वाराणसी में अवैध तरीके से आशियाना बनाकर रहने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की तलाश में ऑपरेशन टॉर्च चलाया गया। सीएम कार्यालय से निर्देश के बाद आला अफसर सड़क पर उतरे और जगह-जगह संदिग्ध बस्तियों में पहुंच गए। रात के अंधेरे में इन झुग्गी झोपड़ियों में पड़ताल की। टार्च लगाकर पारिवारिक सदस्यों की गिनती की गई। शहर में 10 टीमों ने अपने निर्धारित स्थलों पर छापेमारी की। पुलिस ने लगभग 50 झुग्गी-झोपड़ियों की तलाशी ली, जिसमें अवैध तरीके से लोग वर्षों से बसे हैं। थाना सिगरा क्षेत्र के शिवपुरवा स्थित हाता इलाके में पूरी बस्ती मिली तो उनसे सघन पूछताछ की गई। वहां रहने वालों से आधार कार्ड, पहचान पत्र, मोबाइल नंबर सहित उनकी नागरिकता से जुड़ी जानकारी जुटाई गई। जिन लोगों के पास वैध दस्तावेज नहीं मिले, उन्हें पुलिस ने चिह्नित करते हुए जांच सूची में शामिल कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, यह पूरी बस्ती समाजवादी पार्टी के एक नेता की जमीन पर कई वर्षों से बसी हुई है, जहां बड़ी संख्या में बाहरी लोग रह रहे हैं। प्रशासन इस क्षेत्र को पहले से ही निगरानी में रखे हुए था। उधर, सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद वाराणसी में भी ऑपरेशन टॉर्च में एडिशनल सीपी भी पुलिस फोर्स के साथ नदेसर इलाके में पहुंचे। देर रात पुलिस फोर्स देखकर लोग बाहर निकल आए और पुलिस कार्रवाई की जानकारी पूछने लगे। जब पता चला कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की तलाश के लिए टीम आई है खुद ही झुग्गियों तक पहुंच गए। पुलिस ने लोगों से आधार कार्ड और व्यवसाय संबंधी पूछताछ की और उनके काम का पूरा विवरण जाना। जिस दुकान पर काम करते उसकी लोकेशन, मालिक का नाम, नंबर समेत पूरी डिटेल ली। इस दौरान टीम ने लगभग 27 परिवारों को चिह्नित किया। इन सभी के आधार कार्ड देखे तो सभी वीरपुर पश्चिम बंगाल के निवासी हैं। उनका दावा है कि सभी बांग्लाभाषी हैं और मूलत: पश्चिम बंगाल प्रदेश के ही निवासी है। इंदिरा गांधी की मौत के बाद जब बंगाल में कर्फ्यू लगा, तब से परिजनों के साथ काशी आ गए थे और यहां बस गए। हालांकि कई जगह बदलने के बाद अब लंबे समय से राजा बाजार नदेसर में ठिकाना बनाया है। इन 27 में से कई बच्चे पेशे से कूड़ा बीनने का काम करते हैं और अभिभावक कार मैकेनिक का काम करते हैं। महिलाएं अधिकांशत: झाडू पोछा और अन्य काम में रहती है। शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस और खुफिया विभाग की टीमों ने देर रात सघन चेकिंग अभियान चलाकर दस्तावेजों की जांच की गई।


