सर्वे शुरू:हाय टेंशन… ये घर, प्लॉट खतरे की जद में, एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन के आसपास काटे जा रहे हैं प्लॉट

सर्वे शुरू:हाय टेंशन… ये घर, प्लॉट खतरे की जद में, एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन के आसपास काटे जा रहे हैं प्लॉट

शहर में एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन के नीचे और आसपास अवैध निर्माण अब सीधे कार्रवाई की जद में आ गए हैं। 132 केवी और 220 केवी क्षमता की हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनों के खतरे के दायरे में शहर के 855 मकान, छज्जे, छत और बाउंड्रीवॉल आ चुके हैं। मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) ने गुरुवार को इन सभी मकान मालिकों और भू-स्वामियों को 15 दिन के भीतर निर्माण हटाने की आखिरी चेतावनी देते हुए नोटिस थमा दिए हैं। कंपनी ने चार महीने बाद दोबारा एडवाइजरी जारी कर साफ किया है कि हाईटेंशन लाइन के दोनों ओर तय सुरक्षा कॉरिडोर में किसी भी तरह का निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बावजूद जिन इलाकों में कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं और प्लॉट काटे जा रहे हैं, वहां अब सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है। एमपी ट्रांसको के अधिकारियों के मुताबिक सर्वे पूरा हो चुका है। पहले चरण में 23 मकानों के छज्जे और बाउंड्री वॉल को हटाने की कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई पुलिस बल की मौजूदगी में शुक्रवार से शुरू होगी। इसके बाद अन्य क्षेत्रों में चरणबद्ध रूप से अतिक्रमण हटाया जाएगा। खतरे के दायरे में 855 मकान, छज्जे, छत और बाउंड्रीवॉल हैं इन इलाकों को हाई रिस्क जोन कैटगरी में रखा- नारियलखेड़ा, भानपुर, देवकी नगर, करोंद, कृषि उपज मंडी क्षेत्र, संत हिरदाराम नगर, लालघाटी, आनंद नगर, जैन कॉलोनी और गोविंदपुरा। कंपनी के अनुसार इन इलाकों में कई जगह सुरक्षा दूरी सबसे कम रह गई है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। मुनादी व जागरूकता अभियान एमपी ट्रांसको के मुख्य अभियंता डीके अग्रवाल ने बताया कि लोगों को चेताने और जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से विशेष अभियान चलाया गया। प्रभावित इलाकों में मुनादी कराकर लोगों को बताया जा रहा है कि ट्रांसमिशन लाइन के प्रतिबंधित क्षेत्र में रहना व निर्माण करना जानलेवा साबित हो सकता है। 900 गुना ज्यादा घातक यह बिजली बिजली ट्रांसमिशन से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन की बिजली घरेलू बिजली की तुलना में 650 से 900 गुना ज्यादा घातक होती है। इन लाइनों के आसपास आने से इंडक्शन करंट उत्पन्न होता है, जो बिना सीधे संपर्क के भी जानलेवा हो सकता है। खासकर छज्जे, छत और लोहे की रेलिंग जैसे हिस्से सबसे ज्यादा जोखिम में रहते हैं। क्यों जरूरी है तय सुरक्षा दूरी?
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रांसमिशन लाइन झूलती रहती है और मौसम, हवा व तापमान के कारण इसकी ऊंचाई और फैलाव बदलता है। यदि तय दूरी का उल्लंघन हुआ तो- क्या हैं नियम और मापदंड
एमपी ट्रांसको ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के विद्युत सुरक्षा संबंधित उपाय विनियम 2023 व इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है- प्लॉट खरीदने से पहले यह देखें

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