जयपुर। राजस्थान की राजनीति में बारां जिले की अंता विधानसभा सीट इन दिनों सियासी चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यहां होने वाला उपचुनाव न केवल भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की साख के लिए अहम माना जा रहा है।
नरेश मीणा की एंट्री ने मुकाबले को और ज्यादा दिलचस्प बना दिया है। खास बात ये है कि अंता उपचुनाव आगामी पंचायत और निकाय चुनावों की दिशा भी तय कर सकता है।
राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद 22 माह के भीतर यह 10वां उपचुनाव होगा। इससे पहले हुए 9 उपचुनावों में भाजपा ने 7 पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस और बीएपी को एक-एक सीट मिली।

कांग्रेस का दांव: तीसरी बार भाया पर भरोसा
कांग्रेस ने एक बार फिर पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारा है। भाया इस सीट से दो बार जीत चुके हैं और मंत्री भी रह चुके हैं, हालांकि पिछला चुनाव वे हार गए थे। कांग्रेस इस बार राज्य की भाजपा सरकार पर जनहित के कार्यों में कमी और कानून व्यवस्था की स्थिति को प्रमुख मुद्दा बना रही है।

भाजपा की रणनीति: नए चेहरे के साथ नई उम्मीद
भाजपा ने मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाकर अंता में नया दांव खेला है। सुमन को पहली बार टिकट दिया गया है। भाजपा अपने 22 माह के शासनकाल के कार्यों के आधार पर जनता के बीच जा रही है। पार्टी की ओर से बताया जा रहा है कि बड़ी जनसभा दिवाली के बाद होगी।

निर्दलीय की एंट्री से समीकरण बने दिलचस्प
अंता सीट पर मुकाबला फिलहाल त्रिकोणीय नजर आ रहा है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा निर्दलीय नरेश मीणा की उपस्थिति से समीकरण दिलचस्प बन गए हैं। स्थानीय मतदाताओं में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

अब तक के उपचुनावों का रिकॉर्ड
राज्य में दिसंबर 2023 में भाजपा की सरकार बनने के बाद अब तक 9 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें भाजपा ने रामगढ़, झुंझुनूं, देवली-उनियारा, सलूंबर, चौरासी, खींवसर और धरियावद पर जीत हासिल की। कांग्रेस के खाते में केवल दौसा सीट आई, जबकि बागीदौरा पर भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) को सफलता मिली।


