कास्टिंग काउच के दावों पर ‘धुरंधर’ के उजैर बलोच बोले:बड़ी ताज्जुब की बात है, मेरे साथ ऐसा हुआ और मुझे पता ही नहीं चला

कास्टिंग काउच के दावों पर ‘धुरंधर’ के उजैर बलोच बोले:बड़ी ताज्जुब की बात है, मेरे साथ ऐसा हुआ और मुझे पता ही नहीं चला

फिल्म ‘धुरंधर’ में उजैर बलोच के किरदार ने इतना गहरा प्रभाव छोड़ा कि लोग गूगल पर खोजने लगे कि इसे किसने निभाया है। इसके ठहरे हुए हाव-भाव, नपे-तुले हिंसक पल और रहमान डकैत के प्रति पूरी वफादारी इस किरदार की खास पहचान हैं। इस भूमिका को दानिश पंडोर ने निभाया है। साथ ही, कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दानिश कास्टिंग काउच का शिकार भी शिकार हो चुके हैं। लेकिन दैनिक भास्कर से बातचीत में दानिश ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बड़ी हैरानी की बात है कि कास्टिंग काउच मेरे साथ हुआ और मुझे पता तक नहीं चला। पढ़िए दानिश पंडोर से खास बातचीत के प्रमुख अंश.. सवाल:आपके किरदार की खास बात ये है कि लोग अब सर्च कर रहे हैं कि उजैर बलोच का रोल करने वाले एक्टर हैं कौन? इससे पहले भी आपने काफी काम किया है, लेकिन अब अचानक इतनी चर्चा कैसे होने लगी? जवाब:लोगों से इतना प्यार और सम्मान मिल रहा है, ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। किरदार की छोटी-छोटी हरकतें और नुएंसेस लोगों को बहुत पसंद आ रहे हैं। कई लोगों ने तो मूवी के बीच में ही Google पर सर्च किया कि उजैर बलोच कौन प्ले कर रहा है। ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है और खुशी है कि फिल्म भी बहुत अच्छा कर रही है। सवाल: डांस वाला जो मोमेंट है, वो अक्षय खन्ना ने विनोद खन्ना से इंस्पायर होकर किया है? क्या कहानी है उसके पीछे? जवाब: मैंने हाल ही में विनोद सर का एक वायरल क्लिप देखा था, जिसमें वो बिल्कुल इसी तरह डांस कर रहे हैं। वही वाइब अक्षय सर के स्टेप में भी दिखती है। जैसे बाप, वैसे बेटा। खासकर “दयावान” फिल्म के गाने “चाहे मेरी जान तू ले” में विनोद सर ऐसे ही स्टेप करते हैं। वही झलक यहां भी नजर आती है, बहुत ही खूबसूरत मोमेंट है। सवाल: इस फिल्म से आपका जुड़ाव कैसे हुआ? ऑडिशन का क्या अनुभव रहा और आपको ये किरदार कैसे मिला? जवाब: शुरुआत ऑडिशन से हुई, जैसे हर एक्टर के लिए होता है। मुझे मुकेश छाबड़ा की कास्टिंग टीम से कॉल आया, उन्होंने बस इतना कहा कि ऑडिशन देना है, लेकिन डायरेक्टर, फिल्म या किरदार के बारे में कुछ नहीं बताया, सब कॉन्फिडेंशियल था। मैंने फिर भी ऑडिशन दिया, क्योंकि मुझे लगता है कि ऑडिशन से ही एक्टर की पॉलिशिंग होती है और डायरेक्टर भी वहीं से आपको कैरेक्टर के लिए जज करता है। एक महीने बाद मुकेश भाई का फोन आया, उन्होंने मेरी पिक्चर्स मांगीं और उसी रात बताया कि मैं क्रिएटिवली इस प्रोजेक्ट के लिए फाइनल हो गया हूं। अगले दिन उन्होंने बताया कि ये आदित्य सर की फिल्म है और रणवीर सिंह, अक्षय खन्ना, संजय दत्त, अर्जुन रामपाल, आर. माधवन जैसे बड़े कलाकार इसमें हैं। बाद में आदित्य सर से ऑफिस में मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि मेरा किरदार फिल्म के सबसे अहम और प्राइमरी किरदारों में से एक है। मेरे ऊपर इतना बड़ा भरोसा किया गया, ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। मैं फिल्म में रहमान बलोच के छोटे भाई का रोल कर रहा हूं, जो एक रियल लाइफ कैरेक्टर पर बेस्ड है। असली शख्सियत को पर्दे पर निभाना मेरे लिए एक नया और मजेदार अनुभव रहा। सवाल: उजैर बलोच के किरदार के लिए आपको अपनी तरफ से किस तरह की तैयारी करनी पड़ी? जवाब: मैंने इस किरदार के लिए काफी तैयारी की। आदित्य सर ने शुरुआत में मुझे बहुत रिसर्च मटेरियल और इंटरव्यूज दिए, जिनसे मुझे असली शख्सियत को समझने में मदद मिली। लेकिन साथ ही उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी कि मैं इस किरदार को अपना बनाऊं, बस इतना ध्यान रहे कि सबकुछ रियल और ओवर न लगे। सेट पर डायरेक्टर, क्रू और बेहतरीन कलाकारों का माहौल ऐसा था कि काम करते हुए बहुत अच्छा महसूस होता था। सवाल: फिल्म से जुड़ी कुछ खास बातें शेयर करना चाहेंगे? जवाब: ‘धुरंधर’ की डेढ़ साल से शूटिंग चल रही थी, जो लास्ट जुलाई में खत्म हुई। शूटिंग थाईलैंड, अमृतसर, मुंबई, लेह, लद्दाख और पंजाब में हुई। थाईलैंड में प्रोडक्शन डिजाइनर सैनी चौधरी ने पाकिस्तान जैसा शानदार सेट बनाया। लोग सोचते हैं कि पाकिस्तान में शूट किया, लेकिन सब डिटेल्स इतनी परफेक्ट हैं कि फर्क ही नहीं लगेगा। सवाल: कोई ऐसा खास कॉम्प्लीमेंट जो आपके दिल को छू गया हो, क्या था? जवाब: एक बार किसी ने कहा कि इतने बड़े और दिग्गज कलाकारों के बीच भी मेरा किरदार ऐसा था कि लोग पहले मुझे ही सर्च करने लगे कि यह कौन है। यह बहुत खुशी की बात थी क्योंकि इससे पता चलता था कि मैंने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है। साथ ही, मेरे साथ काम करने वाले सीनियर कलाकार जैसे संजय दत्त और आर माधवन बहुत प्रोफेशनल और मददगार थे, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। उनके साथ काम करना बहुत अच्छा अनुभव था। सवाल: इस फिल्म के बाद आपको फिल्म इंडस्ट्री से कोई ऑफर मिले हैं? जवाब: अभी फैंस का बहुत प्यार मिल रहा है, धीरे-धीरे फिल्म ऑफर भी आने लगेंगे। इंडस्ट्री के लोग देख रहे हैं और मैसेज भी आ रहे हैं, इससे बहुत खुशी होती है। सवाल: अक्षय खन्ना के साथ आपने इससे पहले ‘छावा’ में भी काम किया है। उनके साथ कैसा अनुभव रहा और आपको उनमें क्या खास लगा? जवाब: अक्षय सर के साथ मेरा पहला अनुभव ‘छावा’ में रहा। उस दौरान हमारी बहुत ज्यादा बातचीत नहीं हुई थी, क्योंकि मेरा किरदार ज्यादातर खबरें लाने वाला था और सेट पर इंटरैक्शन कम था। इस फिल्म के नरेशन के समय डायरेक्टर आदित्य धर सर ने मेरा उनसे दोबारा परिचय कराया और बताया कि उन्होंने मुझे मेरे दिमाग और टैलेंट की वजह से कास्ट किया है, जो मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। तब मैंने अक्षय सर को याद दिलाया कि हम ‘छावा’ में साथ काम कर चुके हैं। अक्षय सर सेट पर कम बोलते हैं, लेकिन आप जो भी सवाल पूछिए, बहुत सलीके से जवाब देते हैं। वो अपने काम और परफॉर्मेंस पर बहुत फोकस रहते हैं, अनावश्यक बातें या डिस्टर्बेंस से दूर रहते हैं। उनके साथ काम करके लगा कि वो बेहद समर्पित, शांत और प्रोफेशनल एक्टर हैं। सवाल: रणवीर सिंह के साथ सेट पर अनुभव कैसा रहा? उनसे क्या बातें होती थीं? जवाब: बहुत अच्छा। इंडस्ट्री के पुराने सितारों की फिल्मों और जर्नी के बारे में जानना मुझे पसंद है। रणवीर से हमेशा पूछता रहता था कि ‘पद्मावत’, ‘बैंड बाजा बारात’ जैसी फिल्मों की कहानी कैसी रही? उनकी फिल्म ‘जयेशभाई जोरदार’ का किरदार तो मुझे बहुत पसंद आया। उनकी मेहनत वाली जर्नी सुनने में मजा आता है। सवाल: आपकी जर्नी कैसे शुरू हुई? जवाब: मैंने 2007 में ग्लैडरैग्स मैनहंट में हिस्सा लिया और टॉप 5 में आया। उस समय मैं 18 साल का था और काफी पैशनेट था, इसलिए 3-4 साल तक मॉडलिंग की। लेकिन शुरू से एक्टिंग की इच्छा थी, इसलिए कुछ साल बाद लगा कि अब मॉडलिंग काफी हो गई, मुझे एक्टिंग पर फोकस करना है। सवाल: आप कहां से इंस्पायर हुए? एक्टिंग का ख्याल कब आया? जवाब: मैं बचपन से बहुत सारी फिल्में देखा करता था, इंडियन और इंटरनेशनल दोनों। गुरु दत्त साहब की फिल्में मैंने कई बार देखी हैं। फिल्मों का शौक इतना था कि लगा मुझे भी ये करना चाहिए। मैं हमेशा लोगों को चुपचाप बैठकर ऑब्जर्व करता था, उनके हाव-भाव देखता था, सोचता था कि कभी एक्टिंग में काम आएंगे। फिर धीरे-धीरे वहीं से जर्नी शुरू हुई और मैंने ऑडिशन देना शुरू कर दिया। सवाल: आपने मॉडलिंग के दौरान एक्टिंग की ट्रेनिंग ली थी या बाद में? जवाब: मॉडलिंग के तीन-चार साल बाद मुझे लगा कि अब आगे बढ़ना होगा। तभी घर वालों ने कहा कि ग्रेजुएशन पूरा करो, फिर आगे बढ़ना। मैंने बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर्स किया। पढ़ाई खत्म करने के बाद एक्टिंग की ट्रेनिंग ली, जिसमें कैरेक्टर इम्प्रोवाइजेशन और एनिमल स्टडी भी शामिल थी। ट्रेनिंग के बाद कॉन्फिडेंस मिला और ऑडिशन देना शुरू किया। पहला शो ‘कितनी मोहब्बत है’ किया। उसके बाद कई टीवी शो किए और फिर ‘सेक्रेड गेम्स’ के लिए भी ऑडिशन दिया। सवाल: ‘सेक्रेड गेम्स’ के दौरान आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा? जवाब: बहुत शानदार एक्सपीरियंस था। नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे एक्टर्स और विक्रमादित्य मोटवानी जैसे डायरेक्टर के साथ काम करने का मौका मिला। नवाज भाई के साथ सारे सीन शूट किए। वो एक्टर को समझते हैं, कैरेक्टर पकड़ते हैं और पोटेंशियल पहचानते हैं। सवाल: शुरुआत में कास्टिंग के दौरान आपको किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा? जवाब: शुरुआत में सबसे बड़ी दिक्कत यही थी कि पता ही नहीं चलता था कहां ऑडिशन हो रहे हैं, किससे पूछें, किसको मैसेज करें। कास्टिंग डायरेक्टर्स को बार-बार मैसेज करना पड़ता था, और उन्हें तो हर दिन बहुत सारे मैसेज आते हैं। फिर जब थोड़ा काम मिल गया, तो ऑडिशन तक पहुंचना थोड़ा आसान हुआ। कास्टिंग डायरेक्टर खुद टेस्ट के लिए बुलाने लगे, क्योंकि उन्हें यकीन हो गया कि ये अच्छा एक्टर है। बाद में एक स्टेज ऐसा भी आया कि सीधा किसी खास किरदार के लिए बुलावा आने लगा। लेकिन इसके बाद भी फॉलो-अप करना पड़ता है, अंदर हमेशा ये डर और कन्फ्यूजन रहता है कि आगे क्या होगा, रिजल्ट क्या आया, अब अगला कदम क्या है। सवाल: कहीं पढ़ा था कि आपको कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा है? जवाब: ये बात कहां से आई, मुझे समझ नहीं आया। कास्टिंग काउच जैसी कोई चीज नहीं है। ऑडिशन प्रोसेस होता है। स्टूडियो जाते हो, टेस्ट देते हो, सिलेक्शन हो या न हो, वो चीजें अपने आप होती हैं। मुझे कभी ऐसा सामना नहीं करना पड़ा। ये बड़ी ताज्जुब की बात है कि मेरे साथ कास्टिंग काउच हुआ और मुझे ही पता नहीं चला। सवाल: आप तो मुंबई से हैं, फिर भी कभी ऐसा मुश्किल वक्त आया जब लगा कि अब सब खत्म हो गया है, लेकिन फिर कोई नई उम्मीद मिली हो? जवाब: हां, कई बार ऑडिशन के बाद फाइनल शॉर्टलिस्ट में आकर भी मना कर दिया जाता है। तब लगता है कि सब खत्म हो रहा है, लेकिन अंदर का पैशन कहता है कि लगे रहो। सबसे जरूरी है परिवार और दोस्तों का सपोर्ट सिस्टम, जो आपको लगातार हौसला देते रहते हैं। वही आपको निराशा से निकालकर फिर से कोशिश करने की ताकत देता है। सवाल: किसका सपोर्ट ज्यादा मिला? जवाब: फैमिली, क्लोज फ्रेंड्स और पेरेंट्स का। पापा शिपिंग कंपनी में थे और चाहते थे कि मैं भी वहीं जाऊं, क्योंकि एक्टिंग की दुनिया में अनिश्चितता ज्यादा लगती थी। उन्हें स्टेबल जॉब चाहिए था। लेकिन अब वो बहुत खुश हैं, उनकी आंखों में खुशी दिखती है।

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