महिला सुरक्षा से जुड़े एक अत्यंत गंभीर मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जालौन कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। वहीं थाना गोहन में तैनात एसएसआई वीरेन्द्र बहादुर सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर विधिसम्मत विवेचना कराने के आदेश दिए हैं। यह आदेश पीड़िता महिला द्वारा दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद पारित किया गया। जिसमें पुलिस अधिकारी पर छेड़छाड़ और दुष्कर्म के प्रयास जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मामला 24 अगस्त 2025 की रात्रि का बताया गया है। कोर्ट में पेश तथ्यों के अनुसार, पीड़िता अपने घर पर मौजूद थी, तभी रात करीब 11 बजे थाना गोहन में तैनात एसएसआई वीरेन्द्र बहादुर सिंह एक अज्ञात व्यक्ति के साथ सिविल ड्रेस में उसके घर में दाखिल हुए। आरोप है कि पुलिस अधिकारी नशे की हालत में था और उसने महिला के साथ अभद्रता करते हुए बुरी नीयत से उसका हाथ और कमर पकड़कर जबरन अपनी ओर खींचने का प्रयास किया। महिला का आरोप है कि विरोध करने पर आरोपी ने गाली-गलौज की। उसे अलग कमरे में चलने का दबाव बनाया। जब महिला ने शोर मचाया तो घर के अन्य सदस्य मौके पर पहुंच गए। किसी तरह स्थिति को संभाला गया। इस दौरान आरोपी द्वारा महिला के परिजन के साथ मारपीट किए जाने का भी आरोप लगाया गया है। झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने की धमकी पीड़िता ने आरोप लगाया कि जाते समय एसएसआई वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने उसे धमकाते हुए कहा कि यदि उसने कहीं शिकायत की तो उसे झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया जाएगा। घटना के बाद महिला द्वारा थाना गोहन में लिखित शिकायत देने की बात सामने आई है। लेकिन आरोप है कि पुलिस स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उल्टा उसे धमकाकर थाने से भगा दिया गया। इसके बाद पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक जालौन और झांसी परिक्षेत्र के डीआईजी को भी रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से शिकायत भेजी, लेकिन वहां से भी कोई ठोस कार्रवाई न होने का आरोप लगाया गया है। इन परिस्थितियों में पीड़िता महिला ने कोर्ट की शरण ली। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा कि लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर हैं। प्रथम दृष्टया विवेचना कराए जाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपी के विरुद्ध लगाए गए कथित कृत्य को पदीय कर्तव्य की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, इसलिए लोक सेवक के विरुद्ध अभियोजन के लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने प्रभारी निरीक्षक थाना गोहन को निर्देशित किया है कि प्रकरण में सुसंगत धाराओं में तत्काल अभियोग पंजीकृत कर नियमानुसार विवेचना की जाए तथा एफआईआर की प्रति अभियोग पंजीकृत किए जाने के 3 दिन के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत की जाए। इस आदेश के बाद पुलिस महकमे में हलचल मच गई है। मामला जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस प्रकरण को गंभीर बताते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है।


