गोगरी में ओवरलोड नाव से गंगा पार कर रहे लोग:हादसे का खतरा, लोग बोले- एक दशक से समाधान की मांग कर रहे

गोगरी में ओवरलोड नाव से गंगा पार कर रहे लोग:हादसे का खतरा, लोग बोले- एक दशक से समाधान की मांग कर रहे

खगड़िया के गोगरी प्रखंड क्षेत्र के कई गंगा घाटों पर प्रतिदिन ओवरलोड नावों से गंगा पार करने का सिलसिला जारी है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका बनी हुई है। बोरना, टेम्हा बन्नी, पतलाघाट और भदलय घाट जैसे प्रमुख स्थानों पर यह स्थिति देखी जा रही है। दर्जनों मजदूर और पशुपालक अपनी जान जोखिम में डालकर इन नौकाओं से नदी पार करने को मजबूर हैं। मजदूर रोजी-रोटी के लिए और पशुपालक पशुओं के चारे के लिए गंगा के उस पार जाते हैं। नाव के सिवा कोई विकल्प नहीं क्षेत्र में किसी भी घाट पर पुल नहीं होने के कारण लोगों के पास नाव के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं है। बाढ़ के दिनों में यह परेशानी कई गुना बढ़ जाती है, जिससे आवागमन और भी खतरनाक हो जाता है। एक दशक से पुल निर्माण की मांग स्थानीय लोग पिछले एक दशक से बोरना और पतला घाट पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक पन्नालाल सिंह पटेल ने कई बार सकारात्मक आश्वासन भी दिया, लेकिन अब तक पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। ओवरलोडिंग पर रोक और पुल निर्माण की गुहार ग्रामीणों का कहना है कि यदि पतला और बोरना घाट पर पुल बन जाता तो आसपास के सभी घाटों के लोग सुरक्षित आवागमन कर पाते। इससे ओवरलोड नाव का सहारा नहीं लेना पड़ता और बड़े हादसे की आशंका समाप्त हो जाती। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ओवरलोडिंग पर रोक नहीं लगाई गई और पुल निर्माण शुरू नहीं हुआ तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। साथ ही, सभी गंगा घाटों पर नाव संचालन के लिए सख्त नियम लागू करने और बोरना, पतला घाट पर पुल स्वीकृत करने की गुहार लगाई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि पुल बनने से न केवल जान-माल का खतरा कम होगा, बल्कि क्षेत्रों के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। प्रशासन अब तक इस मुद्दे पर मौन है, जबकि ग्रामीण आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। खगड़िया के गोगरी प्रखंड क्षेत्र के कई गंगा घाटों पर प्रतिदिन ओवरलोड नावों से गंगा पार करने का सिलसिला जारी है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका बनी हुई है। बोरना, टेम्हा बन्नी, पतलाघाट और भदलय घाट जैसे प्रमुख स्थानों पर यह स्थिति देखी जा रही है। दर्जनों मजदूर और पशुपालक अपनी जान जोखिम में डालकर इन नौकाओं से नदी पार करने को मजबूर हैं। मजदूर रोजी-रोटी के लिए और पशुपालक पशुओं के चारे के लिए गंगा के उस पार जाते हैं। नाव के सिवा कोई विकल्प नहीं क्षेत्र में किसी भी घाट पर पुल नहीं होने के कारण लोगों के पास नाव के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं है। बाढ़ के दिनों में यह परेशानी कई गुना बढ़ जाती है, जिससे आवागमन और भी खतरनाक हो जाता है। एक दशक से पुल निर्माण की मांग स्थानीय लोग पिछले एक दशक से बोरना और पतला घाट पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक पन्नालाल सिंह पटेल ने कई बार सकारात्मक आश्वासन भी दिया, लेकिन अब तक पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। ओवरलोडिंग पर रोक और पुल निर्माण की गुहार ग्रामीणों का कहना है कि यदि पतला और बोरना घाट पर पुल बन जाता तो आसपास के सभी घाटों के लोग सुरक्षित आवागमन कर पाते। इससे ओवरलोड नाव का सहारा नहीं लेना पड़ता और बड़े हादसे की आशंका समाप्त हो जाती। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ओवरलोडिंग पर रोक नहीं लगाई गई और पुल निर्माण शुरू नहीं हुआ तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। साथ ही, सभी गंगा घाटों पर नाव संचालन के लिए सख्त नियम लागू करने और बोरना, पतला घाट पर पुल स्वीकृत करने की गुहार लगाई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि पुल बनने से न केवल जान-माल का खतरा कम होगा, बल्कि क्षेत्रों के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। प्रशासन अब तक इस मुद्दे पर मौन है, जबकि ग्रामीण आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *