PSC Liver Disease medicine : लिवर की कई बीमारियों का इलाज हो जाता है। पर लिवर की कई दुर्लभ बीमारियां (Liver Rare Disease) भी हैं जिनका उपचार करने के लिए वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, प्राइमरी स्केलेरोसिंग कोलैंजाइटिस (PSC) के लिए नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार के परिणाम से उम्मीद जगी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब लिवर की दुर्लभ बीमारी PSC का इलाज संभव होते नजर आ रहा है।
PSC के रोगियों में सुरक्षित और प्रभावी- कैलिफोर्निया विवि
एक नए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार ने प्राथमिक स्केलेरोसिंग कोलैंजाइटिस (PSC) नामक एक दुर्लभ लिवर रोग के लिए कमाल के रिजल्ट दिए हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-डेविस (UC Davis) की टीम ने नेबोकिटग (Nebokitug) नामक एक सूजन-रोधी और एंटी-फाइब्रोटिक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का परीक्षण किया। साथ ही इसे PSC के रोगियों में सुरक्षित और संभावित रूप से प्रभावी भी पाया।
PSC रोगियों के जीवन को बदलने की क्षमता
‘अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी’ में प्रकाशित ये परिणाम PSC के रोगियों के लिए उम्मीद की तरह हैं। उनके लिए अच्छी खबर है। क्योंकि वर्तमान में लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा इसका कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है। UC डेविस हेल्थ में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी के हेड क्रिस्टोफर बाउलस ने कहा, “परीक्षण में, नेबोकिटग ने दिखाया कि इसमें फाइब्रोसिस और सूजन को कम करके PSC रोगियों के जीवन को बदलने की क्षमता है।”
दुर्लभ लिवर बीमारी PSC क्या है?
पीएससी (PSC) एक दुर्लभ और पुरानी लिवर की बीमारी है। इसमें पित्त नलिकाओं (bile ducts) में सूजन पैदा करती है। ये नलिकाएं लिवर से छोटी आंत तक पित्त ले जाती हैं ताकि वसा को पचाने में मदद मिल सके। जब ये डैमेज और संकरी हो जाती हैं, तो पित्त लिवर में जमा होने लगता है, जिससे समय के साथ लिवर को नुकसान पहुंचता है। इतना ही नहीं लिवर फेलियर के चांसेज भी काफी बढ़ जाते हैं।
पीएससी (PSC) के लक्षण
इसके लक्षणों में थकान, खुजली और पीलिया शामिल हो सकते हैं, हालांकि कुछ लोगों में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखते और काफी समय बाद इस बीमारी का पता चलता है।
नेबोकिटग परीक्षण के परिणाम
फेज 2 के परीक्षण के लिए, पांच देशों के 76 PSC रोगियों को शामिल किया गया। उन्हें 15 सप्ताह तक हर तीन सप्ताह में IV के माध्यम से नेबोकिटग की दो अलग-अलग खुराक या ‘प्लेसबो’ (Placebo) दी गई। इसके बाद इन मरीजों में काफी हद तक सुधार देखने को मिला।


