लखीसराय सदर अस्पताल का PICU वार्ड 10 महीने से बंद:एक्सपर्ट डॉक्टरों और ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ की कमी बनी संचालन में बड़ी बाधा

लखीसराय सदर अस्पताल का PICU वार्ड 10 महीने से बंद:एक्सपर्ट डॉक्टरों और ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ की कमी बनी संचालन में बड़ी बाधा

लखीसराय सदर अस्पताल में बच्चों के गंभीर उपचार के लिए तैयार किया गया PICU (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) वार्ड लगभग दस महीने से बंद पड़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 6 फरवरी को अपनी प्रगति यात्रा के दौरान इसका उद्घाटन किया था। विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की कमी के कारण यह महत्वपूर्ण वार्ड अब तक संचालित नहीं हो पाया है। करीब 2.39 करोड़ रुपए की लागत से बने इस आधुनिक वार्ड में कुल 39 बेड की व्यवस्था है, जिनमें 6 बेड आईसीयू के लिए निर्धारित हैं। यह यूनिट 1 साल से लेकर 17 साल तक के बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है, ताकि उन्हें जिले में ही बेहतर और उन्नत चिकित्सा सुविधा मिल सके। सदर अस्पताल प्रशासन ने कई बार राज्य स्वास्थ्य समिति को पत्र लिखा अस्पताल के उपाधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि पीकू वार्ड शुरू करने के लिए सदर अस्पताल प्रशासन ने कई बार राज्य स्वास्थ्य समिति को पत्र लिखा है। हालांकि, अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश या अतिरिक्त मानव संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिससे वार्ड का संचालन शुरू नहीं हो सका है। पटना या अन्य बड़े अस्पतालों में करना पड़ता है रेफर वर्तमान स्थिति यह है कि जिले में गंभीर हालत वाले बच्चों को समय पर बेहतर सुविधा न मिलने के कारण पटना या अन्य बड़े अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। इससे मरीजों के परिजनों पर आर्थिक और मानसिक बोझ बढ़ता है, और कई बार उपचार में भी देरी हो जाती है। विशेषज्ञ कर्मियों की उपलब्धता होने पर वार्ड तुरंत किया जा सकता है शुरू यदि पीकू वार्ड समय पर शुरू हो जाए, तो जिले के बच्चे स्थानीय स्तर पर ही उन्नत इलाज प्राप्त कर सकेंगे और उनकी जान बचाने की संभावना भी अधिक होगी। अस्पताल प्रशासन का मानना है कि विशेषज्ञ कर्मियों की उपलब्धता होने पर वार्ड तुरंत शुरू किया जा सकता है, जिससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार होगा। लखीसराय सदर अस्पताल में बच्चों के गंभीर उपचार के लिए तैयार किया गया PICU (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) वार्ड लगभग दस महीने से बंद पड़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 6 फरवरी को अपनी प्रगति यात्रा के दौरान इसका उद्घाटन किया था। विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की कमी के कारण यह महत्वपूर्ण वार्ड अब तक संचालित नहीं हो पाया है। करीब 2.39 करोड़ रुपए की लागत से बने इस आधुनिक वार्ड में कुल 39 बेड की व्यवस्था है, जिनमें 6 बेड आईसीयू के लिए निर्धारित हैं। यह यूनिट 1 साल से लेकर 17 साल तक के बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है, ताकि उन्हें जिले में ही बेहतर और उन्नत चिकित्सा सुविधा मिल सके। सदर अस्पताल प्रशासन ने कई बार राज्य स्वास्थ्य समिति को पत्र लिखा अस्पताल के उपाधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि पीकू वार्ड शुरू करने के लिए सदर अस्पताल प्रशासन ने कई बार राज्य स्वास्थ्य समिति को पत्र लिखा है। हालांकि, अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश या अतिरिक्त मानव संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिससे वार्ड का संचालन शुरू नहीं हो सका है। पटना या अन्य बड़े अस्पतालों में करना पड़ता है रेफर वर्तमान स्थिति यह है कि जिले में गंभीर हालत वाले बच्चों को समय पर बेहतर सुविधा न मिलने के कारण पटना या अन्य बड़े अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। इससे मरीजों के परिजनों पर आर्थिक और मानसिक बोझ बढ़ता है, और कई बार उपचार में भी देरी हो जाती है। विशेषज्ञ कर्मियों की उपलब्धता होने पर वार्ड तुरंत किया जा सकता है शुरू यदि पीकू वार्ड समय पर शुरू हो जाए, तो जिले के बच्चे स्थानीय स्तर पर ही उन्नत इलाज प्राप्त कर सकेंगे और उनकी जान बचाने की संभावना भी अधिक होगी। अस्पताल प्रशासन का मानना है कि विशेषज्ञ कर्मियों की उपलब्धता होने पर वार्ड तुरंत शुरू किया जा सकता है, जिससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार होगा।  

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