असम के गुवाहाटी से 170 किमी दूर होजाई जिले में भविष्य के चमकते सितारे तैयार किए जा रहे हैं। एनएच-27 से 6-7 किमी दूर बने इस संस्थान के रास्ते में न तो कोई होर्डिंग है, न प्रचार किया जाता है। इस कैंपस में प्रवेश करते ही नीट और जेईई पास कर डॉक्टर-इंजीनियर बने सैकड़ों छात्र-छात्राओं की रैंकिंग के साथ बस तस्वीरें नजर आती हैं। फाउंडेशन के जनरल मैनेजर एमआरएच आजाद बताते हैं- 2016 में हमने 10वीं के छात्रों से तैयारी की शुरुआत की थी। उस समय किसी को मोबाइल रखने की इजाजत नहीं दी गई। 2019 में दूसरे कोचिंग से 11वीं के छात्र आए तो उनका कहना था कि वे जहां थे वहां मोबाइल से पढ़ने में मदद मिलती थी, लेकिन जब इंटरनल एग्जाम हुए तो छात्र उम्मीद से बहुत पीछे नजर आए। तब हमने उन्हें कन्वींस कर मोबाइल रखवा दिया। उसके बाद रिजल्ट बहुत बेहतर हो गया। अब कैंपस में कोई छात्र मोबाइल नहीं रखता। हर छात्र को परिजनों से बातचीत के लिए हफ्ते में 10 मिनट मिलते हैं। डायरेक्टर कसरूल इस्लाम कहते हैं- होजाई में फाउंडेशन के कई स्कूल-कॉलेज हैं। अक्सर ऐसा होता था कि हमारे स्कूल से हाईस्कूल-इंटर करके निकले मेधावी छात्र पढ़ाई छोड़ देते थे। तब सुपर 40 का आइडिया आया। 2016 में हम लोगों ने शुरुआत की और तय हुआ कि अजमल फाउंडेशन हाई स्कूल में 85% या उससे अधिक मार्क्स पाने वाले उन छात्रों को मुफ्त कोचिंग देगा जो गरीबी के कारण डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। हमारे यहां ऐसे छात्र आते हैं, जिनके पैरेंट्स के पास वापस घर जाने का किराया तक नहीं होता है। आज भी हमारी पहली प्राथमिकता सरकारी स्कूलों और मदरसे से निकले बच्चे हैं। रोज तीन भाषाओं में अखबार… खेलने के लिए वॉलीबॉल-फुटबॉल, बैडमिंटनकैंपस में लड़के और लड़कियों की पढ़ाई अलग-अलग बैच में होती है, लेकिन मनोरंजन के साधन एक जैसे हैं। रोज हिंदी, अंग्रेजी और असमिया भाषा के अखबार आते हैं। कैंपस के अंदर ही छात्र-छात्राएं वॉलीबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन और क्रिकेट खेलते हैं। हर साल बेहतर हो रहा रिजल्ट 20% छात्रों को मुफ्त पढ़ाते हैं कोचिंग के प्रोजेक्ट हेड अब्दुल कादिर के अनुसार, 2016 में 40 छात्र थे। अब 6 हजार हो गए हैं। इसमें 2500 छात्राएं हैं। कोचिंग में प्रवेश नौवीं से 12वीं कक्षा के बीच होता है। अब 20% छात्र पूरी तरह मुफ्त और 20% पूरी फीस देकर पढ़ते हैं। वहीं शेष 60% में 25%, 50% और 75% फीस देकर पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं हैं। साल भर की पूरी फीस 2 लाख रुपए से कम है। फीस भी देते हैं… फ्री पढ़ने वाले छात्रों के सलेक्शन के बाद सारा खर्च खुद उठाते हैं अजमल फाउंडेशन कोचिंग के खर्च का 20% चंदे के रूप में लेता है। बाकी का इंतजाम छात्रों की फीस से होता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि फ्री पढ़ने वाले छात्रों का जब नीट या जेईई में चयन हो जाता है तब उनकी पढ़ाई और हॉस्टल का पूरा खर्च भी फाउंडेशन ही उठाता है। तैयारी… छात्रों के पास ही रहते हैं शिक्षक, रोज 10 घंटे पढ़ाई 6 हजार छात्रों को पढ़ाने के लिए 260 शिक्षक हैं, जो पास में ही रहते हैं। रोज 10 घंटे पढ़ाई होती है। 6 घंटे शिक्षक पढ़ाते हैं, 4 घंटे खुद पढ़ना होता है। हर छात्र को सुबह 6 बजे उठना होता है।
होजाई जिले में तैयार हो रहे भविष्य के चमकते सितारे:मोबाइल-टीवी छोड़कर तैयारी की, 2 साल में 894 छात्र नीट पास हुए


