NGO संचालकों ने सिविल सर्जन का किया विरोध:रक्तदान अभियान की बैठक रद्द होने पर जताई नाराजगी

NGO संचालकों ने सिविल सर्जन का किया विरोध:रक्तदान अभियान की बैठक रद्द होने पर जताई नाराजगी

धनबाद में शुक्रवार को रक्तदान अभियान को लेकर बुलाई गई एनजीओ संचालकों की बैठक अचानक रद्द होने पर उन्होंने सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। एनजीओ प्रतिनिधियों ने सिविल सर्जन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए नाराजगी व्यक्त की। इंडियन रेड क्रॉस के माध्यम से सिविल सर्जन ने एनजीओ संचालकों को सुबह 11 बजे बैठक के लिए बुलाया था। इस बैठक का उद्देश्य जिले में रक्तदान शिविरों का बेहतर संचालन और जागरूकता बढ़ाना था। हालांकि, तय समय बीत जाने के बाद भी सिविल सर्जन स्वयं बैठक में शामिल नहीं हुए। एनजीओ प्रतिनिधि बिना किसी चर्चा के लौटने को मजबूर हुए लगभग एक घंटे तक इंतजार करने के बाद भी जब कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली, तो सभी एनजीओ प्रतिनिधि बिना किसी चर्चा के लौटने को मजबूर हुए। निराश होकर उन्होंने कार्यालय परिसर के बाहर मीडिया से बातचीत की और अपनी नाराजगी जताई। मधुमिता एडुमेट फाउंडेशन के सचिव गोपाल भट्टाचार्य ने कहा, “हमें बुलाकर इंतजार कराना और स्वयं बैठक में शामिल न होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह स्पष्ट दर्शाता है कि सरकार और जिम्मेदार अधिकारी रक्तदान शिविरों को गंभीरता से नहीं लेते।” उन्होंने यह भी बताया कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार मरीजों को रिप्लेसमेंट-फ्री रक्त उपलब्ध कराना है, लेकिन इसके लिए कोई ठोस योजना या जागरूकता अभियान नहीं है। हमारा सम्मान नहीं किया जाता: ललिता चौहान निरसा की मुस्कान एक प्रयास एनजीओ की संस्थापक ललिता चौहान ने कहा, “हम सालभर में कई रक्तदान शिविर आयोजित करते हैं, फिर भी हमारा सम्मान नहीं किया जाता। सिविल सर्जन के बैठक में न आने से समाजसेवियों को काफी बुरा लगा है।” धनबाद थैलीसीमिया सोसाइटी के संस्थापक अंकित राजगेडिया ने सुझाव दिया कि सरकार अपने संस्थानों में नियमित रक्तदान शिविर आयोजित कर सकती है और इसके लिए अधिसूचना जारी होनी चाहिए। यह बैठक हाल ही में चाईबासा में थैलीसीमिया मरीज को गलत रक्त चढ़ने से हुई मौत के बाद झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर बुलाई गई थी। ऐसे में रक्तदान शिविरों को व्यवस्थित करना और एनजीओ के साथ समन्वय स्थापित करना अत्यंत आवश्यक माना जा रहा है। इधर, सिविल सर्जन अलोक विश्वकर्मा ने कहा की मीटिंग मैंने नहीं बुलाई है। रेडक्रॉस के चेयर मैन ने बुलाई है। इस तरह के आरोप लगते रहते हैं। धनबाद में शुक्रवार को रक्तदान अभियान को लेकर बुलाई गई एनजीओ संचालकों की बैठक अचानक रद्द होने पर उन्होंने सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। एनजीओ प्रतिनिधियों ने सिविल सर्जन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए नाराजगी व्यक्त की। इंडियन रेड क्रॉस के माध्यम से सिविल सर्जन ने एनजीओ संचालकों को सुबह 11 बजे बैठक के लिए बुलाया था। इस बैठक का उद्देश्य जिले में रक्तदान शिविरों का बेहतर संचालन और जागरूकता बढ़ाना था। हालांकि, तय समय बीत जाने के बाद भी सिविल सर्जन स्वयं बैठक में शामिल नहीं हुए। एनजीओ प्रतिनिधि बिना किसी चर्चा के लौटने को मजबूर हुए लगभग एक घंटे तक इंतजार करने के बाद भी जब कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली, तो सभी एनजीओ प्रतिनिधि बिना किसी चर्चा के लौटने को मजबूर हुए। निराश होकर उन्होंने कार्यालय परिसर के बाहर मीडिया से बातचीत की और अपनी नाराजगी जताई। मधुमिता एडुमेट फाउंडेशन के सचिव गोपाल भट्टाचार्य ने कहा, “हमें बुलाकर इंतजार कराना और स्वयं बैठक में शामिल न होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह स्पष्ट दर्शाता है कि सरकार और जिम्मेदार अधिकारी रक्तदान शिविरों को गंभीरता से नहीं लेते।” उन्होंने यह भी बताया कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार मरीजों को रिप्लेसमेंट-फ्री रक्त उपलब्ध कराना है, लेकिन इसके लिए कोई ठोस योजना या जागरूकता अभियान नहीं है। हमारा सम्मान नहीं किया जाता: ललिता चौहान निरसा की मुस्कान एक प्रयास एनजीओ की संस्थापक ललिता चौहान ने कहा, “हम सालभर में कई रक्तदान शिविर आयोजित करते हैं, फिर भी हमारा सम्मान नहीं किया जाता। सिविल सर्जन के बैठक में न आने से समाजसेवियों को काफी बुरा लगा है।” धनबाद थैलीसीमिया सोसाइटी के संस्थापक अंकित राजगेडिया ने सुझाव दिया कि सरकार अपने संस्थानों में नियमित रक्तदान शिविर आयोजित कर सकती है और इसके लिए अधिसूचना जारी होनी चाहिए। यह बैठक हाल ही में चाईबासा में थैलीसीमिया मरीज को गलत रक्त चढ़ने से हुई मौत के बाद झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर बुलाई गई थी। ऐसे में रक्तदान शिविरों को व्यवस्थित करना और एनजीओ के साथ समन्वय स्थापित करना अत्यंत आवश्यक माना जा रहा है। इधर, सिविल सर्जन अलोक विश्वकर्मा ने कहा की मीटिंग मैंने नहीं बुलाई है। रेडक्रॉस के चेयर मैन ने बुलाई है। इस तरह के आरोप लगते रहते हैं।  

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