तेंदुए की खाल की तस्करी करने के मामले में भोपाल कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषी ठहराते हुए चार-चार साल की सजा सुनाई है। प्रत्येक आरोपी पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अग्निध्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने सुनाया। आरोपियों के नाम बिल्लौर सिंह सोलंकी और कैलाश सोलंकी हैं। दोनों ही तेंदुए की खाल को झोले में भरकर बेचने के लिए ले जा रहे थे। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह भदौरिया ने प्रभावी पैरवी की। 2018 की है घटना: खरगोन जिले के है दोनों आरोपी घटना 19 फरवरी 2018 की है। एसटीएफ कार्यालय जबलपुर को सूचना मिली थी कि खरगोन जिले के रहने वाले दोनों आरोपी तेंदुए की खाल बेचने का प्रयास कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर एसटीएफ भोपाल को अलर्ट किया गया। इसके बाद 21 फरवरी 2018 को एसटीएफ की टीम ने कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को जबलपुर में झोला लिए पकड़ा। कपड़े में लिपटी तेंदुए की खाल बरामद हुई। खाल चार टुकड़ों में थी, जिसमें धड़, पूंछ सहित जबड़ा और दांत भी शामिल थे। इसके बाद भोपाल एसटीएफ थाने में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। कोर्ट में प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर दोनों आरोपियों को दोषी पाया गया, जिसके बाद अदालत ने सजा सुनाई। शेड्यूल-I प्राणी है तेंदुआ: तेंदुआ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की शेड्यूल-I सूची में है। इस श्रेणी देश में तेंदुए का शिकार करना, उसे रखना, परिवहन करना, उसकी खाल का व्यापार करना गंभीर और गैर-जमानती अपराध है। दोषी पर 3 से 7 साल तक की सजा-जुर्माने का प्रावधान है।


