प्रिंस बिजय सिंह मेमोरियल हॉस्पिटल के आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर स्थित टर्शरी केयर सेंटर में ब्रेकी थेरेपी की नई मशीन आ गई है। बच्चेदानी, ब्रेस्ट और आहार नली के कैंसर रोगियों को अब सेक लगवाने बाहर नहीं जाना पड़ेगा। टर्शरी कैंसर केयर सेंटर प्रोग्राम के तहत ब्रेकी थेरेपी मशीन की खरीद चार करोड़ रुपए से हुई है। मशीन के लिए एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड ने कैंसर सेंटर का निरीक्षण करने के बाद मंजूरी दी थी। एसपी मेडिकल कॉलेज स्तर पर मार्च में इसके टेंडर किए गए थे। रविवार को एक ट्रक में लादकर इसे यहां लाया गया है। मशीन एक बंकर में इंस्टॉल की जाएगी। इस काम में एक-दो महीने का समय लगेगा। मशीन को शुरू करने के लिए इसमें रेडियोधर्मी स्रोत डाला जाएगा। उसके बाद इस मशीन से रोज़ छह-सात कैंसर मरीजों का उपचार किया जा सकेगा।देश के 13वें और राज्य के पहले आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर में अब ब्रेकी थेरेपी की दो मशीनें होंगी। पहली मशीन 2017 में इंस्टॉल की गई थी। उसकी अवधि लगभग पूरी हो चुकी है। बीच-बीच में मशीन खराब होने से मरीजों को सेक लगवाने के लिए जयपुर जाना पड़ता था। 45 करोड़ में से 17 करोड़ रुपए इस साल मिले टर्शरी कैंसर केयर सेंटर प्रोग्राम के तहत केंद्र और राज्य सरकार ने 60:40 के तहत 45 करोड़ का बजट मंजूर किया था, जिसमें से 17 करोड़ रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति मार्च में आ गई थी। सेंटर निदेशक डॉ. नीति शर्मा ने बताया कि इस बजट में से ब्रेकी थेरेपी मशीन खरीदी गई है। लो-एनर्जी लिनियर एक्सीलरेटर की खरीद के लिए भी टेंडर हो चुके हैं। इसके अलावा तीन करोड़ रुपए से सेंटर का विस्तार करते हुए दो मंजिला भवन का निर्माण कराया जाएगा। इन कैंसर में ब्रेकी थेरेपी उपयोगी है प्रोस्टेट, गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय, स्तन, फेफड़ों, मलाशय, आंखों और त्वचा के कैंसर में ब्रेकी थेरेपी से इलाज किया जाता है। संभाग में इसकी मशीन केवल बीकानेर के कैंसर सेंटर में ही है। “टर्शरी कैंसर सेंटर के लिए काफी बजट मिला है। इससे नई मशीनों की खरीद की जा रही है। सेंटर अपग्रेड होगा। मरीजों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।” — डॉ. सुरेंद्र कुमार वर्मा, प्रिंसिपल, एसपी मेडिकल कॉलेज भास्कर एक्सपर्ट — डॉ. नीति शर्मा, निदेशक, कैंसर अस्पताल कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करती है मशीन ब्रेकी थेरेपी मशीन एक विशेष उपकरण है, जो कैंसर के इलाज के लिए रेडियोधर्मी स्रोत को सीधे ट्यूमर के अंदर या उसके बहुत करीब रखती है, ताकि विकिरण की उच्च खुराक केवल कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करे। इससे आसपास के स्वस्थ ऊतकों को कम नुकसान पहुंचता है। यह मशीन कंप्यूटरीकृत योजना और इमेजिंग (CT/MRI) का उपयोग करके स्रोत की सटीक स्थिति सुनिश्चित करती है।


