मार्केट वैल्यूएशन के हिसाब से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 4 की वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में ₹95,447 करोड़ बढ़ी है। इस दौरान देश की सबसे बड़ी प्राइवेट सेक्टर कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज टॉप गेनर रही। कंपनी का मार्केट कैप ₹47,431 करोड़ बढ़कर ₹20.12 लाख करोड़ हो गया है। वहीं, सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर बैंक SBI का मार्केट कैप इस दौरान ₹30,092 करोड़ बढ़कर ₹8.65 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। बजाज फाइनेंस की वैल्यू ₹29,090 करोड़ कम हुई वहीं, टॉप-10 में से 6 कंपनी की वैल्यू ₹91,686 करोड़ गिरी है। इस दौरान बजाज फाइनेंस टॉप लूजर रही। कंपनी की वैल्यू इस दौरान ₹29,090 करोड़ कम होकर ₹6.49 लाख करोड़ पर आ गया है। वहीं, ICICI बैंक ने इस दौरान अपनी वैल्यूएशन ₹21,619 करोड़ गंवाई और अब यह ₹9.61 लाख करोड़ रह गया है। शुक्रवार को 466 अंक गिरकर बंद हुआ था बाजार हफ्ते के आखिरी कारोबार दिन शुक्रवार, 31 अक्टूबर को सेंसेक्स 466 अंक गिरकर 83,939 पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 155 अंक की गिरावट रही, ये 25,722 पर क्लोज हुआ। दिनभर के कारोबार के दौरान बाजार में 800 अंकों का उतार-चढ़ाव रहा। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 25 में गिरावट रही। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स का शेयर 4% चढ़ा। वहीं, जोमैटो, NTPC और कोटक बैंक में 3.5% तक की गिरावट रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 41 नीचे बंद हुए। NSE के IT, मीडिया और मेटल शेयर में ज्यादा गिरावट देखने को मिली। वहीं, सरकारी बैंक और ऑयल एंड गैस शेयर्स में ज्यादा खरीदारी हुई। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है। इसे एक उदाहरण से समझें… मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी। कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं… मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है? कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है। निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं। उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।
रिलायंस की वैल्यू इस हफ्ते ₹47,431 करोड़ बढ़ी:टॉप-10 कंपनियों में 4 का मार्केट कैप ₹95,447 करोड़ बढ़ा; जानें क्या होता है मार्केट कैप


