Ayurvedic Treatment: अक्सर बच्चों और बड़ों में गले में दर्द, सूजन या निगलने में परेशानी जैसी दिक्कतें आम होती हैं। अगर ये समस्या बार-बार होती है, तो इसका कारण टॉन्सिल्स यानी तुण्डिकेरी हो सकता है। गले के दोनों ओर दो छोटी ग्रंथियां होती हैं जिन्हें टॉन्सिल्स कहा जाता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा हैं और नाक या मुंह से आने वाले कीटाणुओं को रोकने का काम करती हैं। लेकिन जब इन्हीं ग्रंथियों में संक्रमण हो जाए, तो यही हमारी परेशानी की जड़ बन जाती हैं।
टॉन्सिल्स का आयुर्वेदिक कारण
आयुर्वेद के अनुसार, तुण्डिकेरी कफ और पित्त दोष की असंतुलनता के कारण होती है। जब शरीर में विषैले तत्व (आम) बढ़ जाते हैं और पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, तो गले की ग्रंथियों में सूजन आने लगती है। इससे गले में दर्द, बुखार, निगलने में तकलीफ और कभी-कभी बोलने में भी परेशानी होती है।
लक्षण और संकेत
गले में खराश, तेज दर्द, निगलने में कठिनाई, हल्का बुखार, सिरदर्द और सांस से बदबू आना इसके मुख्य लक्षण हैं। बच्चों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। वे चिड़चिड़े हो जाते हैं और खाने से इनकार करने लगते हैं। ठंडी, तली-भुनी या भारी चीजें अधिक खाना, ठंडी हवा या बर्फ के संपर्क में रहना, दिन में सोना और कमजोर पाचन शक्ति टॉन्सिल्स को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, दूषित पानी या अस्वच्छ भोजन से संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार
सबसे पहले ठंडी चीजों से पूरी तरह परहेज करें। दिन में कई बार गर्म पानी से गरारे करें और गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। तुलसी, अदरक, मुलेठी और पिप्पली की चाय सुबह-शाम पीने से गले को काफी राहत मिलती है। भोजन हल्का, गर्म और पचने योग्य रखें। बच्चों को ठंडा पानी, आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक से बचाएं।
योग और प्राणायाम
सिंहासन गले की मांसपेशियों को मजबूत करता है, जबकि उज्जयी प्राणायाम गले की सफाई में मददगार है। जल नेति जैसी क्रियाएं नाक और गले में संक्रमण से बचाव करती हैं।
सरल नुस्खे
गुनगुने पानी में आधा चम्मच हल्दी और एक चुटकी सेंधा नमक डालकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। 7-8 तुलसी की पत्तियां और थोड़ा अदरक उबालकर उसमें शहद मिलाएं। यह गले की सूजन घटाता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है। मुलेठी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर चाटने से खराश और जलन में राहत मिलती है। अजवायन, काली मिर्च और हल्दी उबालकर पीने से कफ कम होता है और संक्रमण दूर होता है। रात में त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से शरीर से विषैले तत्व निकलते हैं और पाचन सुधरता है।


