Sepsis Symptoms: सेप्सिस एक बहुत गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया के कारण होती है। आमतौर पर जब शरीर में कोई इंफेक्शन होता है, तो इम्यून सिस्टम सिर्फ बैक्टीरिया या वायरस से लड़ता है। लेकिन सेप्सिस में यही इम्यून सिस्टम गड़बड़ा जाता है और अपने ही अंगों पर हमला करने लगता है। यह समस्या आम इंफेक्शन जैसे यूरिन इंफेक्शन या निमोनिया से भी शुरू हो सकती है, खासकर बुज़ुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, अस्पताल में भर्ती मरीजों और पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में।
सेप्सिस कैसे बढ़ता है?
सेप्सिस बहुत तेजी से बढ़ने वाली बीमारी है, इसलिए इसे जल्दी पहचानना बेहद जरूरी है। इसमें शरीर में सूजन फैलने लगती है और खून के थक्के बन सकते हैं, जिससे अलग-अलग अंगों तक खून पहुंचना कम हो जाता है।
सेप्सिस के तीन स्टेज
सेप्सिस: इस स्टेज में बैक्टीरिया खून में फैल जाते हैं और पूरे शरीर में सूजन होने लगती है। अगर इस समय एंटीबायोटिक और इलाज मिल जाए, तो जान बच सकती है।
सीवियर सेप्सिस: सूजन बढ़ जाती है और किडनी, लिवर या फेफड़ों जैसे अंगों को नुकसान पहुंचने लगता है। सांस लेने में दिक्कत और ब्लड प्रेशर गिर सकता है।
सेप्टिक शॉक: यह सबसे खतरनाक स्टेज है। ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा गिर जाता है, दिल, किडनी और फेफड़े फेल हो सकते हैं और जान जाने का खतरा रहता है।
सेप्सिस के लक्षण
इसके लक्षण बड़ों और बच्चों में अलग-अलग होते हैं। बड़ों में तेज बुखार या बहुत कम तापमान, ठंड लगना, पसीना आना, सांस तेज या फूलना, दिल की धड़कन तेज होना, भ्रम की स्थिति या उलझन, पेशाब कम होना, शरीर में तेज दर्द शामिल है। वहीं, बच्चों और शिशुओं में दूध न पीना, सुस्ती या बहुत ज्यादा सोना, सांस लेने में परेशानी, शरीर ठंडा या फीका पड़ना, उल्टी, दस्त या झटके आना शामिल है।
सेप्सिस क्यों होता है?
सेप्सिस ज्यादातर बैक्टीरियल इंफेक्शन से होता है, लेकिन वायरस और फंगल इंफेक्शन भी कारण बन सकते हैं। इसके आम कारण हैं। निमोनिया, यूरिन इंफेक्शन, पेट या अपेंडिक्स का इंफेक्शन, खून का इंफेक्शन, त्वचा के घाव या इंफेक्शन, अस्पताल में होने वाले इंफेक्शन शामिल है।
किसे ज्यादा खतरा?
- बुजुर्ग लोग
- नवजात और छोटे बच्चे
- गर्भवती महिलाएं
- अस्पताल में भर्ती मरीज
- डायबिटीज, किडनी या लिवर की बीमारी वाले लोग
- कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीज
बचाव कैसे करें?
- साफ-सफाई का ध्यान रखें
- टीकाकरण समय पर कराएं
- किसी भी इंफेक्शन का तुरंत इलाज कराएं
- घाव या सर्जरी के निशान को साफ रखें
- पुरानी बीमारियों को कंट्रोल में रखें


