खगड़िया में बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा नगर निकाय क्षेत्रों में वंशावली निर्गत करने के हालिया आदेश पर नगर परिषद खगड़िया की नगर सभापति अर्चना कुमारी ने असंतोष व्यक्त किया है। इस विभागीय आदेश में वंशावली निर्गत करने हेतु अंचलाधिकारी को सक्षम प्राधिकारी बनाया गया है, जिससे नगर परिषद स्तर पर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। नगर सभापति अर्चना कुमारी ने कहा कि जब यह मामला नगर परिषद क्षेत्र के नागरिकों से जुड़ा है, तो वंशावली निर्गत करने का स्पष्ट अधिकार नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को ही दिया जाना चाहिए था। उन्होंने तर्क दिया कि इससे आम नागरिकों को सुविधा मिलती और अंचल कार्यालयों पर अनावश्यक दबाव भी नहीं बढ़ता। नगर निकाय स्तर पर ही अधिक व्यावहारिक और जनहित में उन्होंने आगे कहा कि नगर परिषद अपने क्षेत्र के नागरिकों की भौगोलिक, सामाजिक और पारिवारिक स्थिति से भली-भांति परिचित रहती है। ऐसे में वंशावली जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज का निर्गत किया जाना नगर निकाय स्तर पर ही अधिक व्यावहारिक और जनहित में होता। नगर परिषद की भूमिका को स्पष्ट नहीं किया गया सभापति ने यह भी चिंता जताई कि जारी आदेश में नगर परिषद की भूमिका को स्पष्ट नहीं किया गया है, जिससे आम नागरिकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उनका कहना था कि यदि वंशावली निर्गत करने की जिम्मेदारी तय करनी ही थी, तो नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को अधिकृत कर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए थे, ताकि लोगों को अलग-अलग कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। नगर निकाय क्षेत्रों के लिए अलग और स्पष्ट व्यवस्था तय करने की मांग उन्होंने सरकार से इस आदेश पर पुनर्विचार करने और नगर निकाय क्षेत्रों के लिए अलग और स्पष्ट व्यवस्था तय करने की मांग की। सभापति ने कहा कि इससे नगर परिषद के माध्यम से ही नागरिकों को वंशावली जैसी महत्वपूर्ण सेवा उपलब्ध कराई जा सकेगी। उन्होंने इसे नगर स्वशासन की भावना के विपरीत बताते हुए कहा कि स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से ही नगर परिषदों का गठन किया गया है। खगड़िया में बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा नगर निकाय क्षेत्रों में वंशावली निर्गत करने के हालिया आदेश पर नगर परिषद खगड़िया की नगर सभापति अर्चना कुमारी ने असंतोष व्यक्त किया है। इस विभागीय आदेश में वंशावली निर्गत करने हेतु अंचलाधिकारी को सक्षम प्राधिकारी बनाया गया है, जिससे नगर परिषद स्तर पर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। नगर सभापति अर्चना कुमारी ने कहा कि जब यह मामला नगर परिषद क्षेत्र के नागरिकों से जुड़ा है, तो वंशावली निर्गत करने का स्पष्ट अधिकार नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को ही दिया जाना चाहिए था। उन्होंने तर्क दिया कि इससे आम नागरिकों को सुविधा मिलती और अंचल कार्यालयों पर अनावश्यक दबाव भी नहीं बढ़ता। नगर निकाय स्तर पर ही अधिक व्यावहारिक और जनहित में उन्होंने आगे कहा कि नगर परिषद अपने क्षेत्र के नागरिकों की भौगोलिक, सामाजिक और पारिवारिक स्थिति से भली-भांति परिचित रहती है। ऐसे में वंशावली जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज का निर्गत किया जाना नगर निकाय स्तर पर ही अधिक व्यावहारिक और जनहित में होता। नगर परिषद की भूमिका को स्पष्ट नहीं किया गया सभापति ने यह भी चिंता जताई कि जारी आदेश में नगर परिषद की भूमिका को स्पष्ट नहीं किया गया है, जिससे आम नागरिकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उनका कहना था कि यदि वंशावली निर्गत करने की जिम्मेदारी तय करनी ही थी, तो नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को अधिकृत कर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए थे, ताकि लोगों को अलग-अलग कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। नगर निकाय क्षेत्रों के लिए अलग और स्पष्ट व्यवस्था तय करने की मांग उन्होंने सरकार से इस आदेश पर पुनर्विचार करने और नगर निकाय क्षेत्रों के लिए अलग और स्पष्ट व्यवस्था तय करने की मांग की। सभापति ने कहा कि इससे नगर परिषद के माध्यम से ही नागरिकों को वंशावली जैसी महत्वपूर्ण सेवा उपलब्ध कराई जा सकेगी। उन्होंने इसे नगर स्वशासन की भावना के विपरीत बताते हुए कहा कि स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से ही नगर परिषदों का गठन किया गया है।


