Pollution in Delhi: दिल्ली में हवा की गुणवत्ता (AQI) लंबे समय से बेहद खराब बनी हुई है। सर्दियों के महीनों में तो AQI अक्सर बहुत गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है। इसी बढ़ते प्रदूषण के बीच अब स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है जो नई चिंता खड़ी कर दी है। दरअसल, रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में बीते तीन सालों में कई तरह के कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। मंगलवार को संसद में दिए गए लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2023 से 2025 तक का डेटा साझा किया। इसमें सामने आया कि दिल्ली में ओरल कैंसर (मुंह का कैंसर) और फेफड़ों के कैंसर के मामलों में साल दर साल तेज बढ़ोतरी हुई है।
क्या कहती हैं रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, ओरल कैंसर के मामलों में करीब 5.1% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं फेफड़ों के कैंसर के मामलों में भी 4.9% की वृद्धि हुई है। महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के मामले सबसे तेजी से बढ़े हैं। 2023 में जहां इसके 604 मामले थे, 2024 में यह संख्या 644 हो गई और 2025 में बढ़कर 686 तक पहुंच गई। वहीं, पुरुषों में भी ओरल कैंसर के मामले सामने आए हैं। 2023 में 2,429 मामले, 2024 में 2,569, और 2025 में बढ़कर 2,717 मामले दर्ज किए गए हैं। संख्या के लिहाज से देखें तो स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) दिल्ली में अब भी सबसे आम कैंसर बना हुआ है। 2023 में इसके 3,198 मामले, 2024 में 3,260, और 2025 में 3,321 मामले सामने आए हैं।
पुरुष और महिला दोनों में कैंसर के आंकडें
कुल मिलाकर ओरल कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर बन गया है। पुरुष और महिला दोनों को मिलाकर इसके मामले, 2023 में 2,901, 2024 में 3,051, और 2025 में 3,208 तक पहुंच गए। महिलाओं में ओरल कैंसर के मामले भी हल्के तौर पर बढ़े हैं, जो 2023 में 472 से बढ़कर 2025 में 491 हो गए हैं। हालांकि, एक राहत की बात यह है कि सर्वाइकल कैंसर के मामलों में महिलाओं के बीच गिरावट दर्ज की गई है। 2023 में 741 मामले, 2024 में 716, और 2025 में घटकर 692 रह गए। वहीं, पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। यह संख्या 2023 में 1,668 से बढ़कर 2025 में 1,814 हो गई। इसके अलावा, प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में भी लगातार इजाफा देखा गया है।
देश के कई बड़े शहरों में AAIR की बढ़ोतरी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि दिल्ली में कैंसर की आयु-समायोजित घटना दर (AAIR) देश के कई बड़े शहरों से ज्यादा है। 2015 से 2019 के बीच, पुरुषों में यह दर 146.7 प्रति लाख, और महिलाओं में 132.5 प्रति लाख दर्ज की गई थी। मंत्रालय का कहना है कि दिल्ली में AIIMS और राजीव गांधी कैंसर संस्थान जैसे बड़े अस्पताल मौजूद हैं। यहां उत्तर भारत और देश के अन्य हिस्सों से बड़ी संख्या में कैंसर मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिससे दिल्ली में दर्ज मामलों की संख्या भी ज्यादा दिखाई देती है। फिर भी, खराब AQI और बढ़ते कैंसर मामलों के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण और स्वास्थ्य के बीच संबंध को लेकर चिंता और सतर्कता दोनों की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है।
दिल्ली के कई इलाकों में AQI 350 के पार
आपको बता दें कि प्रदूषण की वजह से अभी भी दिल्ली की हालत नासाज बनी हुई है। वहीं, राजधानी के कई इलाकों में अभी भी धुंध छाई रहती है। अगर बात करें सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की तो उसके आंकड़ों के अनुसार, वजीरपुर, जहांगीरपुरी, नेहरू नगर, आईटीओ और रोहिणी समेत कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 के पार दर्ज किया गया। गौरतलब है कि AQI का स्तर 0–50 अच्छा, 51–100 संतोषजनक, 101–200 मध्यम, 201–300 खराब, 301–400 बहुत खराब और 401–500 गंभीर श्रेणी में माना जाता है।


