सीएम योगी के गोरखपुर में हलाल पर दिए भाषण के बाद यह शब्द चर्चा का विषय बन चुका है। बता दें कि हलाल सर्टिफिकेशन के खिलाफ लखनऊ में देश का पहला केस दर्ज किया गया था। इसमें 4 के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गई थी। हालांकि, उस दर्ज मामले में STF अब भी जांच कर रही है। दरअसल, सीएम योगी ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के प्रोग्राम में कहा कि आप जब कोई सामान खरीदिए तो उसमें देखिए हलाल सर्टिफाइड तो नहीं लिखा हुआ है? हमने यूपी में इसे बैन किया है। अब साबुन, कपड़े, दीया-सलाई का भी हलाल होने लगा है। हमने हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर कुछ पुराने ऑथेंटिक मामले तलाशे तो पाया कि लखनऊ वह पहली जगह है जहां हलाल सर्टिफिकेशन के खिलाफ पहला केस दर्ज किया गया था। इस मामले में STF अभी क्या कर रही है? इस सर्टिफिकेट के क्या मायने हैं जिसकी वजह से यह चर्चा में है? पढ़िए यह रिपोर्टर… नवंबर 2023 में STF ने 4 को मुंबई से गिरफ्तार किया उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नवंबर 2023 में दर्ज पहले हलाल सर्टिफिकेट घोटाले के मामले में जांच अब भी जारी है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने मुंबई से 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। चार्जशीट के बाद इनकी फंडिंग और नेटवर्क से जुड़े कई अहम पहलुओं की पड़ताल अब भी जारी है। इस मामले के वादी शैलेंद्र कुमार शर्मा का आरोप है कि हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर करोड़ों रुपए वसूले गए। उस धन का उपयोग देशविरोधी गतिविधियों और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए किया गया। वादी ने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई की कई हलाल कंपनियों पर अनुचित लाभ कमाने का आरोप लगाया था। 2023 में हजरतगंज थाने में दर्ज हुआ था पहला मुकदमा यह मामला 16 नवंबर 2023 को हजरतगंज थाने में दर्ज किया गया था। मोतीझील कॉलोनी ऐशबाग के रहने वाले शिकायतकर्ता शैलेंद्र कुमार शर्मा ने आरोप लगाया था कि चेन्नई की हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली की जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट, मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा महाराष्ट्र जैसी कंपनियां धार्मिक भावना और आस्था के नाम पर “हलाल सर्टिफिकेट” बेचकर आर्थिक लाभ कमा रही हैं। इन संस्थाओं पर आरोप है कि ये बिना किसी सरकारी अधिकार और मानक परीक्षण के उत्पादों को “हलाल प्रमाणित” बताकर बाजार में बेचने की साजिश कर रही थीं। चारों आरोपी हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया से जुड़े एसटीएफ ने 12 फरवरी 2024 की शुरुआत में चार आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया मौलाना हबीब यूसुफ पटेल (अध्यक्ष) मौलाना मुइदशिर सपाडिया (उपाध्यक्ष), मोहम्मद ताहिर जाकिर हुसैन (महासचिव), मोहम्मद अनवर (कोषाध्यक्ष) ये सभी हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया, मुंबई से जुड़े हैं। जांच में सामने आया कि यह गिरोह प्रति वर्ष उत्पाद कंपनियों से “हलाल प्रमाणन” के नाम पर मोटी रकम वसूलता था एक सर्टिफिकेट के लिए ₹10,000 और हर नए प्रोडक्ट के लिए ₹1,000 लिए जाते थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि किसी भी उत्पाद का लैब टेस्ट या सैंपल जांच किए बिना ही सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। एसटीएफ की रिपोर्ट-बिना जांच के जारी हुए हलाल सर्टिफिकेट एसटीएफ की प्राथमिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि सर्टिफिकेशन प्रक्रिया पूरी तरह अवैध थी। न तो कंपनियों को कोई सरकारी मान्यता प्राप्त थी, और न ही हलाल सर्टिफिकेशन के लिए कोई अधिकृत प्रोटोकॉल अपनाया गया। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने भी पहले ही स्पष्ट किया था कि भारत में किसी भी संस्था को “हलाल सर्टिफिकेशन” जारी करने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद, इन कंपनियों ने खाद्य पदार्थों, साबुन, टूथपेस्ट, तेल और अन्य शाकाहारी उत्पादों तक पर हलाल सर्टिफिकेट जारी किए। फंडिंग और देशविरोधी गतिविधियों की जांच जारी STF सूत्रों के अनुसार, जांच का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा अब फंडिंग चैनल से जुड़ा है। जांच में यह संदेह व्यक्त किया गया है कि हलाल सर्टिफिकेशन से जुटाई गई रकम देशविरोधी संगठनों और चरमपंथी गतिविधियों को फंडिंग करने में प्रयुक्त की गई। वादी शैलेन्द्र शर्मा ने भी अपने बयान में कहा कि “इन पैसों का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी तत्वों को मजबूत करने और धार्मिक उन्माद फैलाने में किया गया।” इस बिंदु पर अभी तक एसटीएफ ने कई बैंक खातों की लेनदेन रिपोर्ट हासिल की है और मनी ट्रेल की जांच जारी है। सीएम योगी का कड़ा रुख- “यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह रोक” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार यानी 21 अक्टूबर को गोरखपुर में हलाल सर्टिफिकेशन पर दोबारा टिप्पणी करते हुए कहा “उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह से रोक लगाई जा चुकी है। कोई भी संस्था अब हलाल सर्टिफिकेट लगाकर अपने उत्पाद नहीं बेच सकती।” योगी सरकार ने इस मामले पर पहले से ही खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) को विशेष जांच सौंपी है। विभाग की टीमें अब शहर के मॉल, सुपरमार्केट और FMCG आउटलेट्स पर जाकर उन उत्पादों की जांच कर रही हैं, जो अब भी “हलाल सर्टिफाइड” के नाम पर बिक रहे हैं। बाजार में अब भी बिक रहे ‘हलाल सर्टिफाइड’ प्रोडक्ट FSDA की प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कुछ मल्टी-ब्रांड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अब भी हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पाद बिक रहे हैं। हालांकि, FSDA के अधिकारियों का कहना है कि अभी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। हो सकता हो “पुराने स्टॉक” हैं और जल्द ही ऐसे उत्पादों पर पूर्ण रोक सुनिश्चित की जाएगी। हालांकि चार लोगों पर चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, लेकिन एसटीएफ की जांच अब फंडिंग नेटवर्क और देशव्यापी सर्टिफिकेशन कड़ी तक बढ़ाई जा रही है। मसाले, अनाज, स्टील और सीमेंट तक का हलाल सर्टिफिकेशन राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी यूपी बृजलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से हलाल सर्टिफिकेशन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला राष्ट्रहित और आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से ऐतिहासिक कदम है। वर्षों से हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर गैर-सरकारी इस्लामिक संगठन मसाले, अनाज, स्टील और सीमेंट तक पर मुनाफा कमा रहे थे। इससे हर साल करीब 25 हजार करोड़ रुपए की फंडिंग कट्टरपंथी संगठनों तक पहुंच रही थी। बृजलाल ने कहा कि अब इस व्यवस्था पर रोक लगने से आतंकियों और चरमपंथियों तक जाने वाले आर्थिक रास्ते बंद होंगे। हलाल सर्टिफिकेशन का अधिकार केवल सरकार के पास होना चाहिए, किसी धार्मिक संगठन को नहीं। योगी सरकार ने देश की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है याचिका इस पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका लंबित है। दिल्ली स्थित जमात उलेमा-ए-हिंद ट्रस्ट ने 2023 में एफआईआर पर स्टे ऑर्डर लिया था। वहीं, वकील विभोर आनंद की ओर से दायर जनहित याचिका में देशभर में हलाल सर्टिफिकेशन पर बैन की मांग की गई थी। मामले की अगली सुनवाई 2025 के अंत तक तय की जा सकती है। ————- यह खबर भी पढ़िए… लखनऊ में 3 मंजिला मकान में भीषण आग…VIDEO:बुझाने में 4 घंटे लगे, पूरे इलाके की बिजली काटी; छज्जा गिरने से 5 फायरकर्मी घायल लखनऊ के अलीगंज में शुक्रवार शाम करीब 7 बजे 3 मंजिला मकान में भीषण आग लग गई। मकान से सटे फोटो फ्रेम के गोदाम में भी आग फैल गई। मकान की सभी मंजिलों से आग की बड़ी लपटें निकलीं। अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलते ही दमकल की 8 टीमें मौके पर पहुंच गईं। पढ़ें पूरी खबर


