पंचायत और निकायों का पुनर्गठन हो चुका है। प्रशासन की ओर से पूरी तैयारियां हैं। अभी ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आना शेष है। उधर, हाईकोर्ट भी अप्रैल तक चुनाव कराने की कह चुका है। ऐसे में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनावों की तैयारियों के लिए संगठनात्मक तैयारियां पूरी कर ली हैं। अगले विधानसभा चुनाव से पहले इन चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। तब तक सरकार के भी ढाई साल पूरे हो चुके होंगे। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सरकार के ढाई साल के कामकाज की सफलता-विफलता पर मुद्दे बनाएंगे। निकाय व पंचायत चुनाव के लिए भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस ने भी इस बार संगठन को बूथ कार्यकारिणी के गठन से लेकर प्रदेश स्तर पर खड़ा कर लिया है। ऐसे में इस बार के ये स्थानीय चुनाव बेहद रोचक हो सकते हैं। भाजपा का पहले से कैडर बेस मॉडल है। अब कांग्रेस ने भी कैडर तैयार कर लिया है। भाजपा के संगठन की यह तैयारी अब मोर्चा-प्रकोष्ठ पदाधिकारियों की घोषणा
भाजपा की ओर से अब मोर्चा अध्यक्ष, प्रकोष्ठ संयोजक व शेष पदाधिकारियों की नियुक्त होना शेष है। युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, किसान मोर्चा, एसटी मोर्चा, एससी मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा, ओबीसी मोर्चा में भी नियुक्ति बाकी हैं। जबकि 40 प्रकोष्ठ में से फिलहाल एक भी घोषित नहीं किए गए हैं। कांग्रेस संगठन की यह तैयारी पार्टी ने भाजपा की तर्ज पर बूथ से लेकर प्रदेश संगठन को पूर्ण कर लिया है। पंचायत चुनाव के लिए यह रणनीति भी एक जिले का प्रभारी और दो से तीन सहप्रभारी बनाए जाएंगे। नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषद और पंचायत समिति के एक-एक प्रभारी व सहप्रभारी बनाए जाएंगे। प्रभारियों का काम : अपने प्रभार क्षेत्र में बूथ कमेटियां, पन्ना प्रमुख अपडेट करेंगे। जिला टीम में किसी प्रकार का विरोधाभास हो तो समन्वय करेंगे।


