सोनिया बोलीं- सरकार नेहरू को इतिहास से मिटाना चाहती है:पूर्व PM को बदनाम करने की कोशिश, उनके योगदान का एनालिसिस हो, लेकिन अपमान मंजूर नहीं

सोनिया बोलीं- सरकार नेहरू को इतिहास से मिटाना चाहती है:पूर्व PM को बदनाम करने की कोशिश, उनके योगदान का एनालिसिस हो, लेकिन अपमान मंजूर नहीं

कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी (CPP) की चेयरपर्सन सोनिया गांधी शुक्रवार को दिल्ली स्थित जवाहर भवन में नेहरू सेंटर इंडिया के लॉन्च समारोह में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ बयानबाजी को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की। सोनिया ने कहा- इसमें कोई शक नहीं है कि जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करना आज की सत्ता का मुख्य मकसद है। वह उन्हें (नेहरू को) सिर्फ इतिहास से मिटाना नहीं चाहती, बल्कि उनकी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक आधारों भी को कमजोर करना चाहती है, जिन पर देश खड़ा हुआ। सोनिया ने कहा- इतने बड़े व्यक्तित्व (नेहरू) के जीवन और काम का एनालिसिस और समीक्षा होना स्वाभाविक है और ऐसा होना चाहिए भी। लेकिन उन्हें बदनाम करने, कमजोर दिखाने और उनकी बातें तोड़ने-मरोड़ने की संगठित कोशिश अस्वीकार्य है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा- नेहरू का व्यक्तित्व छोटा करने की कोशिश जारी है। उनका ऐतिहासिक बैकग्राउंड अलग रखकर उनके काम का आकलन करना अब आम होता जा रहा है। उनकी बहुमुखी विरासत खत्म करके दोबारा इतिहास लिखने की कोशिश हो रही है। सोनिया बोलीं- नेहरू की विरासत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश सोनिया ने कहा- स्वतंत्रता संग्राम में नेहरू की भूमिका और स्वतंत्र भारत के शुरुआती कठिन दशकों में उनके नेतृत्व को कमतर दिखाने की कोशिश की जा रही है। उनकी बहुआयामी विरासत को एकतरफा तरीके से नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं कांग्रेस नेता ने कहा- यह प्रयास कौन कर रहा है, हम सभी जानते हैं। यह वे ताकतें हैं जो साल-दशकों से सक्रिय हैं और अब सामने आई हैं। ये उस विचारधारा से जुड़ी हैं, जिसका स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था और न ही संविधान निर्माण में उनकी कोई भूमिका थी। बल्कि, उन्होंने संविधान का विरोध किया और उसकी प्रतियां जलाने तक की घटनाएं की थीं। सोनिया ने कहा- यह वही विचारधारा है जिसने लंबे समय पहले नफरत का माहौल बनाया, जिसके कारण महात्मा गांधी की हत्या हुई। आज भी उस विचारधारा को मानने वाले लोग गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करते हैं। यह विचारधारा लगातार हमारे नेताओं के मूल्यों को खारिज करती रही है। सोनिया ने कहा- आगे का रास्ता आसान नहीं है। लेकिन हमारे पास इसके अलावा कोई ऑप्शन नहीं है कि हम व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से इसका सामना करें। हमारी यह जिम्मेदारी सिर्फ नेहरू और उनके साथियों के प्रति नहीं, बल्कि अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है।

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