EXCLUSIVE Interview Tattoographer Karan : दिल्ली के टैटूग्राफर करण (Tattoographer Karan) के फैन रेसलर द ग्रेट खली भी हैं। देश-दुनिया में करण अपने टैटू के कारण जाने जाते हैं। गिनीज बुक से लेकर कई वर्ल्ड रिकॉर्ड सिर्फ टैटू के कारण बनाए हैं। बचपन में 13 साल की उम्र से करण से ऐसा करना शुरू किया और आज हर अंग पर टैटू बना चुके हैं। यहां तक कि आंख पर भी टैटू है। बात सिर्फ टैटू तक नहीं, करण ने बॉडी मोडिफिकेशन भी कराया है।
सोचिए, करण को ऐसा करने के लिए कितना दर्द से गुजरना पड़ा होगा। आखिर, करण ने अपने शरीर के साथ ऐसा क्यों किया। ऐसे तमाम सवालों के जवाब पत्रिका के रवि कुमार गुप्ता ने करण से पूछे हैं-
Interview Tattoographer Karan : दिल्ली के वर्ल्ड फेमस टैटूग्राफर करण का इंटरव्यू

1- मम्मी और पापा का फर्स्ट रिएक्शन क्या था?
जवाब- जब मैंने अपनी आंखों पर परमानेंट काला टैटू करवाया, मां की पहली प्रतिक्रिया सन्नाटा पसारने की तरह थी। वो शांत, स्थिर, सुन्न, आश्चर्यचकित थी। उन्हें इसे समझने और अभ्यस्त होने में कुछ दिन लग गए। वे मेरी सेहत को लेकर बहुत चिंतित थे और मेरे लक्ष्यों को प्राप्त करने का मेरा दृढ़ संकल्प उस समय उनकी समझ से परे था, जिसे वे धीरे-धीरे बाद में समझ गए कि जब मैं लाइफ में कुछ हासिल करने के लिए कर रहा हूं। मैं अपने लक्ष्य के लिए किसी भी बाधा के कारण कभी नहीं रुकता, चाहे सामने मृत्यु ही क्यों न हो।
2- लोग क्या कहते हैं?
जवाब- मैं लोगों से ज्यादा मेलजोल नहीं रखता। ज्यादातर समय अपने टैटू स्टूडियो, अपने निजी जिम और घर में बिताता हूं। मैं शायद ही कभी बाहर जाता हूं, इसलिए लोगों से ज्यादा संपर्क नहीं होता। कार्यस्थल पर जिन लोगों से मेरी मुलाकात होती है, वे मुझे ऑनलाइन मौजूदगी के जरिए पहले से जानते हैं और वे मेरे काम की सराहना करते हैं। वे मेरे रूप-रंग की तारीफ करते हैं और उससे भी बढ़कर, वे मेरे पूरे शरीर के टैटू बनवाने में किए गए परिश्रम, दर्द, खून और वर्षों की तपस्या का सम्मान करते हैं। वे मानते हैं कि इतने लंबे समय तक इतने दर्द को सहना अत्यंत कठिन है।
जब मैं यात्रा करता हूं या बाहर जाता हूं, तो लोग मेरी ओर आकर्षित होते हैं। मेरी उपस्थिति सम्मान का भाव जगाती है, इसलिए वे सेल्फी आदि के लिए पास आते हैं।
3- ये दर्द कैसा लगता है, क्योंकि आपने आंखों पर भी टैटू बनवा रखे हैं?
जवाब- दर्द के साथ मेरा रिश्ता बहुत गहरा है। मुझे इससे गुजरना अच्छा लगता है, लेकिन मैं इससे डरता भी नहीं हूं और न ही इससे बचता हूं। अगर जिंदगी मुझे दर्द देती है, तो मैं उसका पूरी ताकत से सामना करता हूं। जब मैं कुछ हासिल करना चाहता हूं और दर्द उसका साथी है, या अगर दर्द ही उस लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता है, तो मैं दर्द सहते हुए आगे बढ़ता हूं। मैं दर्द को चुनौती देता हूं और खुद को भी। हम दोनों के बीच मैं अब तक जीतता आया हूं।

ऐसे कई वीडियो और टैटू बनवाने के कई सेशन हैं, जिनमें मैंने दर्द की एक झलक भी नहीं दिखाई, क्योंकि मैं सांस लेने, ध्यान करने और अपने दिमाग को यह समझा चुका हूं कि दर्द के बिना कुछ नहीं मिलता। कुल मिलाकर दर्द अब मेरे जीवन का हिस्सा है। मैंने अपने दिमाग की कंडीशनिंग को बदल दिया है, जहां दर्द का मतलब दिमाग के लिए डेटा सिग्नल है – इस रीवायरिंग और कंडीशनिंग को न्यूरोप्लास्टिसिटी कहते हैं। मुझे इस बात का एहसास नहीं था, लेकिन वर्षों तक खुद को दर्दनाक प्रक्रियाओं से गुजारने और अपने मन को दर्द को नियंत्रित करने और उस पर विजय पाने का प्रशिक्षण देने के बाद ही मुझे इसका पता चला।
Eye tattoo | अपनी आंखों का टैटू बनवाने वाले पहले भारतीय कौन थे?
- 2017- करण ने आईबॉल टैटू एक ऑस्ट्रेलियन टैटू आर्टिस्ट से बनवाया था
- आईबॉल टैटू के कारण अंधा होने का खतरा था
- इस टैटू को 4 घंटे बिना पलक झपकाए बनाए
- करण को करीब 6 लाख रुपए खर्च करने पड़े थे
4- टैटू से एड्स या अन्य बीमारियों का खतरा रहता है तो आप हाइजीन कैसे मेंटेन करते हैं?
जवाब- यह एक पुरानी भ्रांति है कि टैटू से बीमारी होने का खतरा होता है, यह ठीक वैसा ही है जैसे यह कहना कि सर्जरी से एड्स होता है। आज के युग में, अधिकांश टैटू कलाकार डॉक्टर-मेडिकल लेवल की हाइजीन का पालन करते हैं। इससे बीमारियों या दुष्प्रभावों की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है। बशर्ते कि टैटू बनवाने वाला व्यक्ति बाद में अपने टैटू की देखभाल न करे या कोई सड़क किनारे या खराब वातावरण में टैटू बनवाए। हम टैटू को पूरी तरह से खतरनाक नहीं कह सकते। मेरा पहला टैटू 13 साल की उम्र में बनवाया था। अभी मैं 36 साल का हूं और खुश हूं, मुझे कभी कोई समस्या नहीं हुई।
5- शरीर का वो कौन सा हिस्सा है जहां टैटू बनवाते समय आपकी आंखों में आंसू आ गए थे?
जवाब- टैटू बनवाते समय मैं कभी नहीं रोया, लेकिन जिस दिन मैंने अपने पूरे शरीर को टैटू से ढका हुआ देखा, उस दिन खुशी के आंसू जरूर आए। मेरे लिए टैटू बनवाना कोई पीड़ा या दर्दनाक सजा नहीं थी – यह एक ऐसी यात्रा है जिसे मैं खुशी-खुशी अपना रहा हूं।
6- क्या आपके शरीर पर अब भी कोई ऐसी जगह बची है जहां टैटू की गुंजाइश हो?
जवाब- फिलहाल तो नहीं – मेरा पूरा शरीर टैटू से ढका हुआ है, लेकिन कला अनंत है और उसकी कोई सीमा नहीं है, इसलिए रचनात्मकता की हमेशा गुंजाइश रहती है।
7- टैटू बनवाने का फीवर कैसे चढ़ा?
जवाब- जब मैं 8 साल का था, तब मैंने अपने पिता के कंधे पर शेर की आकृति (टैटू) देखी और सोचा कि यह स्थायी कैसे हो सकती है। फिर मैंने टीवी पर लोगों के शरीर पर भी ऐसी ही निशान देखे। इससे मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई। साथ ही कला में मेरी हमेशा से रुचि रही है। मैं हमेशा से कला की ओर आकर्षित रहा हूं। इस तरह मैंने टैटू बनवाना शुरू किया। 13 साल की उम्र में मैंने अपना पहला टैटू बनवाया। टैटू बनवाने और बनाने का मेरा जुनून आज भी उतना ही है, बल्कि असीम है। मुझे टैटू बनवाते-बनाते हुए 20 साल से अधिक हो गए हैं।
8- वो बात जो आप सिर्फ Patrika.Com के रीडर्स को कहना चाहते हैं?
जवाब- सपने देखो, लक्ष्य बनाओ – वो सब कुछ करो जो उन सपनों, लक्ष्यों और योजनाओं को साकार करने में सहायक हो। उन सपनों, लक्ष्यों और योजनाओं को समर्थन देने वाली चीजों पर ध्यान दो – अगर कोई चीज तुम्हें रोकती है, तो उन बाधाओं को पहचानो और उनसे निपटो।
9- 2026 को लेकर क्या प्लान है?
जवाब- मैं बस एक शरीर नहीं, उससे बहुत बढ़कर हूं। मेरा काम और मंत्र मुझे “करण” बनाते हैं। और आगे भी बस ऐसे ही आग की तरह बढ़ते और फैलते जाना है।
टैटूग्राफर करण की कहानी आपको कैसी लगी? आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। साथ ही ऐसी खास स्टोरीज पढ़ने के लिए हमारे पत्रिका स्पेशल सेक्शन के साथ बने रहिए।


