हिमाचल प्रदेश जल शक्ति पैरा कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ ‘आर-पार की लड़ाई’ का ऐलान किया है। मोर्चा ने मंडी में हुई एक बैठक के दौरान विधानसभा का घेराव करने की घोषणा की। मोर्चा के मंडी जिलाध्यक्ष सुमन ठाकुर और उपाध्यक्ष ईशान भारद्वाज ने जानकारी दी कि आगामी विधानसभा सत्र के दौरान लगभग 5 हजार पैरा कर्मचारी धरना प्रदर्शन करेंगे। मोर्चा के अनुसार, प्रदेश में लगभग 8 हजार पैरा कर्मचारी कार्यरत हैं। उनकी प्रमुख मांगों में अनुबंध अवधि को 8 साल से घटाकर 5 साल करना, सरकारी कर्मचारियों के समान वित्तीय भत्ते प्रदान करना और मानदेय में वृद्धि करना शामिल है। कर्मचारियों का कहना है कि मौजूदा मानदेय उनके परिवारों के भरण-पोषण के लिए अपर्याप्त है। सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप पैरा कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने 2020 और 2021 के कोरोना महामारी काल में अपनी जान जोखिम में डालकर हिमाचल प्रदेश के निवासियों को पानी की सुविधा सुनिश्चित की थी। इसके अतिरिक्त, 2023 में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान भी उन्होंने सरकार को पूर्ण सहयोग दिया था। इसके बावजूद, वे सरकार द्वारा अपनी अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। मोर्चा ने यह भी मांग की है कि 45 वर्ष से अधिक आयु के 25 प्रतिशत पैरा कर्मचारियों और ऐसे 20 प्रतिशत महिला कर्मचारियों के लिए, जिनके पतियों का निधन हो चुका है, एक विशेष नीति तैयार की जाए। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द एक व्यापक नीति बनाने का आग्रह किया है। सुमन ठाकुर ने आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने चुनाव से पूर्व सभी पैरा कर्मचारियों को स्थायी नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे इस वादे को भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि पैरा कर्मचारियों का मनोबल टूट चुका है और वे अपनी मांगों के लिए ‘आर-पार की लड़ाई’ लड़ने को तैयार हैं। इसी के तहत विधानसभा सत्र के दौरान हजारों पैरा कर्मचारी विधानसभा का घेराव करेंगे।


