भागलपुर जिले के गोराडीह प्रखंड स्थित गांधी इंटर उच्च विद्यालय जमीन मुरहन में एक विवाद सामने आया है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका करुणा चौखनी ने जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता 2025-26 के लिए छात्र-छात्राओं को दिए गए अंग वस्त्र वापस ले लिए हैं। यह घटना सैनडिस्क कंपाउंड खेल भवन परिसर में हुई। जब दैनिक भास्कर डिजिटल के रिपोर्टर ने प्रधानाध्यापिका करुणा चौखनी से इस संबंध में सवाल किया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। चौखनी ने केवल इतना कहा कि ये वस्त्र विद्यालय की संपत्ति हैं और इन्हें वापस लेना आवश्यक था। इस मामले पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) दिनेश कुमार ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है, जिसमें बच्चों को खेलकूद के लिए दिए गए अंग वस्त्र वापस लेने की बात कही गई हो। कुमार ने कहा कि यदि प्रधानाध्यापिका ने ऐसा किया है, तो यह गलत है और मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीण सुभाष यादव ने प्रधानाध्यापिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह बच्चों का मनोबल बढ़ाने की बजाय, उनका हौसला तोड़ने जैसा है। यादव ने यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रधानाध्यापिका ने विद्यालय की अन्य क्षतिग्रस्त सरकारी संपत्तियों के नुकसान के लिए कभी कोई कदम उठाया या विभाग को सूचित किया। भागलपुर जिले के गोराडीह प्रखंड स्थित गांधी इंटर उच्च विद्यालय जमीन मुरहन में एक विवाद सामने आया है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका करुणा चौखनी ने जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता 2025-26 के लिए छात्र-छात्राओं को दिए गए अंग वस्त्र वापस ले लिए हैं। यह घटना सैनडिस्क कंपाउंड खेल भवन परिसर में हुई। जब दैनिक भास्कर डिजिटल के रिपोर्टर ने प्रधानाध्यापिका करुणा चौखनी से इस संबंध में सवाल किया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। चौखनी ने केवल इतना कहा कि ये वस्त्र विद्यालय की संपत्ति हैं और इन्हें वापस लेना आवश्यक था। इस मामले पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) दिनेश कुमार ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है, जिसमें बच्चों को खेलकूद के लिए दिए गए अंग वस्त्र वापस लेने की बात कही गई हो। कुमार ने कहा कि यदि प्रधानाध्यापिका ने ऐसा किया है, तो यह गलत है और मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीण सुभाष यादव ने प्रधानाध्यापिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह बच्चों का मनोबल बढ़ाने की बजाय, उनका हौसला तोड़ने जैसा है। यादव ने यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रधानाध्यापिका ने विद्यालय की अन्य क्षतिग्रस्त सरकारी संपत्तियों के नुकसान के लिए कभी कोई कदम उठाया या विभाग को सूचित किया।


