वर्ल्ड मेडिटेशन डे के अवसर पर 21 दिसंबर को ब्रह्माकुमारीज़ गोमती नगर केंद्र में एक भव्य राजयोग मेडिटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ‘विश्व एकता एवं विश्वास के लिए योग/मेडिटेशन’ थीम पर आधारित था। इसका उद्देश्य वर्तमान की मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक चुनौतियों के बीच लोगों को आंतरिक शांति, सकारात्मक शक्ति और आपसी एकता का अनुभव कराना था। इसमें बड़ी संख्या में साधक, बुद्धिजीवी और शहर के गणमान्य लोग शामिल हुए। कार्यक्रम के शुभारंभ पर गोमती नगर केंद्र की इंचार्ज राजयोगिनी राधा दीदी ने योग और मेडिटेशन के बीच के अंतर को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि योग मुख्य रूप से शारीरिक अभ्यास से संबंधित है, जबकि मेडिटेशन का सीधा संबंध मन और आत्मा से होता है। महाभारत के प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने समझाया कि जिस प्रकार अर्जुन युद्धभूमि में मोह, निराशा और द्वंद्व में फंस गए थे, उसी प्रकार आज का मानव भी क्रोध, तनाव और भ्रम से घिरा हुआ है। परमपिता परमात्मा का संरक्षण हर क्षण हमारे साथ है राधा दीदी ने आगे कहा कि उस समय अर्जुन के साथ श्रीकृष्ण थे, लेकिन आज का मानव स्वयं को अकेला महसूस करता है। उन्होंने जोर दिया कि वास्तविकता यह है कि व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता, परमपिता परमात्मा का संरक्षण हर क्षण हमारे साथ है, बस हम उससे जुड़ना भूल गए हैं। उन्होंने मन की स्थिति की तुलना बैटरी से करते हुए कहा कि जैसे बैटरी को समय-समय पर चार्ज करना आवश्यक है, वैसे ही मन को भी। मेडिटेशन के माध्यम से जीव परमात्मा से जुड़ जाता हैं उन्होंने यह भी बताया कि आज का मानव प्रेम, शांति, खुशी और सुख दूसरों से प्राप्त करने की अपेक्षा करता है। जबकि राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से जब वह परमात्मा से जुड़ता है, तो वह इन गुणों को अपने भीतर ही अनुभव करने लगता है।कार्यक्रम में राजयोगिनी स्वर्णलता दीदी ने राजयोग मेडिटेशन की विधि को प्रायोगिक अभ्यास के माध्यम से समझाया। इस अवसर पर डायरेक्टर जनरल टेक्निकल एजुकेशन, उत्तर प्रदेश अविनाश कृष्ण, सुरजीत एवं प्रसिद्ध शिक्षाविद् रविंद्र अग्रवाल विशिष्ट अतिथियों के रूप में उपस्थित रहे।


