गोरखपुर के असुरन चौक से बिछिया की ओर जाने वाले कौवा बाग रोड पर काफी दूर तक लोहे बाजार लगा हुआ है। राजस्थान से आए लोग बाजार लगाए हैं। जहां कीचन से संबंधित लोहे सारे सामान सस्ते दाम में मिल रहे हैं। इन सामानों ने शहरवासियों का ध्यान खींचा है। ये सभी दुकानें राजस्थानियों की हैं। दशहरे के समय वे लोग यहां आकर अपनी दुकान लगाएं और अगले 2 महीने तक यहीं रहेंगे। आते-जाते लोग जिनकी भी नजर इन सामानों पर पड़ रही है, रुक कर एक बार जरूर देख रहे हैं। पसंद आने पर कुछ ना कुछ जरूर खरीद भी रहे। यहां किचन से संबंधित सभी तरह के बर्तन उपलब्ध है। चाकू से लेकर, पैन, कढ़ाई और ओखली सब कुछ है यहां। खास बात यहां है कि इन सामानों को ये लोग खुद अपनी हाथों से बनाते हैं। मशीन का बहुत काम उपयोग करते हैं। 20 परिवार के लोग आए
एक साथ यहां लगभग 20 परिवार आया है। जिसमें लगभग 50 लोग शामिल हैं। परिवार के सभी छोटे- बड़े लोग पूरी व्यवस्था के साथ यहां आएं हैं। सुबह ही दुकान लगा देते हैं और रात तक बेचते हैं। इंडक्शन पर भी बनेगा खाना ये सभी बर्तन इस तरह बनाए गए हैं कि लोहे के होने के बावजूद नॉनस्टिक का काम करेगा। इन बर्तनों में खाना इंडक्शन चूल्हे पर भी पका सकते हैं। 4 महीनों में तैयार करते बर्तन
बरतन बेचने वाले दिलीप लोहार ने बताया- हम हर साल 4 महीने इन बर्तनों को बनाते हैं। पूरा परिवार मिल कर काम करता है। ये सभी बर्तन हैंडमेड हैं। जिसके आकार का हम खुद गढ़ते हैं। जिसके लिए मशीन का इस्तेमाल सिर्फ फिनिशिंग देने के लिए करते हैं। 8 महीने घूम कर बेचते
दिलीप ने बताया- आठ महीनों तक हम जगह- जगह जा कर इन बर्तनों को बेचते हैं। ज्यादातर त्योहारों वाले सीजन में ही दुकान लगाते हैं। मई से अगस्त के बीच में चार महीने तक इन बर्तनों को बनाते हैं। उसके बाद अगले आठ महीनों तक बेचते हैं। सबसे अच्छा रिस्पांस मिलता दिलीप ने बताया- हम लोग पिछले दो सालों से यहां आ रहे हैं। यह तीसरा साल है। पहले साल ही हमें यहां बहुत अच्छा रिस्पांस मिला। जिसके बाद हर साल आना शुरू किया। जब तक ऐसे ही प्रॉफिट होता रहेगा तब तक यहां हमेशा आएंगे। दूर-दूर से खरीदने आ रहे लोग
दिलीप ने बताया- हर साल की तरह इस साल भी यहां के लोग हमारे बर्तनों को काफी पसंद कर रहे हैं। दूर-दराज से लोग खरीदने भी आ रहे हैं। इधर से गुजरने वाले ज्यादातर लोग रूककर एक बार जरूर देखते हैं। लोहे की कढ़ाई का सबसे ज्यादा डिमांड
दिलीप ने बताया- वैसे तो सभी बर्तन खूब बिक रहे हैं। लेकिन जबसे छठ नजदीक आया है, तबसे लोहे की कढ़ाई लोग ज्यादा खरीद रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर साइज की कढ़ाई की डिमांड है। इसके साथ ही पैन और डोसा तवा भी लोग खरीद रहे हैं। वाराणसी, प्रयाग राज के साथ लखनऊ भी जाते दिलीप ने बताया- यूपी के लगभग सभी प्रदेश में जिले में जाकर हम इन सामानों को बेचते हैं। आगरा, लखनऊ, बरेली, प्रयागराज, मथुरा,वाराणसी और अन्य।इसके अलावा जिन जगहों पर मेले लगते हैं उन जगहों पर जा कर भी बेचते हैं। दशहरा का मेला देख कर ही हम गोरखपुर भी आएं। वर्षों से चली आ रही परंपरा
दिलीप ने बताया- बरतें बनाने का यह काम हमारे पूर्वज करते आएं है। उनके काम को हम लोग आगे बढ़ा रहे हैं। हम लोगों का काम ही यही है कि बर्तनों को बनाकर घूम-घूम बेचना। समुदाय के सभी लोग यही काम करते हैं। 4000 की होती बिक्री
दिलीप ने बताया- मेरे दुकान पर एक दिन लगभग चार से पांच हजार तक की बिक्री हो जाती हैं। ऐसे ही सभी दुकानों पर होती है। 10-12 दुकानें लगी
कौवा बाग रोड पर इन लोगों के 20 परिवारों ने मिलकर लगभग 10 से 12 दुकानें लगाई है। एक चट्टी बिछा कर उस पर सभी सामानों को सजा दिया गया है। पास में ही टेंट डाल कर रहते भी हैं। खरीदारों ने कहा…
कढ़ाई खरीदने वाले अशोक ने बताया- लोहे का बर्तन आजकल हर जगह नहीं मिलता। रास्ते में यह दुकान दिखी तो काफी अच्छा लगा। मुझे कढ़ाई पसंद आ गई तो ले भी लिया। देवरिया के हरि गोविंद यादव ने कहा- हैंडमेड समान बहुत अच्छा लगा। लोहे में खाना पकाना अच्छा होता है। खास कर तलने वाली चीजों के लिए। इसलिए मैंने एक कढ़ाई खरीदी है घर के लिए। लोहे के बर्तन और रेट
दाल तड़का-150 रुपए
डोसा तवा-150-500 रुपए
रोटी तवा-150-500 रुपए
गोल्डन कढ़ाई- 200-2000 रुपए
इंडक्शन कढ़ाई- 200-1000 रुपए
आमलेट तावा-150-300 रुपए
चाकू-10-40 रुपए
खुरपी -30-100 रुपए
कुल्हाड़ी-200-500 रुपए
बड़ा पल्टा- 200-400 रुपए
बड़ा करछुल- 150-250 रुपए
आम काटने का सरौता – 150-250 रुपए
झारा- 50-250 रुपए
हसुआ 150-250 रुपए
फ्राई पैन-150-1000 रुपए
चाऊमीन पैन -200-1000 रुपए
जलेबी पैन- 200-400 रुपए
सड़सी- 50 रुपए


