आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने डिजिटल अरेस्ट और अन्य फाइनेंसियल फ्रॉड से बुजुर्गों को बचाने के लिए नई पहल शुरू की है। ईओयू अब आरबीआई के अधिकारियों के साथ मिल कर रिटायर्ड बुजुर्गों को साइबर सुरक्षा की सीख दे रही है। रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली एकमुश्त राशि लेने के लिए बैंक पहुंचने वाले बुजुर्गों को सतर्क किया जा रहा है। बैंक पहुंचने वाले सीनियर सिटीजन से बैंक के अधिकारी पहले बातचीत करते हैं। फिर उन्हें डिजिटल अरेस्ट या साइबर फ्रॉड से बचने का तरीका बताया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि किस तरह बुजुर्गों से ठगी की जा रही है। साइबर अपराधी किस तरह ऑनलाइन ट्रेडिंग या निवेश का झांसा देकर लाखों रुपए हड़प रहे हैं। साथ ही बुजुर्ग के घर वालों को भी बैंकों में अब साइबर ठगी के बचने के उपाया बताए जा रहे हैं। साइबर ठगी के मामलों की समीक्षा के बाद पाया कि शातिर डिजिटल अरेस्ट और ट्रेडिंग में मुनाफ के नाम पर बुजुर्गों के साथ अधिक ठगी करते हैं। पटना जिले में ऐसे दो-तीन मामले आए हैं। एनएमसीएच के रिटायर्ड डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर बदमाशों ने 74 लाख रुपए ठग लिए थे। ईओयू ने डिजिटल अरेस्ट के वैसे मामले, जिसमें 10 लाख से अधिक की ठगी की गई है, उसकी समीक्षा की गई है। ऐसे 130 मामले अब तक सामने आए हैं। डिजिटल अरेस्ट के 75 मामले ईओयू में दर्ज हैं। ईओयू कुल 83 मामलों की निगरानी कर रही है। निवेश पर मुनाफे का झांसा देकर 2.20 लाख रुपए ठगे साइबर अपराधियों ने चार लोगों से ठगी की है। सभी मामले साइबर थाने में दर्ज किए गए हैं। पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है। कुणाल कुमार सिंह को शातिर ने निवेश करने पर मुनाफा मिलने का झांसा दिया। शातिर ने उन्हें शुरू में कम पैसे लगाने को कहा। वे जिस एप पर पैसे लगाते थे, उस पर उन्हें मुनाफा भी दिखने लगा। फिर शातिर के कहने पर बारी-बारी से उन्होंने 2.20 लाख रुपए निवेश कर दिए। जब वे वापस मुनाफा के साथ पैसा मांगने लगे तब उन्हें पता चला कि वे ठगी का शिकार हो गए हैं। वहीं, छपरा के सुजीत कुमार पटना में रहते हैं। शातिर ने खुद को क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट से बताया और उनसे करीब एक लाख की ठगी कर ली। इसी तरफ फुलवारी के वीरेंद्र कुमार के क्रेडिट कार्ड से शातिरों ने 1.97 लाख की निकासी कर ली। रूपसपुर के धर्मेंद्र कुमार से शातिरों ने 1.99 लाख रुपए की ठगी कर ली। साइबर ठगी से ऐसे बचें… आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने डिजिटल अरेस्ट और अन्य फाइनेंसियल फ्रॉड से बुजुर्गों को बचाने के लिए नई पहल शुरू की है। ईओयू अब आरबीआई के अधिकारियों के साथ मिल कर रिटायर्ड बुजुर्गों को साइबर सुरक्षा की सीख दे रही है। रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली एकमुश्त राशि लेने के लिए बैंक पहुंचने वाले बुजुर्गों को सतर्क किया जा रहा है। बैंक पहुंचने वाले सीनियर सिटीजन से बैंक के अधिकारी पहले बातचीत करते हैं। फिर उन्हें डिजिटल अरेस्ट या साइबर फ्रॉड से बचने का तरीका बताया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि किस तरह बुजुर्गों से ठगी की जा रही है। साइबर अपराधी किस तरह ऑनलाइन ट्रेडिंग या निवेश का झांसा देकर लाखों रुपए हड़प रहे हैं। साथ ही बुजुर्ग के घर वालों को भी बैंकों में अब साइबर ठगी के बचने के उपाया बताए जा रहे हैं। साइबर ठगी के मामलों की समीक्षा के बाद पाया कि शातिर डिजिटल अरेस्ट और ट्रेडिंग में मुनाफ के नाम पर बुजुर्गों के साथ अधिक ठगी करते हैं। पटना जिले में ऐसे दो-तीन मामले आए हैं। एनएमसीएच के रिटायर्ड डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर बदमाशों ने 74 लाख रुपए ठग लिए थे। ईओयू ने डिजिटल अरेस्ट के वैसे मामले, जिसमें 10 लाख से अधिक की ठगी की गई है, उसकी समीक्षा की गई है। ऐसे 130 मामले अब तक सामने आए हैं। डिजिटल अरेस्ट के 75 मामले ईओयू में दर्ज हैं। ईओयू कुल 83 मामलों की निगरानी कर रही है। निवेश पर मुनाफे का झांसा देकर 2.20 लाख रुपए ठगे साइबर अपराधियों ने चार लोगों से ठगी की है। सभी मामले साइबर थाने में दर्ज किए गए हैं। पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है। कुणाल कुमार सिंह को शातिर ने निवेश करने पर मुनाफा मिलने का झांसा दिया। शातिर ने उन्हें शुरू में कम पैसे लगाने को कहा। वे जिस एप पर पैसे लगाते थे, उस पर उन्हें मुनाफा भी दिखने लगा। फिर शातिर के कहने पर बारी-बारी से उन्होंने 2.20 लाख रुपए निवेश कर दिए। जब वे वापस मुनाफा के साथ पैसा मांगने लगे तब उन्हें पता चला कि वे ठगी का शिकार हो गए हैं। वहीं, छपरा के सुजीत कुमार पटना में रहते हैं। शातिर ने खुद को क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट से बताया और उनसे करीब एक लाख की ठगी कर ली। इसी तरफ फुलवारी के वीरेंद्र कुमार के क्रेडिट कार्ड से शातिरों ने 1.97 लाख की निकासी कर ली। रूपसपुर के धर्मेंद्र कुमार से शातिरों ने 1.99 लाख रुपए की ठगी कर ली। साइबर ठगी से ऐसे बचें…


