सतना में थैलेसीमिया से पीड़ित 5 बच्चे HIV पॉजिटिव मिले हैं। इनमें एक बच्ची के माता-पिता भी इस बीमारी से पीड़ित हैं। यह बीमारी बच्चों में कैसे आई, इसकी जांच नेशनल, स्टेट और लोकल की अलग-अलग तीन टीमें कर रही हैं। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार रात कार्रवाई की है। ब्लड बैंक प्रभारी सहित तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि तत्कालीन सिविल सर्जन से स्पष्टीकरण मांगा गया है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल (पैथोलॉजिस्ट), लैब टेक्नीशियन रामभाई त्रिपाठी व नंदलाल पांडेय को निलंबित कर दिया है। वहीं, पूर्व सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला को शो-कॉज नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। यह कार्रवाई आयुष्मान भारत के सीईओ और एसबीटीसी संचालक डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय जांच समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर की गई है। इससे पहले बुधवार को जिला स्तरीय टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें टीम ने माना था कि बच्चों तक HIV किसी न किसी डोनर के ब्लड से पहुंचा है। स्टेट और सेंट्रल टीम अब भी जांच में जुटी है, लेकिन जो इस बीमारी से ग्रसित हुए हैं, उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है। पीड़ित बच्ची के माता-पिता कहते हैं- बच्ची पहले से ही एक बीमारी से पीड़ित थी, अब यह बीमारी भी लग गई।बच्ची को जिंदा करने ब्लड चढ़वा रहे थे, अब जिंदगी के लाले पड़ गए हैं। दैनिक भास्कर एड्स पीड़ित दो परिवारों से बात की और उनका दर्द जाना… पहला केस: तारिख- 1 अप्रैल 2025 जगह: ICTC जिला अस्पताल सतना जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर दूर तराई क्षेत्र में रहने वाले एक मजदूर परिवार को 9 माह पहले उस वक्त दोहरा सदमा लगा, जब थैलेसीमिया से पीड़ित उनकी 3 साल की बच्ची को स्क्रीनिंग के दौरान HIV संक्रमित होने की जानकारी हुई। बच्ची के माता-पिता के पैरों तले जमीन तब और खिसक गई, जब उनकी भी जांच रिपोर्ट HIV पॉजिटिव आ गई। माता-पिता का कहना है कि 1 अप्रैल 2025 की वो मनहूस घड़ी हम नहीं भूल पा रहे हैं, उसी दिन हमें इस बीमारी का पता चला था। वे बोले- हम तो जंगल में शुद्ध हवा पानी में सामान्य जीवन जीने वाले लोग हैं। एड्स जैसी घातक बीमारी, वो भी हमें, समझ से परे है। दैनिक भास्कर से अपनी आप बीती साझा करते हुए बच्ची के पिता ने सवालिया लहजे में कहा कि एड्स का नाम सामने आते ही लोगों के दिमाग में सिर्फ एक ही बात आती है कि जरूर इनका गलत संपर्क किसी से हुआ होगा? समाज की जो सोच एड्स जैसी बीमारी होने के पीछे की है, उस ओर न तो मैं और न ही मेरी पत्नी के कदम कभी गए हैं। अपनी किस्मत को कोसते हुए पीड़ित ने कहा कि आखिर दोष किसको दें? ऊपर वाला (भगवान) हमेशा गरीबों की ही परीक्षा लेता है, लेकिन उसने भी तो अब किसी काम के लायक नहीं छोड़ा। बच्ची को जन्म के साथ ही थैलेसीमिया जैसी बीमारी दे दी। पाई-पाई जोड़कर उसका इलाज करवाकर उसे जिंदा किए हुए थे, लेकिन अब तो खुद जिंदा कब तक जिंदा रहेंगे, यह पता नहीं। अब हम अपना जीवन कैसे चलाएंगे, नहीं पता। कौन काम देगा, यह भी नहीं पता। पीड़ित परिजन ने ईश्वर की दुहाई देते हुए कहा- हमने कोई गलत संपर्क स्थापित नहीं किया। इसलिए बाहर से इस बीमारी के लगने का सवाल ही नहीं है। हां, बच्ची के इलाज के दौरान संक्रमित निडिल के संपर्क में जरूरत आए होंगे। उसने कहा कि बच्ची को ब्लड चढ़वाने के दौरान ही हम इस लाइलाज संक्रमण की चपेट में आए होंगे। उन्होंने बताया कि उसे तो ब्लड जांच और उसकी प्रक्रिया के बारे में कुछ पता ही नहीं। ब्लड बैंक से जो ब्लड दे दिया जाता था, वही बच्ची को चढ़वा देता था। पीड़ित के अनुसार उनकी बच्ची को जो भी ब्लड चढ़ा, वह सिर्फ जिला अस्पताल सतना से ही मिला। इसके अलावा उन्होंने कहीं और से ब्लड ट्रांसफ्यूजन नहीं कराया। पिता बोले- अब तो रवैया बदल गया साहब अपनी व्यथा सुनाते हुए पीड़ित पिता ने बताया कि 9 महीने पहले मासूम बच्ची के HIV संक्रमित होने की जानकारी मिली। पिछले माह अचानक बच्ची की तबीयत बिगड़ गई, उसे जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया।उपचार के दौरान इस बार अस्पताल स्टाफ का रवैया बदला हुआ था। जो स्टॉफ बच्ची से हंसते हुए बात करता और इलाज करता था, वह अब उसके पास जाने से बचते नजर आ रहा था। यह सब देखकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। मजबूर हूं, क्या करूं गरीब आदमी हूं, ऊपर से किस्मत का मारा भी। भाग्य में जो लिखा था, वह भोग रहा हूं। दूसरा केस तारिख : 26 मार्च 2025 जगह: ICTC जिला अस्पताल सतना सतना के पास में ही खेती कर परिवार पालने वाले थैलेसीमिया पीड़ित 9 वर्षीय बच्चे के पिता ने बताया कि 26 मार्च का वह दिन मुझे आज भी याद है, जब अस्पताल से फोन आने पर बच्चे को लेकर वहां पहुंचा। मुझे बताया गया कि आपका बच्चा HIV संक्रमण है। यह सुनकर मानो पैरों तले जमीन खिसक गई। पत्नी को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। बच्चे को हर माह 15-15 दिन में जिला अस्पताल में ब्लड चढ़ता था। एक तो पहले से ही बच्चे की थैलेसीमिया बीमारी की वजह से हम परेशान थे, ऊपर से जानलेवा HIV संक्रमण ने जले में नमक छिड़कने का काम कर दिया। पिता ने कहा कि किसी की गलती की सजा मेरे मासूम बच्चे को मिल गई। यह पूछे जाने पर की, सरकार से अब आप क्या चाहते हैं? उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा तो हूं नहीं, लेकिन सरकार से निवेदन करता हूं कि ब्लड बैंक में निगरानी के साथ जांच करा कर ही ब्लड लें, ताकि मेरे बच्चे की तरह किसी और की जिंदगी बर्बाद न हो। पीड़ित के पिता ने उखड़े शब्दों में लोगों से अपील की है कि थैलेसीमिया, जैसी घातक बीमारी को कम करना है तो शादी के पहले टेस्ट जरूर कराएं, फिर उसके बाद ही विवाह की ओर कदम बढ़ाएं। उन्होंने बताया कि इतना बड़ा सदमा लगने के बाद अब तो सिर्फ दवाओं और दुआओं के सहारे जिंदगी की गाड़ी आगे घिसट रही है। अब पढ़िए इससे जुड़ा पूरा घटनाक्रम… मार्च में पहला एचआईवी पॉजिटिव मामला सामने आया स्वास्थ्य विभाग को 20 मार्च 2025 को पहली बार थैलेसीमिया पीड़ित 15 वर्षीय लड़की के एचआईवी पॉजिटिव होने की जानकारी मिली थी। नाबालिग ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए जिला अस्पताल पहुंची थी, जहां जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मामला सामने आने पर और बच्चों की जांच कराई गई। जांच में 9 साल के दो थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों में 26 और 28 मार्च को एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके बाद 3 अप्रैल को 15 वर्षीय चौथे थैलेसीमिया पीड़ित नाबालिग की रिपोर्ट भी एचआईवी पॉजिटिव आई। इसके बाद आनन-फानन में ब्लड डोनर्स और ट्रांसफ्यूजन रिकॉर्ड की जांच शुरू की गई। 3 साल बच्ची पहले से थी एचआईवी पॉजिटिव सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 1 अप्रैल को 3 वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची भी एचआईवी पॉजिटिव पाई गई। इस बच्ची के माता-पिता भी एचआईवी पॉजिटिव हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इसे अन्य 4 बच्चों से अलग मामला माना है। तीन अलग-अलग ब्लड बैंक से लिया गया ब्लड सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, चारों पीड़ित बच्चों को जिला अस्पताल, बिरला हॉस्पिटल और जबलपुर में ब्लड चढ़ाया गया है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल ने बताया कि चारों बच्चों को सबसे ज्यादा ब्लड ट्रांसफ्यूजन जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से किया गया। इसके अलावा बिरला हॉस्पिटल और जबलपुर के ब्लड बैंक से भी ब्लड लिया गया था। इस केस में अब तक कार्रवाई… इस मामले में सबसे पहली कार्रवाई जिला एड्स कंट्रोल सोसाइटी की नोडल अधिकारी डॉ. पूजा गुप्ता पर हुई। सिविल सर्जन ने उनके खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी किया। सिविल सर्जन ने कहा कि इस संबंध में वस्तुस्थिति से अवगत कराना आपका दायित्व है, लेकिन आपकी ओर ऐसा नहीं किया गया। अगले दिन जिला जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर सीएमएचओ ने आईसीटीसी के काउंसलर नीरज सिंह तिवारी को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है। गुरुवार रात स्टेट जांच टीम की सिफारिश पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल, लैब टेक्नीशियन रामभाई त्रिपाठी और नंदलाल पांडेय को निलंबित कर दिया है। पूर्व सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया। पहले दिन 11 घंटे चली जांच, 2023 से अब तक के रिकॉर्ड खंगाले स्वास्थ्य आयुक्त तरुण राठी की ओर से गठित 6 सदस्यीय स्टेट टीम ने पहले दिन करीब 11 घंटे जांच की। इस दौरान साल 2023 से अब तक के ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले गए। ब्लड बैंक की लाइसेंसिंग अथॉरिटी सीडीएससीओ के दो सेंट्रल ड्रग इंस्पेक्टर भी जांच में शामिल हैं। 12 तरह के रजिस्टर जब्त, 200 डोनर जांच के दायरे में जांच टीम ने ब्लड कहां से आया और किसे जारी किया गया, इससे जुड़े करीब 12 रजिस्टर तलब किए हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, एचआईवी संक्रमित बच्चों के संपर्क में करीब 200 रक्तदाता हैं, जिससे जांच का दायरा काफी बढ़ गया है। तीन अलग-अलग टीमें कर रहीं जांच
स्टेट टीम में 6 सदस्य : स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर हेल्थ कमिश्नर ने 6 सदस्यीय राज्यस्तरीय जांच टीम बनाई है। टीम में डॉ. एसबी अवधिया क्षेत्रीय संचालक (स्वास्थ्य) रीवा संभाग, डॉ. रूबी खान डिप्टी डायरेक्टर एसबीटीसी/ब्लड सेल, डॉ. रोमेश जैन ब्लड ट्रांसफ्यूजन स्पेशलिस्ट एम्स भोपाल, डॉ. सीमा नवेद सीनियर ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड ब्लड सेंटर भोपाल, संजीव जादोन सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर होशंगाबाद और प्रियंका चौबे डीआई सतना शामिल हैं। लोकल टीम में 3 सदस्य : सिविल सर्जन डॉ. शुक्ला ने अपने स्तर पर भी जांच कमेटी गठित की है। इसमें शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप द्विवेदी (प्रभारी थैलेसीमिया, सिकलसेल), पैथोलॉजिस्ट डॉ. देवेंद्र पटेल और सहायक प्रबंधक डॉ. धीरेन्द्र वर्मा को शामिल किया गया है। नेशनल टीम में 3 सदस्य : सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल अथॉरिटी के 2 सदस्य सीनियर ड्रग्र इंस्पेक्टर महेश और सचिन की टीम जिला अस्पताल पहुंची। इस टीम में रीवा मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. लोकेश त्रिपाठी को भी शामिल किया गया है।


