प्रकाश झा एक ऐसे फिल्मकार हैं जिनकी यात्रा विज्ञान से होकर कला और सिनेमा तक पहुंची। उनके सिनेमा में सामाजिक-राजनीतिक संवाद गहरा असर छोड़ता है, चाहे विवाद हों या चुनौतियां। प्रकाश झा का कहना है कि सिनेमा का काम समाज से संवाद करना है। इसलिए बिना डरे सिनेमा के माध्यम से अपनी बात कह देते हैं। प्रकाश झा ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में अपने आगामी प्रोजेक्ट्स पर बात की। उन्होंने बताया कि राजनीति 2, जनादेश और आश्रम के नए सीजन की स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है। पेश है बातचीत के कुछ खास अंश। सवाल: आपकी यात्रा विज्ञान से कला, फिर सिनेमा तक कैसे पहुंची? जवाब: रास्ते चलते-चलते बनते हैं। मैंने कभी यह नहीं सोचा कि लोग क्या कहेंगे। जो अच्छा लगा, वही किया। अगर सिनेमा नहीं होता, तो पेंटिंग में कहता, संगीत में कहता। अभिव्यक्ति जरूरी है। डर से कभी कुछ पैदा नहीं होता। सवाल:आपकी कई फिल्मों पर विवाद भी हुए, आप डरे नहीं ? जवाब: डर का कोई फायदा नहीं। सिनेमा का काम समाज से संवाद करना है। हर कहानी सबको अच्छी नहीं लगती। लेकिन अगर आप किसी को जानबूझकर नुकसान नहीं पहुंचा रहे, तो डरने की जरूरत नहीं। सवाल:आपके सिनेमा का सामाजिक और राजनीतिक असर हमेशा गहरा रहा है। यह साहस कहां से आता है? जवाब: कहानियों से। हमारी जमीन में, समाज में कहानियां भरी पड़ी हैं। सिनेमा बदलाव भले न कर पाए, लेकिन संवाद जरूर कर सकता है। सवाल:आपने बड़े-बड़े कलाकारों को एक साथ लेकर काम किया। यह संतुलन कैसे बनता है? जवाब: हम कुछ मैनेज नहीं करते। सब कलाकार काम करना चाहते हैं। जब कहानी में उन्हें अपनी जगह दिखती है, तो सब ईमानदारी से काम करते हैं। मेरे सेट पर कभी ईगो की समस्या नहीं रही। सवाल:बॉबी देओल के करियर के नए दौर में आश्रम की बड़ी भूमिका रही? जवाब:बॉबी हमेशा अच्छे अभिनेता रहे हैं। मुझे एक ऐसा चेहरा चाहिए था, जिसमें सादगी और अंधेर,दोनों हों। बस सही समय और सही कहानी मिल गई। सवाल:आपकी अगली फिल्मों और राजनीति के सीक्वल को लेकर दर्शक उत्साहित हैं? जवाब: काम चल रहा है। राजनीति पर फिल्में बनती रहेंगी, क्योंकि राजनीति कभी खत्म नहीं होती। राजनीति 2 की स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है, जनादेश पे भी काम चल रहा है, साथ ही आश्रम के नए सीजन की स्क्रिप्ट पर भी काम चल रहा है। सवाल:आपके लिए सफलता की परिभाषा क्या है? जवाब: दिनभर काम करने के बाद अगर चैन की नींद आ जाए, तो वही सबसे बड़ी सफलता है। सवाल:युवा फिल्मकारों के लिए आपका संदेश? जवाब: अपने भीतर भरोसा रखें, डटे रहें और डरें नहीं। काम करते रहेंगे, तो पहचान जरूर मिलेगी।
‘सिनेमा का काम समाज से संवाद करना है’:प्रकाश झा बोले- डर से फिल्में नहीं बनती, राजनीति 2, जनादेश और आश्रम के नए सीजन की तैयारी


