कैमूर में भभुआ प्रखंड की कूड़ासन पंचायत के महेसुआ गांव में धान खरीद व्यवस्था ठप होने से किसान गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। कैश क्रेडिट और मिल टैगिंग की समस्या के कारण पिछले तीन दिनों से सरकारी क्रय केंद्रों पर धान का उठाव बंद है, जिससे किसानों की फसल खलिहानों में पड़ी है। महेसुआ गांव निवासी किसान रुद्रदेव पटेल ने बताया कि उन्होंने लगभग 60 बीघा में धान की खेती की है। फसल कटकर खलिहान में आ चुकी है, लेकिन पिछले 20 दिनों से कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पैक्स से संपर्क करने पर भी फोन नहीं उठाया जा रहा है। ठंड के मौसम में किसान रातभर अपनी फसल की रखवाली करने को मजबूर हैं, क्योंकि बारिश होने पर पूरी फसल बर्बाद होने का खतरा है। कटाई के बाद फसल खलिहान में पड़ी एक अन्य किसान उदय सिंह ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उन्होंने 20 बीघा में धान की खेती की थी। कटाई के बाद फसल खलिहान में पड़ी है, लेकिन सरकारी खरीद केवल कागजों में ही दिख रही है। उन्हें अगली फसल की बुवाई के लिए कर्ज लेना पड़ा है। उन्होंने बताया कि बच्चों की पढ़ाई, इलाज और घर का खर्च इसी फसल पर निर्भर है। बाजार में धान का भाव 1800 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि सरकारी समर्थन मूल्य 2379 रुपए निर्धारित है। कूड़ासन पंचायत के लिए 12,000 क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित इस संबंध में प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी (बीसीओ) राजीव रोशन ने जानकारी दी कि कूड़ासन पंचायत के लिए 12,000 क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक 19 किसानों से 2533 क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है। उन्होंने स्वीकार किया कि कैश क्रेडिट और मिल टैगिंग नहीं होने के कारण पिछले तीन दिनों से खरीदारी बंद है। समस्या के समाधान के लिए समिति को नोटिस जारी किया गया है और प्रयास जारी हैं। कैमूर में भभुआ प्रखंड की कूड़ासन पंचायत के महेसुआ गांव में धान खरीद व्यवस्था ठप होने से किसान गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। कैश क्रेडिट और मिल टैगिंग की समस्या के कारण पिछले तीन दिनों से सरकारी क्रय केंद्रों पर धान का उठाव बंद है, जिससे किसानों की फसल खलिहानों में पड़ी है। महेसुआ गांव निवासी किसान रुद्रदेव पटेल ने बताया कि उन्होंने लगभग 60 बीघा में धान की खेती की है। फसल कटकर खलिहान में आ चुकी है, लेकिन पिछले 20 दिनों से कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पैक्स से संपर्क करने पर भी फोन नहीं उठाया जा रहा है। ठंड के मौसम में किसान रातभर अपनी फसल की रखवाली करने को मजबूर हैं, क्योंकि बारिश होने पर पूरी फसल बर्बाद होने का खतरा है। कटाई के बाद फसल खलिहान में पड़ी एक अन्य किसान उदय सिंह ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उन्होंने 20 बीघा में धान की खेती की थी। कटाई के बाद फसल खलिहान में पड़ी है, लेकिन सरकारी खरीद केवल कागजों में ही दिख रही है। उन्हें अगली फसल की बुवाई के लिए कर्ज लेना पड़ा है। उन्होंने बताया कि बच्चों की पढ़ाई, इलाज और घर का खर्च इसी फसल पर निर्भर है। बाजार में धान का भाव 1800 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि सरकारी समर्थन मूल्य 2379 रुपए निर्धारित है। कूड़ासन पंचायत के लिए 12,000 क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित इस संबंध में प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी (बीसीओ) राजीव रोशन ने जानकारी दी कि कूड़ासन पंचायत के लिए 12,000 क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक 19 किसानों से 2533 क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है। उन्होंने स्वीकार किया कि कैश क्रेडिट और मिल टैगिंग नहीं होने के कारण पिछले तीन दिनों से खरीदारी बंद है। समस्या के समाधान के लिए समिति को नोटिस जारी किया गया है और प्रयास जारी हैं।


