केंद्रीय खनन सचिव पीयूष गोयल ने बुधवार को राजधानी में खनिज विभाग और नीलामी में खनन ब्लॉक लेने वालों के साथ सेक्टर की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि खदान की नीलामी से पहले जिला स्तर पर नीलाम ब्लॉक में शामिल भूमि के परीक्षण के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में वन, राजस्व एवं खनिज विभाग की कमेटी गठित करें।
खनिज ब्लॉक नीलामी में ले चुके लोगों ने गोयल से कहा कि सबसे अधिक समय वन अनुमति लेने में लगता है। गोयल ने कहा कि वन मंत्रालय से भी वन अनुमति की प्रक्रिया सरल करने के लिए जल्द बैठक आयोजित की जाएगी। समीक्षा के दौरान गोयल ने कहा कि मप्र में बंद पड़ी खदानों को शुरू करने और खनिज ब्लॉकों की नीलामी में अच्छा काम हुआ है।
बैठक में प्रमुख सचिव खनिज उमाकांत उमराव ने बताया कि मप्र में 118 मुख्य खनिज ब्लॉकों की नीलामी पूरी हो चुकी है। माइनिंग लीज के 6 ब्लॉक और कंपोजिट लाइसेंस के 12 ब्लॉक में काम भी शुरू हो गया है। बचे हुए ब्लॉकों में खनन शुरू करने के लिए राज्य शासन लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है। इसलिए होती है देरी
अब तक खनन ब्लॉक नीलाम करने से पहले जिले से रिपोर्ट आती है। जैसे ही नीलामी के बाद बोली लगाने वाला जिले में एनओसी लेने जाता है, तो वन, राजस्व से जुड़ी तमाम तरह की आपत्तियां आ जाती हैं। इससे खनन शुरू करने में देरी होती है। अब वन, राजस्व और खनिज विभाग की कमेटी पहले से ऐसे मामलों की समीक्षा कर लेगी। बहुत विवाद हुआ तो रिपोर्ट भेजना निरस्त कर दिया जाएगा। मैहर में एक ब्लॉक के बीच नहर आने से जल संसाधन की पट्टी आई है। ऐसे विवादों से बचा जा सकेगा।


