महाराष्ट्र में जनवरी 2026 में होने वाले 29 नगर निगम चुनावों के लिए उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आ रहे हैं। दोनों भाई आज दोपहर 12 बजे गठबंधन का औपचारिक ऐलान करेंगे। दोनों नेता 11 बजे शिवाजी पार्क स्थित बालासाहेब ठाकरे के स्मारक भी जाएंगे और श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद दोनों एक जॉइंट प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। उद्धव और राज के बीच पिछले काफी वक्त से नजदीकियां बढ़ गईं हैं। इसी साल जुलाई में मुंबई के वर्ली डोम में दोनों भाईयों ने एकसाथ रैली की थी। दोनों ने 20 साल बाद मंच शेयर किया था। इससे पहले 2006 में बाला साहेब ठाकरे की रैली में साथ दिखे थे। उद्धव को शिवसेना का मुखिया बनाने के बाद राज ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बना ली थी। अब शिवसेना (यूबीटी) और मनसे फिर साथ में चुनाव लड़ेंगे। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने राज्य भर की 29 नगर निगमों के लिए चुनाव की घोषणा की है। जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), पुणे नगर निगम (PMC) और पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (PCMC) शामिल हैं। वोटिंग 15 जनवरी को होगी और रिजल्ट 16 जनवरी को आएगा। उद्धव-राज के एकसाथ चुनाव लड़ने के मायने क्या हैं, 4 पॉइंट में समझें… BMC चुनाव क्यों है साख का सवाल BMC चुनाव सिर्फ नगर निगम का नहीं, बल्कि मुंबई की सत्ता, दलों की विश्वसनीयता और आने वाले बड़े चुनावों की दिशा तय करने की लड़ाई है। इसलिए यह महायुति और महाविकास अघाड़ी के लिए साख का सवाल है। 74,000 करोड़ रुपए के बजट वाली एशिया की सबसे बड़ी सिविक बॉडी BMC पर बिना बंटे शिवसेना ने लगभग दो दशकों तक राज किया था। तब BJP उसकी सहयोगी थी। मुंबई नगर निगम का बजट गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के बजट से भी बड़ा है। यही कारण है कि भाजपा, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, कांग्रेस, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यहां अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। अब जानिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच फूट कैसे पड़ी थी 1989 से राजनीति में सक्रिय हैं राज ठाकरे 1989 में राज ठाकरे 21 साल की उम्र में शिवसेना की स्टूडेंट विंग, भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष थे। राज इतने सक्रिय थे कि 1989 से लेकर 1995 तक 6 साल के भीतर उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने के अनगिनत दौरे कर डाले। 1993 तक उन्होंने लाखों की तादाद में युवा अपने और शिवसेना के साथ जोड़ लिए। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे राज्य में शिवसेना का तगड़ा जमीनी नेटवर्क खड़ा हो गया। 2005 में शिवसेना पर उद्धव हावी होने लगे 2002 तक राज ठाकरे और उद्धव शिवसेना को संभाल रहे थे। 2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। बालासाहेब ठाकरे ने राज से कहा- ‘उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाओ। राज ने पूछा, ‘मेरा और मेरे लोगों का क्या होगा।’ 2005 तक उद्धव पार्टी पर हावी होने लगे थे। पार्टी के हर फैसले में उनका असर दिखने लगा था। ये बात राज ठाकरे को अच्छी नहीं लगी। राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी, MNS का ऐलान किया 27 नवंबर 2005 को राज ठाकरे के घर के बाहर हजारों समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हुई। यहां राज ने समर्थकों से कहा, ‘मेरा झगड़ा मेरे विट्ठल (भगवान विठोबा) के साथ नहीं है, बल्कि उसके आसपास के पुजारियों के साथ है। कुछ लोग हैं, जो राजनीति की ABC को नहीं समझते हैं। इसलिए मैं शिवसेना के नेता के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। बालासाहेब ठाकरे मेरे भगवान थे, हैं और रहेंगे।’ 9 मार्च 2006 को शिवाजी पार्क में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ यानी मनसे का ऐलान कर दिया। राज ने मनसे को ‘मराठी मानुस की पार्टी’ बताया और कहा- यही पार्टी महाराष्ट्र पर राज करेगी।
उद्धव और राज ठाकरे आज गठबंधन का ऐलान करेंगे:20 साल बाद एकसाथ चुनाव लड़ेगे; जनवरी 2026 में 29 नगर निगमों का चुनाव


