बुलंदशहर के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता व्यवस्था को मजबूत करने के लिए शासन ने दो फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) मंजूर किए हैं। करीब दो करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इन प्लांटों से जिले के 50 हजार से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को सीवरेज निस्तारण की सुविधा मिलेगी। इसके लिए जमीन की तलाश शुरू हो गई है। दोनों एफएसटीपी का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-III के अंतर्गत कराया जाएगा। प्रत्येक प्लांट की क्षमता 10 केएलडी होगी। इनका निर्माण ऐसे स्थानों पर होगा, जहां से जिले के सभी छह ब्लॉक कवर किए जा सकें। अधिकारियों के अनुसार, प्लांट के लिए जलभराव रहित और ठोस जमीन की आवश्यकता है ताकि संचालन में कोई दिक्कत न हो। भूजल स्तर नीचे वाले गांवों में होंगे प्लांट प्रदूषण की संभावना को खत्म करने के लिए इनका निर्माण उन गांवों में किया जाएगा, जहां भूजल स्तर काफी नीचे हो। आबादी क्षेत्र से 250 से 500 मीटर की दूरी पर प्लांट लगाए जाएंगे, जिससे लोगों को दुर्गंध, शोर या संक्रमण की परेशानी न हो। प्रत्येक एफएसटीपी के संचालन के लिए 30 किलोवाट बिजली और 5 हजार लीटर पानी की जरूरत होगी। ग्रामीणों को सेप्टिक टैंक निस्तारण की सुविधा एफएसटीपी बनने के बाद ग्रामीण इलाकों में सेप्टिक टैंक खाली कराने और मल निस्तारण की व्यवस्था हो जाएगी। इसका सीधा फायदा 50 हजार से अधिक परिवारों को मिलेगा। प्लांट से निकलने वाले ठोस अवशेषों से खाद तैयार की जाएगी और उपचारित पानी का इस्तेमाल सिंचाई में किया जाएगा। डीपीआरओ ने बीडीओ-एडीओ को सौंपी जिम्मेदारी जिला पंचायत राज अधिकारी नवीन कुमार मिश्रा ने बताया कि सभी बीडीओ और एडीओ पंचायतों को निर्देश दिए गए हैं कि वे एफएसटीपी निर्माण के लिए उपयुक्त जमीन चिह्नित करें। ग्राम सभा का प्रस्ताव, खसरा-खतौनी, नक्शा और लेखपाल की संस्तुति रिपोर्ट तैयार कर जल्द भेजने को कहा गया है। जमीन मिलने के बाद दोनों प्लांट का निर्माण शुरू होगा। पर्यावरण संरक्षण के साथ स्वच्छता में बढ़ेगी मजबूती अधिकारियों का कहना है कि एफएसटीपी से फिकल स्लज का सुरक्षित निपटान होगा, जिससे रोगजनक और कार्बनिक पदार्थों में कमी आएगी। इससे गांवों की स्वच्छता व्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण दोनों को मजबूती मिलेगी।


