुक्त किया है। कार्यक्षमता बढ़ाने किया फेरबदल इंजीनियरों को उनकी योग्यता और विशेषज्ञता के अनुरूप जिम्मेदारियां दी गई हैं, ताकि वे एक ही काम पर फोकस कर सकें। इससे शहर के विकास कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी।
-संस्कृति जैन, कमिश्नर, नगर निगम


