खगड़िया में भरतखंड थाना क्षेत्र के भरतखंड गांव में धारदार हथियार से हुए हमले में गंभीर रूप से घायल बीसीसीएल के सेवानिवृत्त कर्मी रामविलास राय की इलाज के दौरान मौत हो गई। 7 दिसंबर की शाम हुए इस हमले के बाद वे लगभग 16 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे। सोमवार सुबह भागलपुर के मायागंज अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। जानकारी के अनुसार, भरतखंड थाना से मात्र 400 मीटर दूर स्थित भरतखंड गांव में पड़ोसियों के साथ मामूली विवाद के बाद यह घटना हुई। आधा दर्जन से अधिक लोगों ने रामविलास राय के घर में घुसकर उन पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। इस हमले में उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं, जिससे वे मौके पर ही लहूलुहान होकर गिर पड़े थे। बार-बार फोन करने के बावजूद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची मृतक के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि घटना के तुरंत बाद वे भरतखंड थाना पहुंचे, लेकिन पुलिस ने न तो घायल की इंज्युरी रिपोर्ट काटी और न ही घटनास्थल पर पहुंचकर कोई ठोस कार्रवाई की। परिजनों के अनुसार, बार-बार फोन करने के बावजूद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। आनन-फानन में सीएचसी परबत्ता ले जाया गया इसके बाद घायल रामविलास राय को आनन-फानन में सीएचसी परबत्ता ले जाया गया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया था। परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस ने घटना के दो दिन बाद केवल मारपीट का मुकदमा दर्ज किया, जबकि घायल की हालत गंभीर बनी हुई थी। लगभग 15 दिनों तक पुलिस ने घायल का बयान लेने का कोई प्रयास नहीं किया। साठगांठ से मृतक पर भी झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया – परिजन रामविलास राय ने थाने में दिए अपने आवेदन में चंदन कुमार सहित पांच लोगों पर रंगदारी को लेकर घर में घुसकर मारपीट करने, गंभीर रूप से घायल करने और लूटपाट का आरोप लगाया था। परिजनों का यह भी आरोप है कि विरोधियों की साठगांठ से मृतक पर भी झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया, जिसके बाद पुलिस ने अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लिया। इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। घटना के इतने दिनों बाद भी भरतखंड पुलिस द्वारा किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं किए जाने से मृतक के परिवार में भारी आक्रोश व्याप्त है। परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते पुलिस ने गंभीरता दिखाई होती, तो शायद रामविलास राय की जान बचाई जा सकती थी। क्या कहते हैं थाना अध्यक्ष इस संबंध में भरतखंड थाना अध्यक्ष अंतिमा कुमारी ने बताया कि उस समय घायल को सामान्य चोटें बताई गई थीं और उन्हें इलाज के लिए जाने की सलाह दी गई थी। उन्होंने कहा कि घायल से लगातार संपर्क में रहने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी स्थिति बयान देने लायक नहीं थी, जिस कारण बयान दर्ज नहीं हो सका। उन्होंने यह भी बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। ”दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा” गोगरी एसडीपीओ अखिलेश कुमार ने बताया कि उन्होंने स्वयं मामले का संज्ञान लेते हुए थाना अध्यक्ष को कांड का भार ग्रहण करने और शीघ्र गिरफ्तारी का निर्देश दिया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मामले को हत्या की धारा में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी। मंगलवार को हुआ अंतिम संस्कार मंगलवार को पोस्टमॉर्टम के बाद मृतक रामविलास राय के शव को उनके पैतृक गांव लाया गया, जहां अगुवानी गंगा घाट पर पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण और परिजन मौजूद रहे। इस दौरान माहौल गमगीन बना रहा और लोगों में पुलिस प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश देखने को मिला। खगड़िया में भरतखंड थाना क्षेत्र के भरतखंड गांव में धारदार हथियार से हुए हमले में गंभीर रूप से घायल बीसीसीएल के सेवानिवृत्त कर्मी रामविलास राय की इलाज के दौरान मौत हो गई। 7 दिसंबर की शाम हुए इस हमले के बाद वे लगभग 16 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे। सोमवार सुबह भागलपुर के मायागंज अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। जानकारी के अनुसार, भरतखंड थाना से मात्र 400 मीटर दूर स्थित भरतखंड गांव में पड़ोसियों के साथ मामूली विवाद के बाद यह घटना हुई। आधा दर्जन से अधिक लोगों ने रामविलास राय के घर में घुसकर उन पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। इस हमले में उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं, जिससे वे मौके पर ही लहूलुहान होकर गिर पड़े थे। बार-बार फोन करने के बावजूद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची मृतक के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि घटना के तुरंत बाद वे भरतखंड थाना पहुंचे, लेकिन पुलिस ने न तो घायल की इंज्युरी रिपोर्ट काटी और न ही घटनास्थल पर पहुंचकर कोई ठोस कार्रवाई की। परिजनों के अनुसार, बार-बार फोन करने के बावजूद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। आनन-फानन में सीएचसी परबत्ता ले जाया गया इसके बाद घायल रामविलास राय को आनन-फानन में सीएचसी परबत्ता ले जाया गया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया था। परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस ने घटना के दो दिन बाद केवल मारपीट का मुकदमा दर्ज किया, जबकि घायल की हालत गंभीर बनी हुई थी। लगभग 15 दिनों तक पुलिस ने घायल का बयान लेने का कोई प्रयास नहीं किया। साठगांठ से मृतक पर भी झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया – परिजन रामविलास राय ने थाने में दिए अपने आवेदन में चंदन कुमार सहित पांच लोगों पर रंगदारी को लेकर घर में घुसकर मारपीट करने, गंभीर रूप से घायल करने और लूटपाट का आरोप लगाया था। परिजनों का यह भी आरोप है कि विरोधियों की साठगांठ से मृतक पर भी झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया, जिसके बाद पुलिस ने अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लिया। इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। घटना के इतने दिनों बाद भी भरतखंड पुलिस द्वारा किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं किए जाने से मृतक के परिवार में भारी आक्रोश व्याप्त है। परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते पुलिस ने गंभीरता दिखाई होती, तो शायद रामविलास राय की जान बचाई जा सकती थी। क्या कहते हैं थाना अध्यक्ष इस संबंध में भरतखंड थाना अध्यक्ष अंतिमा कुमारी ने बताया कि उस समय घायल को सामान्य चोटें बताई गई थीं और उन्हें इलाज के लिए जाने की सलाह दी गई थी। उन्होंने कहा कि घायल से लगातार संपर्क में रहने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी स्थिति बयान देने लायक नहीं थी, जिस कारण बयान दर्ज नहीं हो सका। उन्होंने यह भी बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। ”दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा” गोगरी एसडीपीओ अखिलेश कुमार ने बताया कि उन्होंने स्वयं मामले का संज्ञान लेते हुए थाना अध्यक्ष को कांड का भार ग्रहण करने और शीघ्र गिरफ्तारी का निर्देश दिया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मामले को हत्या की धारा में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी। मंगलवार को हुआ अंतिम संस्कार मंगलवार को पोस्टमॉर्टम के बाद मृतक रामविलास राय के शव को उनके पैतृक गांव लाया गया, जहां अगुवानी गंगा घाट पर पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण और परिजन मौजूद रहे। इस दौरान माहौल गमगीन बना रहा और लोगों में पुलिस प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश देखने को मिला।


