कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल ने सोमवार को साफ कहा कि भारत कभी अपना डेयरी सेक्टर नहीं खोलेगा। मीडिया ब्रीफिंग में भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की डिटेल्स बताते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के हित को सबसे ऊपर रखा गया है। गोयल ने कहा, हमने भारत-न्यूजीलैंड ट्रेड डील में चावल, गेहूं, डेयरी, सोया और अन्य कृषि उत्पादों जैसे संवेदनशील सेक्टर्स को किसी भी तरह की बाजार पहुंच नहीं दी है। दरअसल अमेरिका भारतीय बाजार में कई बार अपने डेयरी प्रोडक्ट्स और जेनेटिकली मोडिफाइड अनाज को बेचने की मांग कर चुका है। गोयल का यह बयान ऐसे समय जब अमेरिका और भारत ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बातचीत एडवांस स्टेज में है। डेयरी प्रोडक्ट्स को लेकर भारत-अमेरिका के बीच विवाद अमेरिका चाहता है कि उसके डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, घी को भारत में आयात की अनुमति मिले। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस सेक्टर में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं। भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आएंगे, तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई हैं। अमेरिका में गायों को बेहतर पोषण के लिए जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे रैनेट) को उनके खाने में मिलाया जाता है। भारत ऐसी गायों के दूध को ‘नॉन वेज मिल्क’ यानी मांसाहारी दूध मानता है। भारत मॉडिफाइड फसलों पर पाबंदी हटाने के पक्ष में नहीं इसके साथ ही अमेरिका चाहता है कि गेहूं, चावल, सोयाबीन, मक्का और फलों जैसे सेब, अंगूर आदि को भारत के बाजार में कम टैक्स पर बेचा जा सके। वह चाहता है कि भारत इन पर अपनी इम्पोर्ट ड्यूटी को कम करे। वहीं, भारत अपने किसानों की सुरक्षा के लिए इन पर हाई टैरिफ लगाता है, ताकि सस्ते आयात से भारतीय किसान प्रभावित न हों। इसके अलावा, अमेरिका GMO फसलों को भी भारत में बेचने की कोशिश करता रहा है, लेकिन भारत सरकार और किसान संगठन इसका कड़ा विरोध करते हैं। भारत में मॉडिफाइड फसलों का विरोध क्यों? जीन बदलकर बनाई गई फसल को जेनेटिकली मॉडिफाइड ऑर्गैनिज्म्स (GMO) कहते हैं। अमेरिका दुनिया में GMO फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। भारत ने कपास के अलावा बाकी सभी मॉडिफाइड फसलों पर रोक लगा रखी है। ये मॉडिफाइड फसलें वैज्ञानिक तरीके से बनाई जाती हैं। भारत में बीज और खाद्य सुरक्षा पर विदेशी कंपनियों का नियंत्रण राष्ट्रीय हित के खिलाफ माना जाता है। भारत अगर इसकी अनुमति दे देता है तो खेती-किसानी पर अमेरिकी कंपनियों का वर्चस्व बढ़ सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे मुद्दे को लेकर भी इस फसल पर सवाल उठते रहे हैं।
पीयूष गोयल बोले- भारत कभी अपना डेयरी सेक्टर नहीं खोलेगा:अमेरिका के साथ ट्रेड डील एडवांस स्टेज में; डेयरी-एग्री सेक्टर में भारत की सख्ती बरकरार


