हजारीबाग में मोंथा तूफान से धान-आलू बर्बाद:बुधवार रात से जारी बारिश-तेज हवाओं से किसानों को भारी नुकसान

हजारीबाग में मोंथा तूफान से धान-आलू बर्बाद:बुधवार रात से जारी बारिश-तेज हवाओं से किसानों को भारी नुकसान

हजारीबाग जिले में चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ का व्यापक असर देखा जा रहा है। बुधवार रात से शुरू हुई तेज हवा और लगातार बारिश के कारण जिले के ग्रामीण इलाकों में भारी तबाही हुई है। खेतों में खड़ी धान की तैयार फसल और नई बोई गई आलू की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कृषि प्रधान क्षेत्रों में किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस वर्ष अच्छे मानसून के कारण किसानों ने धान की खेती में काफी निवेश और मेहनत की थी। फसल कटाई के लिए तैयार थी, तभी तूफान के साथ आई तेज हवा और मूसलाधार बारिश ने खेतों में पानी भर दिया। कई स्थानों पर धान की बालियां गिरकर सड़ने लगी है। आलू की बुआई करने वाले किसानों की स्थिति भी गंभीर है। जलभराव और लगातार नमी के कारण आलू के बीज सड़ने की आशंका है। किसानों का कहना है कि वे पहले से ही बढ़ती महंगाई और लागत से जूझ रहे थे, अब यह प्राकृतिक आपदा उनकी आर्थिक स्थिति को और खराब कर देगी। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले 48 घंटों तक ‘मोंथा’ का असर झारखंड के उत्तरी जिलों, जिनमें हजारीबाग, कोडरमा और गिरिडीह शामिल हैं, में बना रह सकता है। अधिकारियों ने किसानों को खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करने और मौसम की ताजा जानकारी पर ध्यान देने की सलाह दी है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तूफान ने उनकी साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया है। वे अब सरकार से फसल क्षति के मुआवजे की मांग कर रहे हैं, ताकि वे अपनी खेती फिर से शुरू कर सकें। हजारीबाग जिले में चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ का व्यापक असर देखा जा रहा है। बुधवार रात से शुरू हुई तेज हवा और लगातार बारिश के कारण जिले के ग्रामीण इलाकों में भारी तबाही हुई है। खेतों में खड़ी धान की तैयार फसल और नई बोई गई आलू की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कृषि प्रधान क्षेत्रों में किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस वर्ष अच्छे मानसून के कारण किसानों ने धान की खेती में काफी निवेश और मेहनत की थी। फसल कटाई के लिए तैयार थी, तभी तूफान के साथ आई तेज हवा और मूसलाधार बारिश ने खेतों में पानी भर दिया। कई स्थानों पर धान की बालियां गिरकर सड़ने लगी है। आलू की बुआई करने वाले किसानों की स्थिति भी गंभीर है। जलभराव और लगातार नमी के कारण आलू के बीज सड़ने की आशंका है। किसानों का कहना है कि वे पहले से ही बढ़ती महंगाई और लागत से जूझ रहे थे, अब यह प्राकृतिक आपदा उनकी आर्थिक स्थिति को और खराब कर देगी। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले 48 घंटों तक ‘मोंथा’ का असर झारखंड के उत्तरी जिलों, जिनमें हजारीबाग, कोडरमा और गिरिडीह शामिल हैं, में बना रह सकता है। अधिकारियों ने किसानों को खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करने और मौसम की ताजा जानकारी पर ध्यान देने की सलाह दी है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तूफान ने उनकी साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया है। वे अब सरकार से फसल क्षति के मुआवजे की मांग कर रहे हैं, ताकि वे अपनी खेती फिर से शुरू कर सकें।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *