राजधानी के नीलबड़ और भौंरी क्षेत्र में करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से बने प्रधानमंत्री आवास प्रोजेक्ट्स के लिए राहत भरी खबर है। लंबे समय से कैचमेंट एरिया के विवाद में उलझे इन प्रोजेक्ट्स को अब शासन ने हरी झंडी दे दी है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) एक्ट की धारा 27 का उपयोग करते हुए भूमि का लैंड यूज बदल दिया गया है, जिससे अब इन आवासों और दुकानों की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। अनुमति न मिलने से बिक्री और आवंटन दोनों बंद थे
नगर निगम ने इन आवासों का निर्माण तो कर लिया था, लेकिन टीएंडसीपी इन्हें बड़े तालाब का कैचमेंट एरिया मानकर अनुमति देने से मना कर रहा था। दैनिक भास्कर ने 28 दिसंबर को ‘जिम्मेदार ही गुनहगार: निगम ने तालाब के कैचमेंट में ही बना दिए पीएम आवास’ शीर्षक से छापा था। अनुमति न मिलने से निगम न तो इनका आवंटन कर पा था और न बेच पा रहा था। प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति: कहां-कितने फ्लैट एसीएस के दौरे से पलटी किस्मत
11 अक्टूबर को नगरीय प्रशासन विभाग के एसीएस संजय दुबे निरीक्षण पर थे। निगम अधिकारियों ने उन्हें नीलबड़ और भौंरी प्रोजेक्ट की तकनीकी दिक्कतें बताईं। एसीएस ने फाइलें तलब कीं। जांच में पाया गया कि जमीन मूल रूप से कृषि भूमि थी। इसके बाद शासन ने धारा 4.3 (झुग्गी बस्ती पुनर्विकास) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए भूमि को रहवासी और कमर्शियल घोषित कर दिया। अब रेरा की मंजूरी का इंतजार
लैंड यूज बदलने और टीएंडसीपी से अनुमति मिलने के बाद अब नगर निगम ने रेरा की मंजूरी के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रेरा से पंजीयन मिलते ही निगम इन संपत्तियों की बिक्री के लिए विज्ञापन जारी करेगा, जिससे निगम के खजाने में करोड़ों रुपए आने की उम्मीद है। टीएंडसीपी से अनुमति मिली
शासन ने दोनों प्रोजेक्ट्स का लैंड यूज बदल दिया है और टीएंडसीपी से भी अनुमति मिल गई है। अब हमने रेरा की अनुमति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहां से अप्रूवल मिलते ही फ्लैट्स और दुकानों की बिक्री शुरू कर दी जाएगी।
संस्कृति जैन, कमिश्नर, नगर निगम भोपाल


