Save Aravali:’राजस्थान की जनता चुनाव जिता सकती है, तो अरावली भी बचा सकती है’, टीकाराम जूली का बड़ा बयान

Save Aravali:’राजस्थान की जनता चुनाव जिता सकती है, तो अरावली भी बचा सकती है’, टीकाराम जूली का बड़ा बयान

अलवर। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान की जनता भोली है, चुनाव जिता सकती है, लेकिन इतनी ताकतवर भी है कि अरावली को बचा सकती है। वनमंत्री के खुद के मंत्रालय ने अरावली की पहाड़ी 100 मीटर तय करने के लिए कोर्ट से सिफारिश कराई। इसलिए कह रहा हूं बीजेपी के नेताओं ने डेथ वारंट पर साइन किया है। पूरी बीजेपी को भुगतना पड़ेगा। जूली सोमवार को मिनी सचिवालय के गेट के बाहर जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से आयोजित मनरेगा का नाम परिवर्तन व संशोधन करने के विरोध में आयोजित धरना-प्रदर्शन में बोल रहे थे।

टीकाराम जूली ने कहा कि मंत्री ने जब सरिस्का में किसानों की जमीन को सीटीएच में शामिल कर खान वाली भूमि को सीटीएच से बाहर कर दिया था। तभी उनके मन का पता चल गया था, लेकिन इतना नहीं सोचा था कि पूरे राजस्थान की अरावली माता को बेच देंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि देश व प्रदेश की अरावली पर्वतमालाओं को छलनी करने वाले खनन माफियाओं को किसी भी सूरत में पनपने नहीं देंगे। अरावली का यह मुद्दा कांग्रेस का नहीं बल्कि देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए जन आंदोलन बन गया है। सरकार को यह कानून वापस लेना पड़ेगा। अरावली की सम्पदा अपने उद्योगपति मि़त्रों को सौंपने वालों की साजिश कभी पूरी नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि या तो समझ आ जाए। नहीं आने वाले समय में पूरे राजस्थान में अभियान चलेगा। अलवर में भी बड़ा प्रदर्शन होगा। इस दौरान उपजिला प्रमुख ललिता मीणा, अजीत यादव, आर्यन जुबेर खान, पूर्व जिलाध्यक्ष योगेश मिश्रा, पुष्पेन्द्र धाबाई, दीनबन्धु शर्मा, जीतकौर सांगवान, विश्राम गुर्जर, राजेश कृष्ण सिद्ध, रमन, सैनी, रिपुदमन गुप्ता सहित अनेक कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित थे।

गरीबों का हक छीनने का बनाया प्लान

जूली ने कहा कि नरेगा से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाना उनकी दूसरी राजनीतिक हत्या के बराबर है। भगवान श्रीराम के नाम पर राजनीति करने वालों को उनसे सीखना चाहिए। हठधर्मी सरकार में मनरेगा का सिर्फ नाम ही नहीं बदला बल्कि गरीबों के हक को छीनने का प्लान किया जा रहा है।

गांधी के विचार, दर्शन को मिटाने की साजिश-गंगावत

जिलाध्यक्ष प्रकाश गंगावत ने कहा कि यह केवल एक योजना का नाम बदलने का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार, दर्शन और उनके नाम को सार्वजनिक स्मृति से मिटाने की एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश है। कांग्रेस विरोध करती है कि मनरेगा का नाम बदलने का कोई भी प्रयास स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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