महाराष्ट्र डॉक्टर सुसाइड केस में SIT गठित:तुरंत जांच करने के आदेश; सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर ने आत्महत्या की थी

महाराष्ट्र डॉक्टर सुसाइड केस में SIT गठित:तुरंत जांच करने के आदेश; सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर ने आत्महत्या की थी

महाराष्ट्र की महिला डॉक्टर सुसाइड केस की जांच के लिए शनिवार को SIT गठित की गई। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसके आदेश दिए। SIT को लीड महिला आईपीएस अधिकारी करेंगीं। टीम को तत्काल प्रभाव से जांच के आदेश दिए हैं। महिला डॉक्टर सातारा जिले के फलटण सिविल अस्पताल में पदस्थ थी। उसने 23 अक्टूबर को फलटण के ही एक होटल में सुसाइड किया था। उसने आरोप लगाया था कि एक सांसद उसके दो PA, सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदने पर आरोप लगाए थे कि ये लोग उस पर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने का दबाव बनाते थे। हथेली पर लिखे सुसाइड नोट में डॉक्टर ने आरोप लगाया था कि गोपाल ने 5 मही में उसका 4 बार रेप भी किया था। जिस घर में वो रहती थी उसके सॉफ्टवेयर इंजीनियर बेटे प्रशांत बांकर ने उसका मानसिक शोषण किया था। सातारा पुलिस ने 25 अक्टूबर को प्रशांत को गिरफ्तार किया था। वहीं, 25 अक्टूबर की रात को फरार चल रहे सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदने ने फलटण ग्रामीण पुलिस थाने में सरेंडर किया था। दोनों आरोपी इस वक्त पुलिस रिमांड में हैं। उन पर रेप और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप हैं। 4 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा बीड जिले की रहने वाली महिला डॉक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा था कि सांसद के दोनों पर्सनल असिस्टेंट अस्पताल आए थे। दोनों ने अन्य केस से जुड़े आरोपियों के फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने का दबाव बनाया। जो आरोपी अस्पताल नहीं आए उनके भी फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने का बोलते थे। मैंने ऐसा करने से मना किया तो मेरी सांसद से फोन पर बात कराई थी। 27 अक्टूबर: महिला बोली- बेटी की पीएम रिपोर्ट पर महिला डॉक्टर के साइन सातारा की महिला भाग्यश्री ने बताया कि मेरी बेटी दीपाली की शादी इंडियन आर्मी ऑफिसर अजिंक्य हनमंत निंबालकर से हुई थी। 17 अगस्त को दामाद ने बताया कि दीपाली की हालत गंभीर है। उसे फलटण के राउत हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। दीपाली 6 महीने की प्रेग्नेंट थी, हमने सोचा उसकी तबीयत बिगड़ी होगी। 19 अगस्त को बेटी के सुसाइड करने की खबर मिली। हम लोग अस्पताल पहुंचे। वहां दीपाली के देवर ने बताया कि दीपाली ने सुसाइड किया है, लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि बेटी की हत्या की गई है। बेटी को उसके पति और ससुराल वाले लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते थे। बेटी की मौत के 5 दिन बाद भी पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं दी थी। करीब एक महीने बाद बेटी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली, जिसमें इसे सामान्य मौत बताया गया, जो कि गलत है। बेटी के पति अजिंक्य निंबालकर ने अपने पॉलिटिकल और पुलिस कनेक्शन का इस्तेमाल करके मामला दबाया है। महिला डॉक्टर पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव था। रिश्तेदारों का दावा- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने का प्रेशर था डॉक्टर के रिश्तेदार ने कहा- उस पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने और गिरफ्तार आरोपियों की मेडिकल रिपोर्ट में हेरफेर का दबाव डाला जा रहा था। डॉक्टर के चचेरे भाई ने कहा कि उसने इस मामले में सातारा एसपी और डीएसपी से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसने लेटर में लिखा था- अगर उसके साथ कुछ हुआ तो जिम्मेदारी कौन लेगा। एक और रिलेटिव ने कहा- काम के तनाव में थी और सीनियर उसे परेशान करते थे। उसने इस मामले और पुलिस से हो रही दिक्कत के बारे में पहले भी अपने सीनियर डॉक्टरों से शिकायत की थी। उससे हो रहे गलत व्यवहार की शिकायत की थी। उसने कहा भी था कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो वह आत्महत्या कर लेगी। होटल स्टाफ ने दूसरा चाबी से दरवाजा खोला SP दोशी ने बताया था कि डॉक्टर ने फलटण के एक होटल में कमरा लिया था। जब स्टाफ ने दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं मिला। शक होने पर दूसरी चाबी से दरवाजा खोला गया तो वह फांसी के फंदे से लटकी मिली थी। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया था। —————————— ये खबर भी पढ़ें… नाबालिग के साथ यौन-अपराध में थोड़ा भी पेनिट्रेशन बलात्कार बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पॉक्सो के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, ‘नाबालिग के साथ यौन अपराध में थोड़ा सा भी पेनिट्रेशन बलात्कार माना जाएगा। ऐसे मामलो में नाबालिग की सहमति का भी कोई महत्व नहीं होगा।’ जस्टिस निवेदिता मेहता ने आरोपी की अपील खारिज करते हुए 10 साल की सजा और ₹50 हजार जुर्माने की सजा बरकरार रखी। उन्होंने कहा- बच्चियों, उनकी मां के बयानों, मेडिकल-फोरेंसिक सबूतों से जुर्म साबित हुआ है।पूरी खबर पढ़ें…

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