एनजीओ ने 8 महीने से 18 महिला-पुरुषों को रखा बंधक:लव मैरिज पर पुलिस ने संस्था में रखा तो किया अश्लील व्यवहार, लड़कियां बोलीं- घर जाना है

एनजीओ ने 8 महीने से 18 महिला-पुरुषों को रखा बंधक:लव मैरिज पर पुलिस ने संस्था में रखा तो किया अश्लील व्यवहार, लड़कियां बोलीं- घर जाना है

जयपुर में भिक्षावृत्ति में शामिल लोगों को बचाने और पुनर्वास के लिए अधिकृत संस्था ने ही उन्हें अवैध रूप से बंधक बनाकर रख रखा था। 18 लोगों को पिछले आठ महीने से लेकर 3 वर्ष से गैर-कानूनी तरीके से एनजीओ के परिसर में बंधक बनाकर रखा गया था। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) की टीम ने ‘मेरी पहल’ संस्था के झोटवाड़ा स्थित एनजीओ परिसर पर बुधवार शाम कार्रवाई की। इस दौरान 18 लोगों को अवैध रूप से बंधक बनाए जाने के मामले का खुलासा हुआ है। पुलिस ने संस्था परिसर से 11 महिलाओं और 7 पुरुषों को रेस्क्यू किया। बंधक बनाए गए लोगों में दो युवतियां भी शामिल थीं, जिन्होंने लव मैरिज की थी। रालसा की महिला अधिकारियों ने युवतियों से बात की तो उन्होंने भावुक होकर बार-बार यही कहा कि “हमें घर जाना है”। रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एस.पी. शर्मा ने बताया- परिसर में प्रवेश करते ही जांच दल को सीसीटीवी कैमरों की कड़ी निगरानी और असामान्य सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। जांच में सामने आया कि परिसर के मुख्य द्वार और पीछे 20 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। इनसे परिसर में कैद लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। संस्था का दावा था कि वह कौशल विकास के लिए कार्य करती है, लेकिन मौके पर ऐसा कोई कार्य होता नहीं मिला। वहीं एक बुजुर्ग पीड़ित ने संस्था से जुड़े एक व्यक्ति पर बंधक महिलाओं के साथ अश्लील व्यवहार करने का आरोप भी लगाया। महिलाओं का आरोप है कि उन्हें भूखा रखकर मजदूरी कराई जाती है। पहले देखें PHOTOS ​​​​​​लड़की ने बयान दिए तो हुआ मामले का खुलासा
कुछ दिनों पहले चौमूं थाना क्षेत्र की एक लड़की के दिए बयान के आधार पर यह कार्रवाई की गई। बयान में संस्था में अवैध गतिविधियों का जिक्र किया गया था। इसके बाद रालसा ने इस पर संज्ञान लिया। एडीजे पल्लवी शर्मा ने बताया- ‘मेरी पहल’ संस्था में निरीक्षण के दौरान 11 महिलाएं मिलीं। इनमें से तीन महिलाएं पुलिस के आदेश पर संस्था में आई थीं, लेकिन उनकी उपस्थिति संस्था के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं पाई गई। महिलाओं के साथ अश्लील व्यवहार और विरोध करने पर लाठी-डंडों से पिटाई का आरोप
रेस्क्यू किए पीड़ितों ने जांच टीम के सामने एनजीओ पर गंभीर आरोप लगाए। महिलाओं ने कहा- उन्हें बाउंसरों की निगरानी में रखा जाता था, बल्कि विरोध करने या आदेश न मानने पर लाठी-डंडों से पिटाई की जाती थी। पीड़ितों का कहना है कि उनसे जबरन मजदूरी करवाई जाती थी, लेकिन इसके बदले कभी कोई मेहनताना नहीं दिया गया। कई बार काम से इनकार करने या सवाल उठाने पर भोजन तक नहीं दिया जाता था। महिलाओं के विरोध किए जाने पर उनके साथ मारपीट की जाती थी और सजा के तौर पर उन्हें भूखा रखा जाता था। इस आरोप को लेकर जांच एजेंसियां साक्ष्य जुटाने में लगी हुई हैं। पीड़ितों को रेलवे स्टेशन और शहर से उठाकर लाए
जांच में सामने आया कि कई पीड़ितों को रेलवे स्टेशन और शहर के अलग-अलग इलाकों से उठाकर यहां लाया गया था। भरतपुर निवासी बालकृष्ण को जनवरी 2023 में रेलवे स्टेशन से उठाया गया था और तब से वह संस्था परिसर में कैद था। उससे सभी कैद लोगों के लिए खाना बनवाया जाता था, लेकिन न तो उसे किसी प्रकार का पारिश्रमिक दिया गया और न ही उसका नाम किसी आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज था। इसी तरह उत्तर प्रदेश के दिलीप को 35 माह से, धौलपुर के राजेश, गंगापुर सिटी के इंद्र, यूपी के महाराजगंज के रंजन व शंकरलाल और बिहार के बाबूलाल को 8 महीने से लेकर 3 वर्ष तक कैद में रखा गया था। डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाली युवती सहित मानसिक कमजोर लोग भी मिले
बंधक बनाए गए लोगों में दो युवतियां भी शामिल थीं, जिन्होंने लव मैरिज की थी। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने उन्हें दस्तयाब कर नारी निकेतन भेजने के बजाय ‘मेरी पहल’ संस्था में रखा। इनमें से एक युवती चौमूं की निवासी है, जिसने डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर रखी है। युवती के परिजनों के साथ जाने से इनकार के बाद उसे इस एनजीओ में भेज दिया गया। इसी तरह झोटवाड़ा और चौमूं थाना पुलिस के पत्रों के आधार पर दो अन्य युवतियों को भी यहां रखा गया था। रेस्क्यू किए गए लोगों ने संबंधित थाना पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। रेस्क्यू किए कुछ लोग मानसिक कमजोर पाए गए, लेकिन संस्था ने उनके लिए न तो चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई और न ही देखभाल की व्यवस्था थी। स्किल डेवलपमेंट के नाम पर कुछ लोगों को ढोलक बजाना सिखाने की बात सामने आई, जबकि कई पीड़ित पढ़े-लिखे और सक्षम थे, जिन्हें किसी तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं थी। रजिस्टर में रहने वाले लोगों के नाम नहीं मिले
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने संस्था के रजिस्टर जब्त कर जांच की, जिसमें कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। रजिस्टर में दर्ज कुछ लोग मौके पर मौजूद नहीं थे, जबकि मौके पर मौजूद कई लोगों के नाम रजिस्टर में दर्ज ही नहीं मिले। जांच दल के सामने यह तथ्य भी आया कि संस्था खुद को भिक्षुक पुनर्वास केंद्र बताती रही, जबकि वास्तविक रूप से वहां किसी भी तरह का पुनर्वास या कौशल विकास कार्य नहीं किया जा रहा था। अभियान में रालसा के सदस्य सचिव हरिओम शर्मा, निदेशक नीरज कुमार भारद्वाज, सीजेएम नवीन किलानिया, डीएलएसए सचिव एडीजे पल्लवी शर्मा और पवन कुमार जीनवाल सहित पुलिस बल मौजूद रहा। वहीं दो दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम पर पहुंची। सभी रेस्क्यू की गई महिलाएं 18 वर्ष से अधिक आयु की हैं और वे अपने घर जाना चाहती हैं। संस्था ने उनके पुनर्वास के लिए कोई कार्रवाई नहीं की थी। 3 घंटे से ज्यादा चली कार्रवाई
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरिओम अत्री ने बताया- जयपुर पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर एसीपी हनुमान मीणा के नेतृत्व में संयुक्त टीम गठित की गई थी। कार्रवाई करीब 3 घंटे तक चली। रेस्क्यू किए गए सभी लोगों को पुलिस वैन से सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया, जहां उनका चिकित्सकीय परीक्षण कराया जाएगा। महिला काउंसलरों द्वारा काउंसलिंग भी की जाएगी। उपलब्ध तथ्यों, बयानों एवं निरीक्षण के बाद लोगों और संस्था के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच की जाएगी। RSLSA द्वारा यह निर्णय लिया गया कि सभी व्यक्तियों को तत्काल रेस्क्यू किया जाए।
• पुरुषों के नाम, पहचान एवं बयान दर्ज कर उन्हें तत्काल मुक्त किया गया।
• युवतियों/महिलाओं के नाम-पते दर्ज कर उन्हें सुरक्षित रूप से नारी निकेतन/बालिका गृह में ट्रांसफर किया जा रहा है।
• दो महिला चिकित्सकों द्वारा उनका चिकित्सीय परीक्षण सुनिश्चित किया गया है।
• जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के माध्यम से दो वरिष्ठ महिला काउंसलरों की नियुक्ति की गई है, जो उन्हें भावनात्मक संबल प्रदान करेंगी तथा परिवार से पुनर्मिलन की प्रक्रिया में सहयोग करेंगी।

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