नमस्कार नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा सीकर के लक्ष्मणगढ़ पहुंचे। यूनिटी मार्च में शामिल हुए। मार्च के रूट पर आए कीचड़ और गड्ढों ने नगरीय विकास की पोल खोल दी। ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी पर फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी पाने का आरोप लगाने और शिकायत करने वाले पर बदमाशों ने हमला कर दिया। नागौर में किसान ने खेत में 500-500 के नोट बो दिए। राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी की ऐसी ही खरी-खरी बातें पढ़िए, आज के इस एपिसोड में… 1 यूनिटी मार्च में खुली विकास की पोल विकास हो या नहीं हो। यूनिटी होनी चाहिए। यूनिटी का मतलब एकता है। एक हैं तो सेफ हैं। वरना पता नहीं कौन सा भैंगज आ जाएगा। सरदार पटेल को याद किया जा रहा है। उन्होंने देश को जोड़ा था। उन्हीं की याद में एकता पदयात्रा को यूनिटी मार्च के नाम से निकाला जा रहा है। सीकर के लक्ष्मणगढ़ में भी यह मार्च निकला। नगरीय विकास मंत्रीजी ने हरी झंडी दिखाई। इसके बाद मंत्रीजी खुद तिरंगा झंडा लेकर शहर की सड़कों पर निकले। रास्ते में कई जगह कीचड़ और गड्ढे। एकता की राह में बाधाएं तो आती ही हैं। ये बाधाएं मामूली हैं। मंत्रीजी और तमाम पदयात्री बाधाओं को लांघकर या दूर होकर निकल गए। दो गड्ढे आपस में बात करने लगे। एक ने कहा- नगरीय विकास मंत्री के आने की खबर सुनकर तो मैं घबरा ही गया। एक बार तो लगा तुरत-फुरत हम पर डामर डालकर चूना बिखेर दिया जायेगा। लेकिन बच गए। दूसरे गड्ढे ने कहा- जनता को एकता चाहिए। एकता का नारा इस कदर बुलंद होना चाहिए कि विकास का कोई नाम ही न ले। दूसरे गड्ढे की बात पर पास में जमा कीचड़ हंसने लगा। 2. स्कूटी सवार ‘शिकायतकर्ता’ पर हमला बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी। किसी दिन तो चांद दिखेगा, कभी तो ईद आएगी। महोदय बड़े होशियार बन रहे थे। महोदय ने सीधे विधायकजी से पंगा ले लिया था। उन्हें क्या मतलब था कि विधायकजी की बेटी कितना परसेंट दिव्यांग है? उन्हें इससे क्या कि उसका सर्टिफिकेट सच्चा है या झूठा है? वह कुछ भी करके नायब तहसीलदार बन गई तो महोदय का क्या बिगड़ गया। लेकिन महोदय को होशियार बनना था, बन गए। शिकायत कर दी। दुनियाभर में खबरें छप गईं। विधायकजी का नाम खराब हुआ। महोदय काली स्कूटी से कहीं जा रहे थे। दूसरे वाहनों पर सवार होकर कुछ लोग आए और महोदय को रोक कर थप्पड़ रख दिया। वे बचकर एक दुकान की तरफ भागे। हमलावर भी पीछा करते हुए दौड़े। फिर पकड़कर सड़क पर गिराया और लात-घूंसे, बेल्ट बरसा दी। अब कौन लोग थे? क्यों पीट गए? ये जांच का विषय है। महोदय भी सोच रहे होंगे कि पिछले कुछ बरसों में किस-किसकी शिकायत की थी। 3. किसान ने खेत में बो दिए नोट बचपन में अधिकतर लोगों ने पैसे के पेड़ के सपने देखे होंगे। मेला खर्ची में मिले सिक्के मिट्टी में इस उम्मीद से दबाए होंगे कि चिल्लर का पेड़ उग आएगा। जवानी में इन्हीं युवाओं का सामना पिताजी के इस महत्वपूर्ण प्रश्न से भी हुआ होगा- पैसा क्या पेड़ पर लगता है? न पैसा बोने से पेड़ उगता है और न ही पैसा पेड़ों पर लगता है। यह बात एक किसान से बेहतर कौन जान सकता है? फिर भी नागौर में एक किसान ने खेत में 500-500 के चार हजार रुपए बो दिए। सिंचाई के लिए पानी भी छोड़ दिया। दरअसल, किसान को नोटों की फसल नहीं उगानी। अपनी तकलीफ को व्यक्त करने का उसे यही तरीका समझ आया। किसान मल्लाराम ने बैंक से 1 लाख रुपए कर्ज लेकर कपास की फसल लगाई। जब उपज हासिल करने का वक्त आया तो इतनी बारिश हुई कि खेतों में घुटनों तक पानी भर गया। महीनों दिन-रात की मेहनत के बाद उपज हुई सिर्फ 4 हजार रुपए की। विभागों के चक्कर काटे लेकिन न मुआवजा मिला और न ही बीमा राहत। परेशान होकर किसान ने उपज के 4 हजार रुपए पूरे खेत में रोप दिए। 4. चलते-चलते… अपने प्रोफेशन में इनोवेशन करते रहने चाहिए। अगर आप अपडेट नहीं होंगे तो दूसरे लोग आपसे आगे निकल जाएंगे। इस तरह के संवाद प्रोफेशनल्स की मैनेजमेंट मीटिंग्स में अक्सर सुनने को मिलते हैं। भीलवाड़ा में एक चोर ने इसे अपने काम में अप्लाई किया। उसने महसूस किया कि रात के वक्त शटर और ताले तोड़ने के लिए अलग-अलग आकार-प्रकार के औजारों की जरूरत पड़ती है। लेकिन चोर ज्यादा वजन घसीट नहीं सकता। ऐसे में चोर ने अपने आप को अपडेट करते हुए फोल्डिंग औजार ईजाद किया। इस तरह अपने आप को उसने इतना अपडेट कर लिया कि अलग-अलग थानों में उसके खिलाफ 27 मामले दर्ज हो गए। हालांकि चोर को पुलिस ने पकड़ लिया है और उसका औजार भी बरामद कर लिया है और अब पुलिस इस इनोवेशन के लिए ‘डिग्री’ देने के लिए भी तैयार है। वीडियो देखने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें। अब कल मुलाकात होगी…


