शांत राजसमंद में उबाल: पुलिस और आयुक्त की कार्यशैली पर खड़े किए सवाल, जांच बदलने की मांग

शांत राजसमंद में उबाल: पुलिस और आयुक्त की कार्यशैली पर खड़े किए सवाल, जांच बदलने की मांग

राजसमंद. राणा राजसिंह मार्ग का नाम बदले जाने के बाद उपजा विवाद अब भी थमता नजर नहीं आ रहा है। इस मुद्दे को लेकर हुआ स्याहीकांड तीन दिनों तक राजसमंद में चर्चा का केंद्र बना रहा, लेकिन पुलिस की कार्यशैली, नगरपरिषद आयुक्त की भूमिका और मारपीट के प्रकरण को लेकर लोगों का असंतोष अब भी कायम है। इसी के विरोध में मंगलवार को सर्व समाज के लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए।

महाराणा प्रताप पार्क में सभा, कार्रवाई की मांग

मंगलवार सुबह कलक्ट्रेट के समीप स्थित महाराणा प्रताप पार्क में सुबह से ही लोगों का जुटना शुरू हो गया। सुबह 11 बजे तक सैंकड़ों लोग एकत्रित हो गए और यहीं सभा का आयोजन किया। वक्ताओं ने पुलिस पर कथित दबाव में काम करने, निष्पक्ष जांच नहीं होने और नगरपरिषद अधिकारियों की भूमिका पर जमकर आक्रोश जताया। वक्ताओं का कहना था कि पूरे मामले की जांच निष्पक्ष नहीं है और इससे साफ प्रतीत होता है कि पुलिस कथित राजनीतिक दबाव में काम कर रही है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आयुक्त ने दो समाजों में टकराव की स्थिति पैदा की

सभा के दौरान नगरपरिषद आयुक्त बृजेश रॉय को आड़े हाथों लिया गया। वक्ताओं ने कहा कि राजसमंद शांतिप्रिय क्षेत्र रहा है, लेकिन आयुक्त ने दो समाजों के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी। वक्ताओं ने जैन समाज की ओर से आचार्य महाश्रमण की आज्ञा से मार्ग का नाम पूर्ववत रखने संबंधी पत्र सौंपे जाने की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। साथ ही कहा गया कि आवश्यकता पड़ने पर सर्व समाज भी जैन समाज के साथ खड़ा रहेगा। इस दौरान लोगों ने कहा कि सभापति अशोक टाक को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

विधायक के खिलाफ लगाए नारे

सभा समाप्त होने के बाद सर्व समाज के लोग समूह बनाकर रैली के रूप में कलक्ट्रेट पहुंचे। यहां नारेबाजी करते हुए ज्ञापन पढ़कर सुनाया गया। इस दौरान कलक्ट्रेट में पुलिस का पर्याप्त जाब्ता तैनात रहा। इस दौरान कुछ युवा आक्रोशित हो गए और पूरे प्रकरण के पीछे की राजनीति को लेकर खुलकर बोलने की मांग की। इस लोग आक्रोशित हो गए और राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी के खिलाफ नारे लगाने से नहीं चूके। वहीं नगरपरिषद आयुक्त बृजेश रॉय और सभापति अशोक टाक और एसपी के खिलाफ के खिलाफ भी नारे लगाए।

कलक्टर को बाहर बुलाने की जिद, नहीं हो सकी वार्ता

प्रदर्शनकारियों ने मांग पत्र पर सहमति जताते हुए प्रतिनिधिमंडल को अंदर भेजने से इनकार कर दिया और कलक्टर को बाहर आकर जनता के बीच बात रखने की मांग की। इसके बाद दो सदस्य अंदर जाकर कलक्टर से मिले और उन्हें बाहर लेकर आए। कलक्टर अरूण कुमार हसीजा ने अपनी बात रखनी शुरू की, लेकिन शोर-शराबे के बीच बात पूरी नहीं हो सकी, जिसके चलते वे वापस अपने चैंबर में चले गए।

प्रतिनिधिमंडल को लेकर मतभेद, फिर बनी सहमति

कलक्टर के लौटने के बाद प्रतिनिधिमंडल भेजने को लेकर मतभेद सामने आए। कुछ युवाओं ने इसका विरोध करते हुए अधिकारियों से सभी के समक्ष वार्ता करने की मांग की और नारेबाजी शुरू कर दी। बाद में आपसी सहमति से एक प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया और उसे कलक्टर से वार्ता के लिए भेजा गया।

ये रखी गई प्रमुख मांगें

  • – एससी-एसटी एक्ट में दर्ज एफआईआर को बदला जाए। भरत दवे के पिता को घर से उठाकर थाने लाने के मामले की जांच की जाए।
  • – भरत दवे से मारपीट का मामला दर्ज किया जाए, मारपीट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
  • – राणा राजसिंह मार्ग की पट्टिका हटाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की।
  • – पुलिस की मौजूदगी में स्वास्थ्य निरीक्षक गिर्राज द्वारा मारपीट पर कार्रवाई की जाए।
  • – आयुक्त बृजेश रॉय और स्वास्थ्य निरीक्षक गिर्राज को निलंबित किया जाए अथवा जिले से बाहर लगाया जाए किया जाए।
  • – आयुक्त और स्वास्थ्य निरीक्षक द्वारा नोटिस देकर लोगों से रुपए मांगने की जांच हो।
  • – पुलिस द्वारा घर-घर दबिश देने की कार्रवाई रोकी जाए और इसके लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए।
  • – पूरे शहर की लाइट बंद किए जाने के मामले की भी जांच हो।
  • – राणा राजसिंह के नाम से एक भव्य स्मारक का निर्माण किया जाए।

कलक्टर से वार्ता में शामिल रहे, मिला आश्वासन

कलक्टर से वार्ता के लिए गठित प्रतिनिधिमंडल में भरत पालीवाल, महेन्द्रसिंह राठौड़, योगेश पुरोहित, हरदयाल सिंह, कुलदीप सिंह, अरविंद सिंह भाटी, कैलाश जोशी, भगवतीलाल पालीवाल, बलबीर सिंह, युवराज सिंह आदि शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल को कलक्टर की ओर से उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया।

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