गोपालगंज के कुचायकोट प्रखंड स्थित सासामुसा चीनी मिल के मुख्य द्वार पर गन्ना किसानों का अनिश्चितकालीन धरना सोमवार को सातवें दिन भी जारी रहा। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद किसान खुले आसमान के नीचे डटे हुए हैं। किसानों के समर्थन में कुचायकोट विधानसभा के विधायक अमरेंद्र कुमार पाण्डेय उर्फ पप्पू पाण्डेय स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे और किसानों के साथ बैठकर न केवल उनका हाल जाना, बल्कि जलती आग के पास बैठकर ठंड से जूझ रहे किसानों के दर्द को भी महसूस किया। 14 दिसंबर से आंदोलनरत हैं किसान दरअसल, गन्ना किसानों ने 14 दिसंबर से सासामुसा चीनी मिल के बंद होने और बकाया भुगतान को लेकर धरना शुरू किया है। किसानों का कहना है कि मिल बंद होने से उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। ठंड के इस मौसम में, जब आम लोग शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं, तब अन्नदाता सड़क किनारे मिल के गेट पर रात-दिन गुजारने को मजबूर हैं, ताकि प्रशासन और सरकार का ध्यान उनकी समस्याओं की ओर जाए। 46 करोड़ किसानों का, 9 करोड़ मजदूरों का बकाया धरनारत किसानों ने बताया कि चीनी मिल बंद होने के कारण किसानों का लगभग 46 करोड़ रुपए का गन्ना भुगतान लंबित है। वहीं, मिल में कार्यरत मजदूरों और कर्मचारियों का भी करीब 9 करोड़ रुपए बकाया है। इस स्थिति ने किसानों और मजदूरों दोनों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। खेती, बच्चों की पढ़ाई और घर-परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। धरना स्थल पर पहुंचे विधायक, दिया भरोसा धरने की जानकारी मिलते ही विधायक अमरेंद्र कुमार पाण्डेय धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनीं और आंदोलन को जायज ठहराया। विधायक ने किसानों के साथ धरने पर बैठकर उनका मनोबल बढ़ाया और कहा कि यह आंदोलन किसानों के हक और सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि वे स्वयं धरनारत दो किसानों को साथ लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और सासामुसा चीनी मिल को चालू कराने के मुद्दे को मजबूती से उठाएंगे। “किसी भी हाल में मिल चालू होकर रहेगा” विधायक पप्पू पाण्डेय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी हाल में सासामुसा चीनी मिल चालू होकर रहेगी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक मिल नहीं, बल्कि लाखों किसानों और मजदूरों की आजीविका से जुड़ा मामला है। इस मिल से गोपालगंज जिले की सभी छह विधानसभा के अलावा उत्तर प्रदेश के भी कई जिले प्रभावित होते हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों और मिल में कार्यरत स्टाफ दोनों का बकाया भुगतान हर हाल में दिलाया जाएगा। किसानों में जगी उम्मीद, आंदोलन रहेगा जारी विधायक के समर्थन और आश्वासन के बाद धरनारत किसानों में कुछ उम्मीद जरूर जगी है, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों का कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई चाहिए। धरना स्थल पर लगातार किसानों की संख्या बनी हुई है और आसपास के गांवों से भी किसान समर्थन में पहुंच रहे हैं। सासामुसा चीनी मिल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ सासामुसा चीनी मिल क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है। इसके बंद होने से न केवल गन्ना किसानों, बल्कि ट्रांसपोर्टरों, मजदूरों, दुकानदारों और स्थानीय कारोबारियों पर भी असर पड़ा है। ऐसे में किसानों का यह आंदोलन अब केवल भुगतान का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक सुरक्षा से जुड़ा सवाल बन गया है। कुल मिलाकर, सासामुसा चीनी मिल के गेट पर चल रहा यह धरना किसानों की मजबूरी, संघर्ष और उम्मीद की कहानी कह रहा है। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इस आंदोलन पर कब और क्या ठोस कदम उठाते हैं। गोपालगंज के कुचायकोट प्रखंड स्थित सासामुसा चीनी मिल के मुख्य द्वार पर गन्ना किसानों का अनिश्चितकालीन धरना सोमवार को सातवें दिन भी जारी रहा। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद किसान खुले आसमान के नीचे डटे हुए हैं। किसानों के समर्थन में कुचायकोट विधानसभा के विधायक अमरेंद्र कुमार पाण्डेय उर्फ पप्पू पाण्डेय स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे और किसानों के साथ बैठकर न केवल उनका हाल जाना, बल्कि जलती आग के पास बैठकर ठंड से जूझ रहे किसानों के दर्द को भी महसूस किया। 14 दिसंबर से आंदोलनरत हैं किसान दरअसल, गन्ना किसानों ने 14 दिसंबर से सासामुसा चीनी मिल के बंद होने और बकाया भुगतान को लेकर धरना शुरू किया है। किसानों का कहना है कि मिल बंद होने से उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। ठंड के इस मौसम में, जब आम लोग शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं, तब अन्नदाता सड़क किनारे मिल के गेट पर रात-दिन गुजारने को मजबूर हैं, ताकि प्रशासन और सरकार का ध्यान उनकी समस्याओं की ओर जाए। 46 करोड़ किसानों का, 9 करोड़ मजदूरों का बकाया धरनारत किसानों ने बताया कि चीनी मिल बंद होने के कारण किसानों का लगभग 46 करोड़ रुपए का गन्ना भुगतान लंबित है। वहीं, मिल में कार्यरत मजदूरों और कर्मचारियों का भी करीब 9 करोड़ रुपए बकाया है। इस स्थिति ने किसानों और मजदूरों दोनों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। खेती, बच्चों की पढ़ाई और घर-परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। धरना स्थल पर पहुंचे विधायक, दिया भरोसा धरने की जानकारी मिलते ही विधायक अमरेंद्र कुमार पाण्डेय धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनीं और आंदोलन को जायज ठहराया। विधायक ने किसानों के साथ धरने पर बैठकर उनका मनोबल बढ़ाया और कहा कि यह आंदोलन किसानों के हक और सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि वे स्वयं धरनारत दो किसानों को साथ लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और सासामुसा चीनी मिल को चालू कराने के मुद्दे को मजबूती से उठाएंगे। “किसी भी हाल में मिल चालू होकर रहेगा” विधायक पप्पू पाण्डेय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी हाल में सासामुसा चीनी मिल चालू होकर रहेगी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक मिल नहीं, बल्कि लाखों किसानों और मजदूरों की आजीविका से जुड़ा मामला है। इस मिल से गोपालगंज जिले की सभी छह विधानसभा के अलावा उत्तर प्रदेश के भी कई जिले प्रभावित होते हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों और मिल में कार्यरत स्टाफ दोनों का बकाया भुगतान हर हाल में दिलाया जाएगा। किसानों में जगी उम्मीद, आंदोलन रहेगा जारी विधायक के समर्थन और आश्वासन के बाद धरनारत किसानों में कुछ उम्मीद जरूर जगी है, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों का कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई चाहिए। धरना स्थल पर लगातार किसानों की संख्या बनी हुई है और आसपास के गांवों से भी किसान समर्थन में पहुंच रहे हैं। सासामुसा चीनी मिल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ सासामुसा चीनी मिल क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है। इसके बंद होने से न केवल गन्ना किसानों, बल्कि ट्रांसपोर्टरों, मजदूरों, दुकानदारों और स्थानीय कारोबारियों पर भी असर पड़ा है। ऐसे में किसानों का यह आंदोलन अब केवल भुगतान का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक सुरक्षा से जुड़ा सवाल बन गया है। कुल मिलाकर, सासामुसा चीनी मिल के गेट पर चल रहा यह धरना किसानों की मजबूरी, संघर्ष और उम्मीद की कहानी कह रहा है। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इस आंदोलन पर कब और क्या ठोस कदम उठाते हैं।


