राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (राजनैतिक प्रतिनिधित्व) आयोग ने सोमवार को डीग जिला मुख्यालय पर जिला स्तरीय जनसंवाद एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के समुचित प्रतिनिधित्व और आरक्षण विसंगतियों के निराकरण के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। ओबीसी आयोग के जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि राम फार्म हाउस में आयोजित इस बैठक में आयोग के सदस्य प्रो. राजीव सक्सेना और गोपाल कृष्ण शर्मा ने जिले के जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद किया। उन्होंने इस दौरान विस्तृत सुझाव आमंत्रित किए। डीग-कुम्हेर विधायक डॉ. शैलेश सिंह भी कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे और उन्होंने आयोग के समक्ष डीग जिले का जनसांख्यिकी परिदृश्य प्रस्तुत किया। जनसंवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयोग सदस्य प्रो. राजीव सक्सेना ने स्पष्ट किया कि आयोग का मुख्य उद्देश्य केवल ज्ञापन प्राप्त करना नहीं, बल्कि एक ठोस डेटाबेस तैयार करना है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार चाहती है कि स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग को संवैधानिक दायरे में रहते हुए उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले। प्रो. सक्सेना ने आगे कहा कि आयोग इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेश भर में ‘ट्रिपल टेस्ट’ की शर्तों का पालन करते हुए तथ्यों का संकलन कर रहा है। उन्होंने बताया कि जनसंवाद से प्राप्त सुझावों के आधार पर एक विधिक और तथ्यपरक रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को भेजी जाएगी। जनसंख्या अनुपात और रोस्टर प्रणाली पर विस्तृत मंथन परिचर्चा के दौरान उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं हितधारकों ने आयोग के समक्ष तथ्यात्मक पक्ष रखा। बैठक में मुख्य रूप से स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण प्रदान करने, चक्रानुक्रम (रोस्टर) आरक्षण प्रणाली को अधिक तर्कसंगत बनाने तथा वार्ड-वार आरक्षण में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने के विषय में सुझाव प्राप्त हुए। आयोग सदस्य श्री गोपाल कृष्ण शर्मा ने आश्वस्त किया कि डीग जिले से प्राप्त सभी ज्ञापनों और सुझावों का आयोग द्वारा गहन परीक्षण किया जाएगा और उन्हें अंतिम रिपोर्ट में यथोचित स्थान दिया जाएगा। क्षेत्रीय आवश्यकताओं का प्रस्तुतीकरण विधायक डॉ. शैलेश सिंह ने आयोग के समक्ष डीग जिले की भौगोलिक और सामाजिक संरचना को रेखांकित किया। उन्होंने आयोग का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि ग्रामीण बाहुल्य जिला होने के कारण यहाँ ओबीसी वर्ग की एक बड़ी आबादी निवास करती है, अतः परिसीमन और आरक्षण निर्धारण में जन सांख्यिकीय आंकड़ों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि जमीनी स्तर पर नेतृत्व के समान अवसर सुनिश्चित हो सकें। प्रशासनिक व्यवस्था एवं उपस्थिति बैठक में जिला प्रशासन की ओर से आयोग के प्रोटोकॉल और कार्यप्रणाली के अनुरूप व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई थीं। इस अवसर पर जिला प्रमुख, विभिन्न पंचायत समितियों के प्रधान, नगरीय निकायों के अध्यक्ष, जिला परिषद सदस्य, बार काउंसिल के प्रतिनिधि तथा अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण से जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों ने आयोग को अपने सुझाव सौंपे। आयोग द्वारा संबंधित अधिकारियों को प्राप्त अभ्यावेदनों को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए गए।


