India Bangladesh Tension: भारत और बांग्लादेश, जो कभी गहरे मित्र माने जाते थे, आज उनके बीच रिश्तों में कड़वाहट चरम पर (India Bangladesh Diplomatic Tension) है। हाल की कुछ दर्दनाक घटनाओं और कूटनीतिक बयानों ने दोनों देशों के बीच तनाव को इतना बढ़ा दिया है कि दूतावासों के बाहर प्रदर्शन हो रहे हैं और वीजा सेवाएं तक ठप पड़ गई हैं। आखिर क्यों सुलग रही है नफरत की यह आग? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं। दरअसल इस पूरे विवाद की जड़ में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत में होना है। गत 17 नवंबर को बांग्लादेश की एक अदालत ने हसीना को तख्तापलट के दौरान हुई हिंसा के लिए मौत की सजा(Sheikh Hasina Death Sentence) सुनाई। ढाका लगातार भारत से उन्हें सौंपने की मांग कर रहा है, जबकि नई दिल्ली ने साफ कह दिया है कि वह बांग्लादेश में लोकतंत्र और स्थिरता का समर्थन करता है। हसीना का भारत में होना वर्तमान बांग्लादेशी नेतृत्व और प्रदर्शनकारी छात्रों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में दरार आ गई है।
शरीफ उस्मान हादी की हत्या और बांग्लादेश में उपजा आक्रोश (Sharif Osman Hadi Assassination)
यह तनाव तब और बढ़ गया जब 12 दिसंबर को ढाका के गुलशन इलाके में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी पर जानलेवा हमला हुआ। नकाबपोश बंदूकधारियों की गोली का शिकार हुए हादी ने 18 दिसंबर को सिंगापुर में दम तोड़ दिया। हादी की मौत ने बांग्लादेश में आग में घी का काम किया। प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए, मीडिया संस्थानों में तोड़फोड़ हुई और भारत विरोधी नारों ने जोर पकड़ लिया। इस घटना ने बांग्लादेश के आंतरिक माहौल को बहुत अस्थिर और अशांत कर दिया है।
हिंदू मजदूर की ‘मॉब लिंचिंग’ और भारत की सख्त प्रतिक्रिया (Hindu Lynching in Bangladesh 2025)
हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा के बीच 18 दिसंबर को एक और दिल दहला देने वाली घटना घटी। ढाका-मयमनसिंह राजमार्ग पर दीपू चंद्र दास नामक एक हिंदू मजदूर को भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीट कर मार डाला। इतना ही नहीं, मानवता को शर्मसार करते हुए उसका शव पेड़ से बांध कर आग लगा दी गई। हालांकि बाद में पता चला कि यह हत्या कार्यस्थल के विवाद का नतीजा थी, लेकिन शुरू में इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की गई। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस “भयानक हत्या” पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसे सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी विफलता करार दिया।
वीजा सेवाएं ठप और कूटनीतिक ‘तलब’ का दौर (Visa Services Suspended News)
हिंसा और विरोध प्रदर्शनों का सीधे तौर पर आम नागरिकों पर असर पड़ा है। नई दिल्ली, सिलीगुड़ी और त्रिपुरा में बांग्लादेशी दूतावासों के बाहर प्रदर्शन हुए, तो ढाका में भारतीय उच्चायोग को निशाना बनाया गया। सुरक्षा चिंताओं के कारण चटगांव, सिलीगुड़ी और दिल्ली में वीजा सेवाओं को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को तलब कर अपनी नाराजगी और सुरक्षा संबंधी चिंताएं दर्ज कराई हैं।
“सात बहनें” और विवादित बयानबाजी
दोनों देशों के रिश्तों को और अधिक कड़वा बनाने का काम छात्र नेता हसनत अब्दुल्ला के एक बयान ने किया। उन्होंने संकेत दिया कि बांग्लादेश भारत के पूर्वोत्तर राज्यों (सेवन सिस्टर्स) में अलगाववादी ताकतों को शह दे सकता है। इस तरह की बयानबाजी ने भारत की आंतरिक सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता बढ़ा दी है। भारत ने इसे “भ्रामक प्रचार” और चरमपंथी तत्वों की साजिश बताते हुए खारिज किया है।
आखिर क्या फिर से पटरी पर लौटेंगे रिश्ते ?
बहरहाल,वर्तमान में भारत और बांग्लादेश के बीच अविश्वास की एक गहरी खाई बन गई है। एक तरफ ढाका अपनी आंतरिक राजनीति के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहा है, तो दूसरी तरफ भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और दूतावासों पर हो रहे हमलों से चिंतित है। जब तक दोनों पक्ष टेबल पर बैठ कर इन विवादों का समाधान नहीं निकालते, तब तक दक्षिण एशिया के इन दो महत्वपूर्ण पड़ोसियों के बीच शांति की उम्मीद कम ही नजर आती है।


