भारत के सिविल एविएशन सेक्टर में मेक इन इंडिया अभियान में एक नया अध्याय जुडऩे जा रहा है। रूस के एसजे-100 सिविल कम्यूटर एयरक्राफ्ट यानी पैसेंजर प्लेन अब भारत में भी बनेंगे। इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) का रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (यूएसी) के साथ एक समझौता (एमओयू) हुआ है। इस समझौते के साथ भारत न केवल घरेलू एयरक्राफ्ट जरूरतों को पूरा कर सकेगा बल्कि एशियाई एयरक्राफ्ट बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकेगा।
छोटे शहरों को मिलेगी हवाई कनेक्टिविटी
यह समझौता छोटे शहरों को हवाई कनेक्टिविटी देने वाली उड़ान स्कीम के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। इस समझौते पर मंगलवार को मॉस्को में एचएएल के प्रभात रंजन और यूएसी के ओलेग बोगोमोलोव ने हस्ताक्षर किए। विशेषज्ञों का अनुमान एसजे-100 की लागत करीब 170 से 200 करोड़ रुपए प्रति यूनिट होगी। गौरतलब है कि भारत में इससे पहले यात्री विमान निर्माण का आखिरी प्रोजेक्ट एवरो एचएस-748 था जो 1961 में शुरू होकर 1988 में बंद हो गया था। फिलहाल भारत करीब 90 फीसदी आयात करता है।
छोटी दूरी के लिए होगा उपयोगी
एचएएल के अनुसार एसजे-100 एक ट्विन-इंजन नैरो-बॉडी एयरक्राफ्ट है। इसकी 200 से अधिक यूनिट अब तक तैयार की जा चुकी हैं। इसका 16 से ज्यादा कमर्शियल एयरलाइंस इस्तेमाल करती हैं। एचएएल ने कहा कि एसजे-100 विमान भारत की उड़ान योजना के तहत बेहद उपयोगी साबित होगा। यह विमान 75 से 100 यात्रियों के लिए ले जा सकता है। इसे 500 किलोमीटर की यात्रा के लिए डिजाइन किया गया है। इस समझौते के बाद एचएएल को इस विमान बनाने का अधिकार मिल जाएगा।


