चीन से भारत आएगा रेयर अर्थ मैग्नेट:भारतीय कंपनियों को लाइसेंस देना शुरू किया; EV, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल में सबसे ज्यादा इस्तेमाल

चीन से भारत आएगा रेयर अर्थ मैग्नेट:भारतीय कंपनियों को लाइसेंस देना शुरू किया; EV, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल में सबसे ज्यादा इस्तेमाल

चीन ने भारतीय कंपनियों और भारत में काम कर रही विदेशी कंपनियों को ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ (REM) निर्यात करने के लिए लाइसेंस जारी करना शुरू कर दिया है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इन एप्लीकेशंस को प्रोसेस करना और मंजूरी देना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ समय से इन महत्वपूर्ण कच्चे माल की सप्लाई रुकने की वजह से भारतीय ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में चिंता बनी हुई थी, जो अब धीरे-धीरे दूर हो सकती है। लाइसेंस पाने वाली कंपनियों में जय उशिन, जर्मन ऑटो कंपोनेंट मेकर कॉन्टिनेंटल एजी की भारतीय यूनिट्स, महिंद्रा और मारुति सुजुकी के वेंडर्स के साथ-साथ होंडा स्केट्स और मोटरसाइकिल के सप्लायर्स शामिल हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यह अभी एक धीमी शुरुआत है, लेकिन प्रोसेस शुरू होने से इंडस्ट्री ने राहत की सांस ली है। क्यों जरूरी है रेयर अर्थ मैग्नेट? रेयर अर्थ मैग्नेट ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज और डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी होते हैं। इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) की मोटर्स में इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। चीन इस समय दुनिया भर में रेयर अर्थ मैग्नेट के प्रोडक्शन और कैपेसिटी के मामले में सबसे आगे है। 4 अप्रैल से चीन ने इन मैग्नेट्स के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगा दी थी, जिससे पूरी दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी। गाड़ी में रेयर अर्थ मटेरियल्स का इस्तेमाल कहां होता है रेयर मटेरियल्स का इस्तेमाल खास तौर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों में किया जाता है। इनका उपयोग परमानेंट मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए कॉम्पेक्ट और हाई परफॉर्मेंस मेग्नेट बनाने के लिए किया जाता है। नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम और टेरबियम जैसे तत्वों से बने ये चुंबक, मोटरों को छोटे, हल्के और अन्य ऑप्शन की तुलना में ज्यादा एफिशिएंट बनाते हैं, जो ईवी की रेंज और परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है। इनका इस्तेमाल ICE वाली गाड़ियों में लगने वाले केटेलिक कन्वर्टर्स जैसे ऑटो कंपोनेंट्स में भी किया जाता है। इसके अलावा ईवी और ICE दोनों तरह के व्हीकल में लगने वाले कई सिस्टम में सेंसर से लेकर डिस्प्ले तक में इन धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की करीब 70% हिस्सेदारी ग्लोबल लेवल पर रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की हिस्सेदारी करीब 70% और प्रोडक्शन में करीब 90% तक है। चीन ने हाल ही में अमेरिका के साथ बढ़ती ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। अमेरिका के साथ विवाद का असर भारत पर पड़ा बीजिंग ने अमेरिका की ओर से चीनी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाए जाने के जवाब में यह एक्सपोर्ट लाइसेंसिंग नियम लागू किए थे। इन नियमों के तहत चीनी सेलर्स को एक्सपोर्ट क्लीयरेंस तभी मिलता है, जब इंपोर्टर यह गारंटी दे कि इन मैटेरियल्स का इस्तेमाल डिफेंस से जुड़े कामों या ‘डुअल-यूज’ (दोहरे उपयोग) के लिए नहीं होगा। यह प्रोसेस काफी जटिल और लंबा है, जिसकी वजह से सप्लाई में देरी हो रही थी। भारत सरकार की बातचीत का असर पिछले 6 महीनों से भारत सरकार चीनी अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में थी। जून में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने नई दिल्ली दौरे के समय विदेश मंत्री एस जयशंकर को भरोसा दिलाया था कि बीजिंग रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर लगी पाबंदियों में ढील देगा। भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने सरकार को आगाह किया था कि अगर चीन से सप्लाई में देरी हुई, तो कंपनियों का प्रोडक्शन शेड्यूल और खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का निर्माण बुरी तरह प्रभावित होगा।

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